योगी अरविन्द, जो कि कुंजापुरी, नरेंद्रनगर, टिहरी में रहते हैं, विगत सात वर्षों से पौधे लगाने का अभियान चला रहे हैं। वृक्षों के प्रति प्यार से शुरू हुआ उनका अभियान पहले कुछ साल तक निजी कर्मयोग तक सीमित रहा जो अब एक करोड़ वृक्ष लगाने के संकल्प में परिवर्तित हुआ हैं। इस उद्देश्य से उन्होंने कोटिवृक्ष फ़ाउंडेशन नाम की संस्था की स्थापना की हैं।
2012 में प्रारम्भ अपनी अध्यात्म यात्रा के दरम्यान दक्षिण से उत्तर भारत तक, कन्यकुमारी से कश्मीर तक यात्रा में योगीजी को इस बात का अहसास हुआ की भारत में वृक्ष लगाने के बारे में बहुत उदासीनता हैं। आम जन में, किसानों में, ग्रामीणों में पौधे सहज लगाने का जो सिलसिला था वो कई क्षेत्रों में थम सा गया हैं। कुछ साधुओं के आश्रमों के सिवा और कुछ आयुर्वेदिय महाविद्यालयों और कुछ जिलों के किसानों के सिवा आयुर्वेदिक वनस्पति के पौधे तो कोई लगाता भी नहीं। उन्होंने अपनी यात्रा के दौरान आश्रमों, मंदिरों में पौधें लगाना प्रारम्भ किया।
योगी जी द्वारा कश्मीर में श्रीनगर, कर्नाटक, राजस्थान, महाराष्ट्र, गुजरात, उत्तराखंड में पौधे लगाए गए। किसानों को प्रशिक्षित कर उन्हें पौधे लगाने के लिए प्रेरित किया। पौधा उपलब्ध करवाना, गड्ढे बनाना, जल आपूर्ति के लिए सहयोग करना इत्यादि माध्यम से अबतक योगी अरविन्द ने 21,000 से अधिक पौधे लगाए हैं।
वृक्षारोपण के पहले कुछ वर्षों में किसानों को पंच पल्लव पौधे लगाने के लिए प्रेरित किया गया। बड़, पीपल, गुल्लर, जामुन, नीम इन पाँच को पंच पल्लव कहा जाता हैं। कुछ क्षेत्रों में इन पंच पल्लव में एक दो प्रजाति अलग मानी जाती हैं जैसे आँवला, बेलपत्र, शमी या अर्जुन। नदी और तालाबों के किनारे हज़ारों अर्जुन के पेड़ लगाए। पानी की कमी वाले जगह गूलर के पेड़ लगाने से वातावरण में नमी बढ़ने से आसपास के पौधों के जल्द गति विकास का प्रत्यक्ष उदाहरण प्रस्तुत किया।
अपनी भारत यात्रा के दरमियान श्री अरविन्द ने अनुभव किया की भारत का वन क्षेत्र बहुत घट चुका हैं और तेज़ी से घट रहा हैं। अमरकण्टक, पंचमढ़ी, पश्चिम घाट, हिमालय, और उत्तर पूर्व के राज्यों के जंगल ही घने, बहुप्रजातीय और आयुर्वेदिक प्रजातियों से भरपूर बचे हैं। इनके अलावा अनेक क्षेत्रों में अत्यधिक पेड़ कटाई के वजह से भूमि का स्खलन होना, भूमि रेगिस्तान होना, जलस्तर घटना जैसी परिस्थितियाँ उत्पन्न हुई हैं।
हिमालय और शिवलिक क्षेत्र में भी तेज़ी से घने जंगल पतले हों रहे हैं। इन पहाड़ों में फलदार वृक्षों की कमी होना, पशु को चारा उपलब्ध कराने वाले पेड़ों का कटना इन वजहों से स्थानीय जनजीवन पर विपरीत प्रभाव पड़ा हैं। चीड़ के वृक्षों का अंग्रेज़ों द्वारा बड़े पैमाने पर लगाए जाना अपनी आप में समस्या का रूपधारण कर चुका हैं। चीड़ के पेड भूमि को सुखाते हैं, जलस्तर कम करते हैं, उनकी पत्तियाँ जहाँ गिरती हैं वहाँ कोई जडी-बूटी, घास उगती नहीं और मुख्य बाधा पशुओं के लिए होती हैं जों कई बार इन पत्तों पर फिसलकर खाई में गिरते हैं। चीड़ से तापमान में बढ़ोतरी भी होती हैं।
इन परिस्थितियों की पार्श्वभूमि में कोटिवृक्ष फ़ाउंडेशन ने 2018 से फलदार, छायादार, चारा देनेवाले और औषधि वृक्ष लगाने का हिमालय वृक्ष अभियान प्रारम्भ किया हैं। सत्ताईस गाँव चिन्हित कर वहाँ प्रशिक्षण देकर, नर्सरी बनाकर, पौधे लगाने की योजना हैं। इन सत्ताईस गावों में अब तक 43 प्रजातियों के 7701 वृक्ष लगाए गए हैं। 4300 विद्यार्थी और ग्रामीणों से प्रत्यक्ष संवाद के माध्यम से पर्यावरण और अध्यात्म का प्रबोधन किया गया हैं।

हिमालय वृक्ष अभियान के तहत हीं छप्पन हज़ार बीज भी हिमालय क्षेत्र में बाँटे और बोए गए हैं। हिमालय में रास्ते बनाते समय जंगल दबानेवाली मिट्टी में बीज बोना इस अभियान का अनोखा पहलू रहा हैं। जामुन, आँवला, अमलतास, बेलपत्र, भिमल, बांज, कचनार जैसे पेड़ों के और बाँस, शतावर जैसे भूमि को पकड़ रखनेवाली वनस्पतियों के बीज बोएँ गए हैं।
योगी अरविंद अपनी योग की शिक्षा जिन देसी, विदेशी विद्यार्थियों को देते हैं उससे प्राप्त धनराशि का उपयोग इस कार्य हेतु किया गया। पिछले एक दो वर्षों में वृक्षारोपण हेतु दान कि अपील कर उन्होंने राशि जुटाईं। कोटि वृक्ष फ़ाउंडेशन की स्थापना के बाद अब और सुचारू ढंग से बड़े वृक्षारोपण अभियान चलायें जा रहें हैं। कंपनियों के CSR फ़ंड के माध्यम से धनराशि जुटाने की भी योजना हैं।
योगी अरविंद का मानना हैं कि पौधे लगाना, उनको पानी देना, उनकी देखभाल करना, उनकी सुरक्षा करना, उनको बड़े होते देखना एक चेतना को विकसित करने की प्रक्रिया हैं। यह योग के यमनियम सिद्धांतों का पालन करने का, समझनेका मौक़ा हैं। अतः हर अध्यात्म वादी , योगमार्ग पर चलनेवाले व्यक्ति ने पौधारोपण करना एवं किसान को समझना आवश्यक हैं। उससे चेतना का विकास होता हैं।
कोटि वृक्ष फ़ाउंडेशन के द्वारा हर पौधारोपण या पौधा वितरण कार्यक्रम से पहले ग्रामीणों को शपथ दिलाई जाती हैं की, “वह फलदार, छायादार वृक्ष लगाएँगे। वृक्ष की सुरक्षा बच्चों की सुरक्षा समान करेंगे। वृक्ष लगाकर गाँव को आदर्श ग्राम और स्वयं को आदर्श मानव बनाएँगे।”
वृक्षारोपण मानव चेतना को ईश्वरीय चेतना से जोड़नेवाला एक अद्भुत ध्यान अनुभव एवं माध्यम हैं ऐसा योगी अरविंद का मानना हैं।
URL: plant a tree initiative by koti vriksha foundation
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