ये विश्व का एकमात्र मंदिर है जिसके परिसर में लक्जरी होटल, फूड कोर्ट,शॉपिंग कॉम्प्लेक्स और बैंक्वेट हाल जैसे व्यवसायिक उपक्रम हैं।वो भी पौराणिक मंदिरों को ढहा के, पेड़ों को काट के, कुओं को पाट के और महंतों को हटा के।अन्यथा पुराने मंदिरों में तो धर्मशाला, तालाब और पेड़ों का ही ताल मेल दिखता है।
भक्त हलकान हैं, वीआईपी मौज काट रहे हैं, काशी वासी मंदिर से दूर होते जा रहें हैं और पैसे वाले मनचाही व्यवस्था पा रहें हैं।।।
आखिर प्रधान सेवक नमो कह चुके हैं व्यापार मेरे खून में।और चाणक्य ने कहा है जहां का राजा व्यापारी वहां की प्रजा भिखारी !!
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