अर्चना कुमारी। दिल्ली एनसीआर अब रहने लायक शायद ही बचा है। केंद्र से लेकर राज्य प्रदूषण से निबटने का कोई ठोस उपाय करने में अबतक नाकाम रही है। यहां रहना एक दिन में बीस सिगरेट पीने जैसा है।
ये कहना है डॉक्टर राकेश महाजन का। उन्होंने बताया राजधानी के निवासियों को स्वास्थ्य पर भारी कीमत चुकानी पड़ रही है। बढ़ती प्रदूषण से सांस फूलने और गले की एलर्जी की शिकायतें लगातार बढ़ रही हैं।
लगातार वायु प्रदूषण से कई गंभीर बीमारियों का खतरा बढ़ गया है। इनमें दिल की बीमारियां, स्ट्रोक ,फेफड़ों का कैंसर क्रॉनिक ऑब्सट्रक्टिव पल्मोनरी डिजीज (सीओपीडी) और तीव्र श्वसन संक्रमण प्रमुख हैं। बच्चे तीव्र श्वसन संक्रमण के अधिक शिकार हो रहे हैं।
उन्होंने बताया सर्दी के मौसम में वायु प्रदूषण का खतरा बढ़ जाता है। इन दिनों दिल्ली और उसके आसपास के इलाकों में हवा की गुणवत्ता बेहद ख़राब है। इससे आम जनजीवन पर बुरा असर पड़ रहा है।
अधिकतर लोगों को सांस संबंधी तकलीफों का सामना करना पड़ रहा है। प्रदूषित वातावरण में रहने से दिल और फेफड़ों को सबसे अधिक नुकसान पहुंचता है। उत्तमनगर में महाजन नर्सिंग होम संचालक राकेश महाजन बताते है प्रदूषण से अस्थमा के मरीजों की परेशानी बढ़ गई है। जिसमें रोगी को सांस लेने में तकलीफ होती है।
सीने में दबाव महसूस होता है और खांसी भी होती है। ऐसा तब होता है, जब व्यक्ति की श्वसन नलियों में अवरोध पैदा होने लगता है। ये रुकावट एलर्जी (हवा अथवा प्रदूषण) और कफ से आती है। कई रोगियों में ऐसा भी देखा गया है कि श्वसन मार्ग में सूजन भी हो जाता है।इसके अलावा लंग कैंसर कैंसर प्रदूषण का मुख्य बीमारी है।
उनका कहना है कि वायु प्रदूषण से दिल का दौरा पड़ने का खतरा बढ़ जाता है। प्रदूषण से धमनियाों में सूजन आने लगती है और फिर दिल के दौरे का खतरा बढ़ जाता है। इसके साथ बच्चे को सांस लेने में कठिनाई होती है। इससे सांस लेने में सहायक अंग नाक, गला और फेफड़ें संक्रमित हो जाते हैं। इस बीमारी के बच्चे अधिक शिकार होते हैं। आमलोगो से अपील है। घर में रहे और मास्क पहनकर ही बाहर निकलें। निरंतर भांप लें।प्राणायाम करें और काढा का सेवन करें।