जिस प्रकार मुसलिमों को तुष्ट करने के लिए पश्चिम बंगाल की ममता बनर्जी सरकार दुर्गा की प्रतिमा विसर्जन के लिए निकलने वाले जुलूस पर बंदिश लगा रही है उसी प्रकार अब तमिलनाडु में सरकारी संरक्षण प्राप्त मीम और मिशनरीज गणेश पूजा पर पाबंदी लगाने पर आमादा है। विनायक चतुर्थी के संदर्भ में पिछले दिनों तमिलनाडु में जो सांप्रदायिक हिंसा को अंजाम दिया गया है इससे अब कोई संदेह नहीं रह गया है कि यहां हिदुओं को अल्पसंख्यक समुदाय के रहमोकरम पर रहना होगा। अगर यही हाल रहा तो अगले साल से पूरे तमिलनाडु में हिंदुओं को कोई भी धार्मिक अनुष्ठान या पर्व पर समारोह आयोजित करने से पहले प्रशासन (मीम और मिशनरियों) से अनुमति लेनी होगी। क्योंकि यहां अब न तो हिंदू सुरक्षित हैं न ही उनके देवी देवता। महाराष्ट्र हो या उत्तर प्रदेश यहां मीम और मिशनरियों के अमानवीय मजहबी कृत्य पर थोड़ी भी उंगली उठ जाए तो वामी-कांगी मीडिया पूरी कायनात सर पर उठा लेते हैं। लेकिन वहीं जब पश्चिम बंगाल या तमिलनाडु में हिंदुओं को अपना धार्मिक पर्व या अनुष्ठान करने से रोका जाता है तब इन्हें सांप सूंघ जाता है। इसकी यही प्रवृति हिंदुओं को एक दिन रसातल में पहुंचा देगी।
मुख्य बिंदु
* मीम और मिशनरियों को इसी तरह प्रश्रय देती रही सरकार तो अगले साल से पूजा और विसर्जन के लिए देना होगा आवेदन
* हिंदू बहुल क्षेत्र में भी विनायक पूजा और विसर्जन को लेकर दंगा फसाद करते हैं मीम और मिशनरीज
तमिलनाडु में हिंदुओं और उनके देवी देवताओं पर बंदिश लगाने के लिए जितना अल्पसंख्यक समुदाय जिम्मेदार है उससे कहीं ज्यादा राज्य में मंदिरों को नियंत्रित करने वाले हिंदू धार्मिक और चैरिटेबल एंडोमेंट विभाग (एचआएंडसीई) के द्रविड़ अधिकारी जिम्मेदार हैं। एक तरह जहां ये लोग अवैध रूप से राज्य भर के मंदिरों की मूर्तियों को निपटाने के लिए आपस में ही उलझते रहते हैं। वहीं दूसरी तरफ हिंदुओं के धार्मिक त्यौहारों की अस्मिता को मिटाने के लिए राज्य सरकार तुली हुई है। लेकिन तमिलनाडु सरकार की इस घिनौनी हरकतों पर न तो वामियों-कांगियों की नजर जाती है न ही मुख्यधारा के स्वधन्यमान्य पत्रकारों के कैमरे घूमते हैं न ही कलम चलती है।
चूंकि कोर्ट द्वारा गणेश मूर्ति स्थापना को लेकर कोई कानून निर्धारित नहीं है, इसी की आड़ लेकर प्रदेश के दोनों मुख्य क्षेत्रीय दलों डीएमके तथा एआईडीएमके के कट्टरपंथी नेता गणेश पूजा में अड़ंगा लगा रहे हैं। यह तो महज दिखावे के लिए किया जाता है असल मकसद तो मीम और मिशनरियों के इशारे पर हिंदुओ के धार्मिक पर्वों पर प्रहार कर उसे नष्ट करना है।
जगजाहिर है कि विनायक चतुर्थी हिंदुओं के लिए क्यों और कितना खास धार्मिक अनुष्ठान है? यह सिर्फ धार्मिक दृष्टि से ही महत्वपूर्ण नहीं है बल्कि यह पर्व इसलिए महत्वपूर्ण है क्योंकि इसी वजह से ब्रितानिया सरकार के खिलाफ हिंदू एक होकर उठ खड़े हुए थे। हिंदुओं की बढ़ती एकता को देखते हुए ही ब्रितानिया सरकार ने 1892 में एक कानून बनाकर गणेश चतुर्थी पर्व पर पाबंदी लगा दी थी। अब जब देश स्वतंत्र है और हर समुदाय को अपनी इच्छा के अनुरूप धार्मिक अनुष्ठान करने की इजातत है तब एक बार फिर मीम और मिशनरीज हिंदुओं के इस महान पर्व पर सरकार के साथ साजिश कर पाबंदी लगाना चाहता है। तभी तो षड्यंत्र के तहत हिंदू बहुल क्षेत्र शेनकोटई में विनायक पूजा और विसर्जन के दौरान सांप्रदायिक हिंसा को अंजाम दिया गया।
गौरतलब है कि तमिलनाडु के तिरुनेलवेली से 70 किलोमीटर दक्षिण स्थित शेनकोटाई हिंदू बहुल इलाका है। यहां पर मीम आबादी नाम मात्र होने के बावजूद सरकारी सरंक्षण के कारण चलती उसी की है। विनायक पूजा और विसर्जन के दौरान जहां सांप्रदायिक हिंसा को अंजाम दिया गया वहां आसपास कोई मसजिद भी नहीं है फिर मीम समुदाय के लोगों ने गणेश पूजा और विसर्जन में अड़ंगा लगाया। पिछले शुक्रवार को गुंडर नदी में मूर्ति विसर्जन के दौरान मीम समुदाय के लोगों ने हिंदुओं के घरों को पेट्रोल बम से जला दिया। दुकानों में तोड़फोड़ की। मूर्ति विसर्जन में शामिल हिंदुओं पर हमला कर कइयों को घायल कर दिया। वहां स्थिति ऐसी बना दी गई है कि बिना पुलिस सुरक्षा के मंदिरों से गणेश की मूर्ति निकालना दूभर हो गया है। और ये सब एक साजिश के तहत किया गया ताकि इसी बहाने पूरे राज्य में गणेश पूजा के साथ ही हिंदुओं के अन्य धार्मिक अनुष्ठानों पर पाबंदी लगाया जा सके।
तमिलनाडु की पुलिस भी प्रदेश सरकार की शह पर हिंदुओं को गणेश मूर्ति स्थापित करने से रोकती है। शनिवार को भारतीय जनता पार्टी के राष्ट्रीय सचिव एच राजा की पुठूकोटई की पुलिस से गणेश मूर्ति स्थापना को लेकर कहासुनी हो गई। पुलिस का कहना है कि मद्रास हाईकोर्ट द्वारा जारी आदेश के तहत बिना प्रशासनिक अनुमति से कहीं पर मूर्ति स्थापना करना कानून का उल्लंघन माना जाएगा। इससे साफ है कि प्रदेश सरकार खुद ही पूरे प्रदेश में गणेश पूजा पर पाबंदी लगाने के पक्ष में है। बकरीद पर मीम सरेआम पशुओं की हत्या जो करता है क्या वह कोर्ट के आदेश पर करता है? जबकि कोर्ट के आदेशानुसार तो किसी निरीह जीव के साथ क्रूरता करना भी अपराध है। क्या इस आधार पर पूरे देश में बकरीद पर पाबंदी नहीं लगनी चाहिए।
संविधान में मौलिक अधिकार के तहत यह साफ है कि आपकी स्वतंत्रता किसी की स्वतंत्रता का हनन नहीं कर सकती। क्या सरेआम बीच सड़कों पर नमाज पढ़ना नागरिक अधिकार का अवहेलना नहीं है? लेकिन देश के वामियों-कांगियों को कानून से क्या लेना देना उसे तो बस वोट दिखना चाहिए। जहां से एकमुश्त वोट मिलेगा, ये लोग सारा नियम कानून ताक पर रखकर उसके गुण गाने लग जाएंगे। उन्हें नीति और परंपरा, दया और धर्म से कोई लेनादेना है नहीं। बस उन्हें मीम और मिशनरियों के वोट के लिए हिंदुओं को दबाना है। क्योंकि वे भलीभांति जानते हैं कि हिंदू कभी एक नहीं होंगे।
URL: Now in Tamil Nadu without police security Ganesh worship and immersion is difficult
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