Yindu Ren. नदी के एक किनारे से दूसरे किनारे तक, घाटों पर नाव चलाने वाले मल्लाह कहे जाते है मेरी जानकारी में सबसे प्राचीन दो मल्लाह के नाम, केवट और दशराज है, एक ने साक्षात प्रभु श्रीराम को नदी पार करवाया था, जबकि दूसरा हस्तिनापुर के महाराज शांतनु के श्वसुर, हमारा इतिहास बताता है कि मल्लाह सदैव से हमारे समाज के अभिन्न “सम्मानित” अंग रहे है नदी तट पर, घाटों पर किए जाने वाले हमारे कई धार्मिक क्रियाकलापों, अनुष्ठानों में इन का महती योगदान रहता है
लोकीतन्त्र की डेमोक्रेसी वाली सरकार ने इन मल्लाहों को OBC लिस्ट में डालकर, इन को पिछड़ा बताकर हिंदुओं में एक भेद तो उत्पन्न किया ही, साथ ही इस्लाम स्वीकारने वाले, या वह मुसलमान जो इस व्यवसाय में आए, वह भी खुद को मल्लाह कहने लगे, धीरे धीरे हिंदुओं के अन्य ब्लू-कॉलर बिजनेस की तरह मुसलमानों ने इस में से हिंदुओं को रिपलेस कर रहे है/ कर चुके है अब परिस्थिति यह है कि ज्यादातर मुसलमान मल्लाह गिरोह बनाकर रहते है, अपने बीच हिन्दू को भगा कर बिजनेस पर कब्जा कर लेते है, साथ ही इन के बच्चे OBC रिजर्वेशन से मिलने वाले हर लाभ का हर संभव फायदा उठाते है, कई तो SC में भी लिस्टेड है
यह चित्र बदायूँ में लगने वाले ककोड़ा मेले का है, जिसे रूहेलखण्ड/ रामपुर का मिनी कुम्भ भी कहते है, गंगा जी के पावन जल से सिंचित यही मैदानी इलाका कभी पञ्चाल कहलाता था, पञ्चाली यानि कृष्णा(द्रौपदी) यही से थीं, इस मेले को आज ककोड़ा कहा जाता है, पुराना नाम कुछ और रहा होगा
आज इस मेले में चलने वाली नावों के मल्लाहों के नाम देख लीजिए, सारे म्लेच्छ नाम, विशुद्ध सनातन की भूमि पर, नाथ पंथ के एक योगी के मुख्यमंत्री रहते हुए भी (हालांकि ये मल्लाह काफी पहले से है), हिंदुओं के धार्मिक क्षेत्र में घुसपैठ कर गए इन नामों को देख कर दुःख और क्षोभ से मन भर जाता है, और उस पर दुर्दशा यह कि ये रजिस्टर्ड मल्लाह है, इन का कोई मुस्लिम ठेकेदार होगा, जो सरकारी ठेके लेकर इन को रोजगार देता होगा, जैसे वह गुजरात वाला मुस्लिम ठेकेदार जो पश्चिम बंगाल से रोहींगया-बंग्लादेशियों को मजदूर बनाकर लाया था काशी में मंदिरों को तुड़वाने के लिए, हिन्दू मजदूर तैयार नहीं इस महापाप के लिए
मुझे इस में एक शंका और होती है, मोदी सरकार आने के बाद से सब के अकाउंट खोले गए, कैश का फ़्लो कम कर के, ज्यादातर बैंक ट्रांसफर से ही पेमेंट किया जाता है, किसान-मजदूर सब को, इस की आड़ में लाखों-करोड़ों रोहींगया-बंग्लादेशियों के अकाउंट खोले गए होंगे पेमेंट के लिए (उस के डॉक्युमेंट्स जुगाड़ से बने होंगे), इंडिया में बैंक अकाउंट आई डी और एड्रैस प्रूफ के लिए चल जाता है, और धीरे धीरे इसी के सहारे, इन के सारे डॉक्युमेंट्स तैयार हो जाते है, और हम-आप अपना माथा पीट कर रह जाते है कि इन रोहींगया-बंग्लादेशियों के पास डॉक्युमेंट्स कैसे आ जाते है, और इन को सरकारें लीगली कैसे बसा रही है ?!! खेल बड़ा है, हिंदुओं के धार्मिक स्थलों, जहाँ वह अपने धर्म से संबंधित क्रियाकलाप, पूजा अनुष्ठान इत्यादि करते है, वहाँ पर फील्डिंग सेट की जा रही है!