विपुल रेगे। सन 1997 में अमेरिका के कैलिफोर्निया से शुरु हुआ नेटफ्लिक्स आज विश्व के 190 देशों में अपनी सेवाएं दे रहा है। नेटफ्लिक्स पर आरोप लगता रहा है कि उसकी फ़िल्में समाज के लिए बहुत हानिकारक है। विदेश में तो नेटफ्लिक्स के युवाओं और बच्चों पर पड़ने वाले प्रभावों पर शोध चल रहे हैं। इस प्रभाव को अमेरिका में ‘नेटफ्लिक्स इफेक्ट’ कहा जा रहा है। वोक संस्कृति को बढ़ावा देता नेटफ्लिक्स विशेष तरह की फिल्मों द्वारा समाज को तोड़ने पर क्यों लगा हुआ है, ये सवाल बहुत से लोगों के मन में गूंजता है। आज हम विश्व के 190 देशों में नेटफ्लिक्स का विषैला वृक्ष देख रहे हैं तो इसके बीज के बारे में भी जानना आवश्यक होगा।
ओटीटी पर बहुत से मंच फिल्मों और वेब सीरीज की सेवाएं दे रहे हैं। इनमे नेटफ्लिक्स का नाम और ओहदा सबसे ऊपर आता है। 190 देशों में नेटफ्लिक्स 45 भाषाओं में मनोरंजन परोसता है। नेटफ्लिक्स पर आरोप लगता रहा है कि वह अपनी फिल्मों के माध्यम से समाज को तोड़ने का काम कर रहा है। ये भी कहा गया कि समलैंगिकता जैसी विकृतियों को नेटफ्लिक्स समाज में स्वीकार्य बनाने का प्रयास कर रहा है। नेटफ्लिक्स की इस आइडियोलॉजी को अमेरिका की आइडियोलॉजी से अलग करके नहीं देखा जा सकता। दोनों ही विचारधाराएं परस्पर मिलती-जुलती है।
नेटफ्लिक्स ‘वोक संस्कृति’ को बढ़ावा देता प्रतीत होता है। ये अजीबोगरीब कल्चर अब तक तो भारत में अस्वीकार्य है लेकिन लंबे समय तक ये स्थिति बनी रहे, ऐसा नहीं लगता। सीमा पार से सांस्कृतिक आतंकवाद बड़ी तेज़ी से लाया जा रहा है। आज आप नेटफ्लिक्स पर सेक्स, हिंसा, समलैंगिकता, अभिभावक से संघर्ष पर लेकर बहुत सी फ़िल्में देख रहे होंगे। नेटफ्लिक्स जब शुरु हुआ तो इसके दो पार्टनर हुआ करते थे। रीड हैस्टिंग और मार्क रेंडाल्फ़ ने नेटफ्लिक्स को खड़ा किया था। यहाँ मार्क का इतिहास जानना जरुरी है। जब मार्क के इतिहास को जानेंगे तो पता चलेगा कि नेटफ्लिक्स एक विशेष तरह की विचारधारा का प्रबल समर्थक क्यों है। एक विशेष विचारधारा एक व्यक्ति विशेष के मन में जन्मती है और बाद में बहुत से लोगों को प्रभावित करने का कारण भी बनती है।
अठारहवीं सदी के अंत में सिग्मंड फ्रायड पैदा हुआ था। वह शिक्षा ग्रहण कर एक मनोविश्लेषक और न्यूरोलॉजिस्ट बन गया। कहने को तो सिग्मंड को फिजियोथेरेपी का जनक माना जाता है लेकिन उससे कहीं बढ़कर उसने मानव समाज को विकृतियां प्रदान की थी। सिग्मंड का निजी जीवन सामान्य लोगों की तरह नहीं था। सिग्मंड कोकीन लेने का आदी था और समाज में उसे प्रमोट भी किया करता था। मृत्यु के अंत तक उसने कोकीन का सेवन नहीं छोड़ा। इसके बाद उसने बच्चों के साथ यौन संबंध बनाने वाले कई मनोरोगियों पर शोध करने के बाद अत्यंत ही घिनौना सिद्धांत पेश किया। उस सिद्धांत में उसने कहा कि वयस्क बच्चे का शिकार नहीं करते बल्कि बच्चा स्वयं शारीरिक सुख चाहता है। सिग्मंड महिलाओं के प्रति भी घिनौना नज़रिया रखता था। वह कहता था महिलाएं ही समाज की एक समस्या है।
ऐसा पता चलता है कि सिग्मंड के पिता भी विकृत मानसिकता वाले व्यक्ति थे। इसका असर सिग्मंड में भी आया था। विकृत कामुकता जैसे इस परिवार की लिगेसी बन गई थी। सिग्मंड का पोता क्लेमेंट फ्रायड भी विकृत मानसिकता वाला था। उस पर शिशु यौन उत्पीड़न के गंभीर आरोप लगाए गए थे। परंपरा आगे बढ़ती रही। सिग्मंड की बहन एन्ना ने स्वीकार किया कि पिता द्वारा उसके साथ हिंसक यौन उत्पीड़न किया जाता था। इन्ही एन्ना का आगे चलकर एक पुत्र हुआ। इसका नाम एडवर्ड रखा गया। एडवर्ड बर्नी को ‘फादर ऑफ़ प्रोपोगेंडा’ कहा जाता था। एडवर्ड ने अपने परिवार तक को अपने प्रोपोगेंडा अभियान में झोंक डाला था। सही मायने में इस व्यक्ति ने प्रचार अभियानों से ब्रेन वाश करने की परंपरा शुरु की थी, जिसे उसके ही परिवार के लोगों ने आगे बढ़ाया। जैसे महिलाओं को सिगरेट पीने के लिए प्रेरित किया गया। उन्हें कहा गया कि सिगरेट पीना स्वतंत्र नारीवाद का परिचय देता है।
जो लिगेसी सिग्मंड ने शुरु की वह आज भी जारी है और पहले से अधिक शक्तिशाली ढंग से बढ़ती जा रही है। ‘फादर ऑफ़ प्रोपोगेंडा’ कहे जाने वाले एडवर्ड बर्नी के परिवार के ही एक सदस्य मार्क रेंडाल्फ़ ने समाज को तोड़ने वाले नेटफ्लिक्स की नींव रखी थी। आज पश्चिम के देशों में नेटफ्लिक्स को लेकर जागरुकता आने लगी है। इसके प्रभावों को लेकर अध्ययन किया जा रहा है। और भारत में अब तक सरकार ये तय ही नहीं कर सकी है कि जिस दैत्य को हम घर में घुसा लाए हैं, अब उससे कैसे निबटे। अंत में एक बार फिर सिग्मंड फ्रायड की बात।
सिग्मंड अपने पिता द्वारा प्रताड़ित था लेकिन साथ ही वह कार्ल जंग, चार्ल्स डार्विन जैसे लोगों से प्रभावित हुआ था। एक गलत विचारधारा को लोगों के रक्त में प्रवाहित करने के लिए कभी कभी दो सौ साल से अधिक का समय भी लग जाता है। सिग्मंड से क्लेमेंट, अन्ना से एडवर्ड और एडवर्ड से मार्क रेंडाल्फ़ तक इस काम में खपा दिए गए हैं। अंग्रेज़ हमारे यहाँ व्यापारी बनकर आए थे और अब नेटफ्लिक्स हमारे यहाँ मनोरजंन बनकर आया है। दोनों ही मौकों पर हम सोये रहे हैं।