विपुल रेगे। अक्षय कुमार की फिल्म ‘ओह माय गॉड 2’ को लेकर बुधवार रात एक खबर ज़ोरो से फैली। खबर के अनुसार भारतीय सेंसर बोर्ड ने फिल्म को सर्टिफिकेट देने से इनकार कर दिया है। तमाम वेब पोर्टल्स और न्यूज़ चैनल्स इस खबर को चला रहे थे लेकिन किसी ने पुष्टि करना ज़रुरी नहीं समझा। भारतीय सेंसर बोर्ड और सूचना व प्रसारण मंत्रालय ने अब तक पुष्टि नहीं की है कि फिल्म को प्रमाण पत्र देने से इनकार कर दिया गया है। ऐसे में ये जानना बहुत कठिन हो चला है कि ‘ओह माय गॉड 2’ को लेकर सही स्थिति क्या है।
बुधवार की रात मीडिया की ओर से बताया गया कि फिल्म को सेंसर बोर्ड की परीक्षण समिति ने देखने के बाद पुनरीक्षण समिति को भेज दिया है। हालाँकि सेंसर बोर्ड की ओर से या इसके अध्यक्ष प्रसून जोशी की ओर से कोई बयान या आधिकारिक प्रेस रिलीज नहीं दी गई थी। ये बात हवा में ही है कि ऐसा कुछ हुआ था। दरअसल ये खबर बुधवार को ‘मिशन इम्पॉसिबल’ रिलीज होने के बाद ही बाहर आई है। इस हॉलीवुड फिल्म में ‘ओह माय गॉड 2’ का टीजर दिखाया गया था। इसके टीजर पर सेंसर बोर्ड का ये कथन लिखा आया कि ‘इस फिल्म को अभी सेंसर बोर्ड से प्रमाण पत्र मिलना बाकी है।’
मीडिया की सारी खबरे इस ट्रेलर के बाद ही पटल पर आई है। जब ये खबर बाहर आई तो कुछ मीडिया संस्थानों ने सेंसर बोर्ड से बात करने का प्रयास किया लेकिन सेंसर बोर्ड ने मीडिया से बात ही नहीं की। टाइम्स ऑफ़ इंडिया समूह के ई-टाइम्स की ओर से कोशिश की गई लेकिन कोई जवाब नहीं दिया गया। नियम कहता है कि ट्रेलर को दिखाने के लिए भी सेंसर बोर्ड से प्रमाण पत्र की आवश्यकता होती है। इस केस में एक ‘वॉटर मार्क’ लगाकर ये छुपाने के प्रयास हुए कि सर्टिफिकेट ‘देकर भी नहीं दिया गया है।’ बुधवार को थियेटर्स में ये ट्रेलर दिखाया गया है, इसका मतलब सेंसर बोर्ड की इजाज़त के बाद ही इसे दिखाया गया।
सेंसर बोर्ड का आधिकारिक ट्वीटर हैंडल इस बारे में कुछ नहीं बता रहा है। सूचना व प्रसारण मंत्री अनुराग ठाकुर लद्दाख में 14 हज़ार फ़ीट की ऊंचाई पर हैंडपंप चला रहे हैं और सेंसर बोर्ड के अध्यक्ष प्रसून जोशी एयर इंडिया की ब्रांडिंग में व्यस्त हैं। महादेव का अपमान तो छोटी बात है, पहले ये महानुभाव अपने आवश्यक कार्य तो निपटा लें। ये तथ्य तो पहले से ही पब्लिक डोमेन में है कि ये फिल्म सेक्स एजुकेशन पर आधारित है। यदि सच में ऐसा है तो प्रसून जोशी से बिना विलंब त्यागपत्र मांग लेना चाहिए। मीडिया में आ रहे समाचार बता रहे हैं कि धर्म के अपमान पर ये सरकार कितनी सजग है। इस सरकार की सजगता तो हम ‘आदिपुरुष’ के समय बखूबी देख चुके हैं।
जब सरकार को पता है कि ‘आदिपुरुष’ के समय उन्हें कितनी आलोचना झेलनी पड़ी थी तो इस फिल्म को लेकर उसका रवैया ढुलमुल क्यों है? क्या इसलिए कि अक्षय कुमार के सरकार से मधुर संबंध हैं ? मनोज मुन्तशिर से मधुर संबंध निभाए गए। इतना विरोध हुआ लेकिन फिल्म थियेटर्स में चलती रही। ‘ओएमजी 2’ के दृश्यों को देखकर कतई नहीं लग रहा कि फिल्म धार्मिक मान्यताओं को बढ़ावा दे रही हो। यदि इसे सर्टिफिकेट दिया जाता है तो मानकर चलिए कि कांग्रेस और अन्य विपक्षी दलों के पास इस सरकार पर प्रहार करने के लिए एक मजबूत मुद्दा होगा।