रामशंकर कठेरिया। 29 अप्रैल को जबलपुर में स्वाधीनता के अमृत महोत्सव के अवसर पर श्री राम माधव का व्याख्यान था। आधे घण्टे के व्याख्यान और लगभ 15 मिनिट के प्रश्नोत्तरी में पांच मिनिट अशफाकउल्ला खां और शेष समय नेहरू गांधी और अरबिन्दो पर दिया। कश्मीर उल्लेख में डॉ मुखर्जी गायब, प्रथम दोनों सरसंघचालक का नाम नहीं, और कश्मीर पर -“सरकार ने 370 हटाकर अपना काम कर दिया है
अब हमारा काम है वहां के लोगों को विश्वास दिलाना की हम उन्हेंअपने से अलग नहीं मानते हैं।” उन्होंने यह भी कहा कि “बुलडोजर हमारी संस्कृति नहीं है”
शायद ये वक्तव्य शिवराज सिंह जी के लिए था कि वो योगीजी का अनुसरण न करें और योगीजी को सन्देश है कि संघ उनके प्रशासन से प्रसन्न नही है।
अशफाकउल्ला का उल्लेख करते हुए उन्होंने कहा की मुस्लिम जेलर ने अशफाकउल्ला से कहा था कि तुम मुसलमान हो, तुम्हे इस आंदोलन से क्या करना तुम माफी लिखकर दे दो तुम्हें माफ कर दिया जाएगा तो अशफाकउल्ला ने मना कर दिया और कहा में देश के लिए जान दे दूंगा पर माफी नहीं मांगूंगा – क्या ऐसा उल्लेख जोर देकर करके एक मुसलमान को महिमामण्डित करने के चक्कर में इन्होंने वीर सावरकर पर् प्रश्नचिन्ह नहीं लगा दिया
कल के एपिसोड में मुख्य कलाकार नेहरू गांधी अंबेडकर के बीच स्वामी विवेकानंद और पंडित दीनदयाल उपाध्याय जी जैसे गेस्ट अपीयरेंस में थे। इनका एक एक बार नाम आया। कार्यक्रम में स्वाभाविक रूप से संघ के ही स्वयंसेवक थे, भाजपा से भी कम ही लोग थे, ये बात ये स्वयंसेवक भी समझने तैयार नहीं, मैंने जब कहा कि उन्होंने दोनों सरसंघचालक का नाम भी नहीं लिया तो कहने लगे बड़े विचारक हैं वो हमसे ज्यादा समझते है, किसका नाम लेना है किसका नही, सुनकर हंसी भी आई और क्षोभ भी हुआ।