जब बेहतर, बेदाग और ईमानदार लोगों को अवसर मिलता है तो हताश समाज और देश नवीन सपने संजोता है।
हर तुक्केबाज शतप्रतिशत फेल!निर्मला सीतारमन देश की रक्षा मंत्री। मोदी के नए नवरत्न में एक का भी नाम मीडिया को अंत तक नहीं मालूम था। और शपथ ग्रहण के बाद किसी के मंत्रालय का तुक्का नहीं जमा। अच्छा लगा आज सभी संपादकों ने स्वीकार कर लिया क्या होगा ये बस यही दोनों जानते है। जब कभी इन दोनों को साथ देखता हूँ तो लगता है 12 साल तक हर तरीके से षडयंत्र कर सत्ता के लिये पत्रकारिता करने वालों के छाती पर सांप कैसे लौटता होगा।
सोचता हूँ जो गुजरात के लोकतंत्र का लगातार अपमान कर ये कहते थे की पूरा देश गुजरात नहीं। गुज़रात की सोच साम्प्रदायिक है। उन तमाम सत्ता के दलालों के मुंह से आज यह सुन कर की पत्रकारिता सत्ता के खिलाफ होनी चाहिये हँसी आती है। पूरी पत्रकारिता इस गुमनाम सी जोड़ी के खिलाफ, 12 साल तक टीम सोनिया की चाकरी करने वाले ,वाजपेयी सरकार की कब्र खोदने के चक्कर में इन दोनों कस्बाई नेता को कब परम शक्तिशाली बना गए उन्हें पता ही नहीं चला।
साजिश करने वाले प्रधानमंत्री संग विदेश जाते विमान में फोटो खींचने की बीमारी से ग्रसित थे। आज ये बिलकुल सपने सा हो गया। ये फोटोबाज़,ट्रांसफर पोस्टिंग की तरह केंद्र में मंत्रालय दिलाने का ठेका लेते थे। याद है न राडिया टेप के दलाल। आज अपने हालात को देख कर यदि कहे की देश बर्बाद हो रहा है तो उनके छाती पर मुंग दले जाने का मर्म बुझियेगा।
इस नवरत्न का काजल की कोठरी में रहकर बेदाग, ईमानदार और कर्मठता, उम्मीद जगाता है कि अच्छे लोगों की दरकार है देश को। पैसे के बल पर जाति और मजहब के साथ जोड़ तोड़ के समीकरण से भारत के लोकतंत्र का मंदिर अब संचालित नहीं होगा। हां सुरेश प्रभु से रेल जाना साबित करता है कि यश सबके हाथ नहीं होता। ईश्वर बहुत कुछ तय करता है।