सुकमा में जंगली नक्सलियों ने कहर बरपाया, कल एक शहरी नक्सल के कहर बरपाने की बारी है। एक शहरी नक्सल है, जिसने घोषणा की है कि यदि कल दिल्ली एमसीडी के चुनाव में हार गए तो इसे ईवीएम की गड़बड़ी मानी जाएगी और वो दिल्ली की ईंट से ईंट बजा देंगे! जब से दिल्ली मैया ने यह सुना है, वह ईवीएम भैया को मनाने में जुटी है कि उसे जीत दिला दो, अन्यथा कल से मेरी छलनी छाती पर बैठकर एक हाथ में एक ईंट लेगा और दूसरी हाथ में दूसरी ईंट और फिर लगातार उसे बजाएगा, जिससे मेरे कान में दर्द उठ सकता है!
इस शहरी नक्सल की पूरी टीम पिछले कई दिनों से टवीटर पर कांव-कांव कर रही है कि न्यूज चैनलों ने जो एग्जिट पोल दिखाया है, वह ईवीएम में गड़बड़ी का परिणाम है। अब न्यूज चैनल वाले सिर खुजा रहे हैं कि एग्जिट पोल ईवीएम से होता है, इसका उन्हें अब तक पता ही नहीं था!
कई सर्वे एजेंसियां धूप-बत्ती लेकर उस नक्सल भैया के पास पहुंच गई हैं कि हे प्रभो! आप अब तक कहां थे? ईवीएम से एग्जिट पोल का ज्ञान पहले दे देते तो हमारे लड़के जनता से पूछताछ करने के लिए फिल्ड में मारे-मारे तो नहीं फिरते! हर सर्वे वाला उस शहरी नक्सल का पैर दबा रहा है कि आपको यह दिव्य ज्ञान कहां से हुआ, बताएं?
नक्सल भैया कह रहे हैं, परवल की सब्जी पसंद नहीं आई तो बीबी के खिलाफ घर में ही अनशन कर दिया। बीबी ने कहा घड़ी-घड़ी नौटंकी दिल्ली वालों के सामने करना! मैं खूब तुम्हारी हकीकत समझती हूं, इसलिए मेरे पास स्टील के गिलास वाली अनशन की नौटंकी नहीं चलेगी! असमंजस में ही था कि अचानक आकाशवाणी हुई और यह दिव्य ज्ञान वहां से उतारा कि मूर्ख तू यहां स्टील के गिलास वाली अनशन कर रहा है जबकि ईवीएम अनाम-शनाप एग्जिट पोल निकाल रहा है! चल भाग और जाकर ईंट से ईंट बजाने का ट्वीट कर, वर्ना तेरी सारी नौटंकी सदा के लिए समाप्त हो जाएगी।
नक्सल भागा, देखा उसका डिप्टी तो परसों से ही भिंड की भिंडी तोड़ने में जुटा है! पागलों की तरह बड़बड़ा रहा है कि भिंड के ईवीएम से फूल निकला, फूल निकला! किसी ने कह दिया, लेकिन डिप्टी जी, वहां हुए उपचुनाव में तो पंजा जीता है! डिप्टी को गुस्सा आ गया और ज्ञान देने वाले तो तड़ाक से ईंट दे मारा!
नक्सल की पूरी पार्टी हाथ में ईंट लिए घूम रही है और वहां स्ट्रांग रूम में बंद ईवीएम डर के मारे थर्र-थर्र कांप रहा है। उसे डर है कि बुधवार को उसके खुलते ही शहरी नक्सल ईंट लेकर कहीं उसका ही थोबड़ा न तोड़ दें। अब ईवीएम क्या करे! इसी सोच में था कि दिल्ली दौड़ी चली आई और कहा तू उस नक्सली को जीत दिला ही दे, अन्यथा न जाने कब पेड़ से लटक जाए और आरोप मुझ पर मढ़ दे! वह नहीं रहा तो उस बुडढे को चार करोड़ रुपये कहां से दूंगी जो अनाप-शनाप मुकदमा लड़ता रहता है और ऐसे नक्सलियों को गफलत में डालता रहता है कि तुम्हें जीत दिला दूंगा!
बेचारे ने 16 हजार की थाली खाकर डकार भी नहीं लिया था कि पंजाब, गोवा, राजौरी गार्डन और अब दिल्ली एमसीडी में ईवीएम के मुंह से जमानत जब्त का खट्टा डकार सुनाई देने की आहट है! उसके बाद से ही यह शहरी नक्सल चिल्लाया, अब बहुत हो गया और फिर सोते-जगते हाथ में ईंट लिए ईवीएम को ढूंढ़ रहा है!