संदीप देव। आज से मेरा और यति नरसिंम्हानंद जी का रास्ता अलग-अलग है। मैंने यति जी को स्पष्ट कह दिया है। यति जी ने हनुमान चालीसा पर हमला करने वाले के आगामी कार्यक्रम के पक्ष में वीडियो जारी कर यह कहा है कि “धर्म और देश को मिटाने वाली शक्तियां नहीं चाहती हैं कि यह सम्मेलन हो!”
उस व्यक्ति का प्रथम विरोध मैंने ही उसका अपने चैनल पर कार्यक्रम रद्द करते हुए किया था इसलिए यह सीधा-सीधा मुझे टारगेट करके कहा गया लगता है।
मैं कोई देश या धर्म पर हमला करने वाली शक्तियां नहीं हूं। मैं सनातन धर्म, हमारे धार्मिक ग्रंथों और भगवान पर हमला करने वालों के विरुद्ध सदा से लड़ता रहा हू़ चाहे अकेला ही क्यों न हो जाऊं?
जब मैं अपनी चुनी सरकार और जिस संघ पर पुस्तक लिखी, उसके विरूद्ध धर्म के लिए खड़ा हो सकता हूं, धर्म के लिए अपनी नौकरी, अपने इंटरनेशनल पब्लिशर को छोड़ सकता हूं तो फिर मेरे लिए धर्म के समक्ष किसी और का कोई अस्तित्व नहीं है! स्वयं मेरा भी अस्तित्व धर्म के समक्ष नगण्य है।
सच तो यह है कि हनुमान चालीसा पर हमला करने वाले ने सनातन धर्म पर हमला किया है। उसने माफी भी यह कहते हुए मांगा है कि इसका कोई साक्ष्य नहीं है कि हनुमान चालीसा तुलसीदास जी ने लिखी!
मेरी टीम से बात करते हुए फोन पर हनुमान चालीसा के प्रति उसने इतने अभद्र शब्दों का उपयोग किया है कि लगता है कि उसने हिंदुओं को धोखा देने के लिए केवल माफी का स्वांग रचा है! लोग कहेंगे तो मैं बातचीत का वह ऑडियो भी जारी कर दूंगा।
अतः अब हमारे नेटवर्क पर हर गुरुवार को यति जी का गीता प्रवचनमाला नहीं होगा। अब हर गुरुवार रात 9 बजे #jwsd पर गीता का प्रवचन मैं ही करूंगा। मैं अपने धर्म से एक ईंच भी डिगने को तैयार नहीं हूं, भले चाहे मिट जाऊं। जयश्री हनुमान
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