अर्चना कुमारी । 50-100 साल में आएगा मुस्लिम शासन, इस फोटो को ध्यान से देखिए भाजपा के पूर्व केंद्रीय मंत्री नकवी और मौलाना चर्चा कर रहे हैं । अक्सर मौलाना जुबान से हिंदुओं को धमकाते रहते हैं और इस बार उन्होंने सुप्रीम कोर्ट के फैसले को चुनौती दी है।
भाजपा में मुख्तार अब्बास नकवी के कथित तौर पर करीबी मौलाना साजिद रसीदी ने उत्तेजक तथा भड़काऊ बयान दिया है और उसका कहना है कि 50 से 100 साल में जब मुस्लिम शासन आएगा तब राम मंदिर को तोड़कर मस्जिद मनाया जाएगा। वह यही नहीं रुका और कहा आने वाली नस्लें खामोश नहीं रहेंगी।
इस बयान के बाद तो यह सच है कि देश में लोकतंत्र और कानून की दिन-रात दुहाई देने वाले कट्टरपंथी न्यायालय के आदेश को दरकिनार करते हुए अयोध्या में राम मंदिर निर्माण को पचा नहीं पा रहे हैं। वे धमकाते रहते हैं कि अयोध्या में मस्जिद थी और आगे भी रहेगी। ऑल इंडिया इमाम एसोसिएशन के अध्यक्ष मौलाना साजिद रशीदी ने भारत की कानून-व्यवस्था को चुनौती दी है और ऐसे सिरफिरे के खिलाफ कोई सरकार ठोस कार्रवाई भी नहीं करती।
मौलाना रशीदी ने कहा, आज मुसलमान खामोश है। मेरी आने वाली नस्ल… मेरा बेटा, उसका बेटा, उसका पोता…. 50-100 साल के बाद एक हिस्ट्री उनके सामने आएगी कि हमारी मस्जिद को तोड़कर मंदिर बना दिया गया। उस वक्त हो सकता है कि कोई मुस्लिम शासक हो, कोई मुस्लिम जज हो या मुस्लिम शासन .. कुछ नहीं कहा जा सकता है कि क्या फेरबदल हो जाए… तो क्या उस हिस्ट्री की बुनियाद पर इस मंदिर को तोड़कर मस्जिद नहीं बनाई जाएगी, बिल्कुल बनाई जाएगी।
मौलाना ने कहा कि इस देश की एक हिस्ट्री लिखी जाएगी और हिस्ट्री ये लिखी जाएगी कि 1992 में बाबरी मस्जिद को तोड़ा गया और उसके बाद में उस वक्त के प्रधानमंत्री ने जाकर राम मंदिर का शिलान्यास किया था, जो कि संविधान के बिल्कुल विरुद्ध था। टीवी बहस के दौरान मुस्लिम वक्ता रशीदी के बयान को व्यक्तिगत बताकर उसके खतरनाक इरादों की गंभीरता को कम करने का प्रयास कर रहे थे।
हालाँकि, एक भी ऐसा कथित मुस्लिम सामने नहीं आया, जिसने रशीदी बयान की निंदा की हो या उसके बयान पर फतवा जारी किया हो। ये सिर्फ साजिद रशीदी का बयान नहीं है, ऐसे कई मुस्लिम समाज के कई नेताओं ने दिए हैं और यह लोग भड़काऊ बयान देने से खुद को नहीं रोकते क्योंकि उन्हें पता है कि उनका कोई कुछ बिगाड़ नहीं सकता। यह भी सच है कि उनके खिलाफ कोई अब तक कार्रवाई नहीं की गई, जिससे ऐसे नेताओं का हौसला बढ़ता चला गया जबकि केंद्र में भाजपा की सरकार है और वह हिंदूवादी होने का दावा करती है लेकिन इनके कई नेता इस तरह के नेताओं के संपर्क में रहते हैं। ताकि उनके वोट बैंक का संतुलन बना रहे।
असदुद्दीन ओवैसी ने बार-बार कहा है कि ‘अयोध्या में बाबरी मस्जिद थी, है और रहेगी। इशांअल्लाह’। इतना ही नहीं, 6 दिसंबर 2022 को अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय के छात्र नेता मोहम्मद फरीद ने ‘काला दिवस’ के रूप में मनाते हुए मार्च निकाला था। छात्रों ने हाथों में पोस्टर ले रखे थे, जिसमें लिखा था, ‘जब अरजे खुदा के काब से, सब बुत उतरवाए जाएँगे’। इस दौरान छात्र कहते रहे कि ‘बाबरी मस्जिद अभी जिंदा है। मस्जिद वहीं थी, वहीं है और इंशाअल्लाह आगे भी वहीं रहेगी’।
मौलाना साजिद रशीदी वही बात कह रहे हैं, जो मुस्लिमों की राजनीति करने वाले नेता असदुद्दीन कह रहे हैं और अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय में पढ़ने वाले मुस्लिम छात्र कह रहे हैं। इसलिए इसे सिर्फ एक व्यक्ति का बयान कहकर भी नहीं टाला जा सकता। इसके पीछे कुछ गहरी साजिश हो सकती है, , जैसी कट्टरपंथी इस्लामी संगठन पॉपुलर फ्रंट ऑफ़ इंडिया ने बना रखी है, वर्ष 2047 तक भारत को इस्लामी मुल्क बनाने की और मुस्लिम इस दिशा में खुलेआम बढ़ रहे हैं क्योंकि उन पर नकेल कसने वाला कोई नहीं है।