‘हिंद’:- भारतीयों के आत्मगौरव को कुचलने के लिए विदेशियों ने उन्हें समझा दिया कि सिंधु से हिंदू बना, जबकि सच यह है कि इसकी उत्पत्ति ऋग्वेद के सर्वमान्य देवता इंद्र से हुई है। ह्वेनसांग ने भारत के लिए ‘इंदु’ शब्द का उपयोग किया था। दुनिया के सारे रिलीजन उसके पैगंबरों के नाम पर हैं, लेकिन हमारे ऋग्वैदिक देवता इंद्र के नाम को गौण कर उनकी ‘लंपट’ छवि गढ़ दी गई और हमें बता दिया गया कि तुम लावारिस थे, इसलिए तुम्हारा नाम भी हमने रखा।
हिंदू की दूसरी उत्पत्ति हिमालय से कन्याकुमारी तक भारत के विस्तार के कारण पड़ा। हिमालय का ‘ह’ और कन्याकुमारी में स्थित ‘इंदु सरोवर’ मिलाकर ‘हिंदू’ की उत्पत्ति मानी गई है। आधुनिक युग में राम मंदिर आंदोलन से जुड़े स्वामी वामदेव महाराज ने स्पष्ट तौर पर इसे स्वीकार करते हुए कहा है कि इसी कारण हमारे मनीषियों ने हमें ‘हिंदू राष्ट्र’ की संकल्पना दी।
आवाज:- इसी तरह लोगों को ‘आवाज’ शब्द को लेकर भी अज्ञानता है कि यह ऊर्दू शब्द है। आवाज ऊर्दू शब्द नहीं है, इसकी उत्पत्ति संस्कृत के आवझ/आवज से हुई जो एक पुराना वाद्ययंत्र था। इस्लाम से पहले का फारस अग्निपूजक था। वैदिक समय में फारस के देवता वरुण थे। फारसी भाषा में आवझ अपभ्रंश होकर आवाज अर्थात ध्वनि के रूप में उपयोग में आने लगा।
अरब की अपेक्षा फारस की वैदिक संस्कृति बहुत उन्नत थी। इस्लाम के आक्रमण ने फारस को जीत कर ईरान तो बना दिया, लेकिन उनकी उन्नत सभ्यता से वह हार गया। फारसी भाषा से लेकर रहन-सहन तक, सब जगह अरबी इस्लाम पर फारसी इस्लाम हावी हो गया। भारत में मुगलों ने भी अरबी की जगह फारसी को ही राजभाषा बनाया, क्योंकि फारसी संस्कृति अरबी संस्कृति पर छा गई थी।
अतः यदि शब्दों का ज्ञान हमें न हो तो हम अपने शब्द भी उनके नाम करते चले जाते हैं, ऐसे असंख्य उदाहरण हैं। हमने अज्ञानतावश अपनी हिंदू, हिंद, हिंदुस्तानी पहचान भी उनके नाम कर दिया है, और आवझ जैसे पुराने वाद्ययंत्र के कारण बने शब्द को भी उनका शब्द स्वीकार कर लिया है।
वैसे ‘हिंद की आवाज’ नाम पर अधिक विवाद होगा तो मैं India Speaks Daily का नाम नहीं बदलूंगा या फिर मूल कंपनी के नाम पर kapot Media ही रखूंगा। लेकिन सोचा इसी बहाने शब्दों की उत्पत्ति के पीछे के मनोविज्ञान को समझा दूं कि हम सदा से पलायनवादी रहे हैं। हमने अपने शब्द, रहन-सहन, अपने देश का पश्चिमी-पूर्वी हिस्सा, कश्मीर और अब बंगाल- सब छोड़ते चले गये, केवल उनके प्रोपोगंडा और आक्रमण के कारण।