अर्चना कुमारी। तेलंगाना हाई कोर्ट की दो न्यायाधीशों की पीठ ने प्लास्टर ऑफ पेरिस (पी ओ पी) से बनी भगवान गणेश की मूर्तियों के निर्माताओं के पक्ष में अंतरिम निर्देश देने से इनकार कर दिया। बताया जाता है कि न्यायाधीश ने प्रदूषण की दृष्टि से चिंता व्यक्त की,और कहा कि नागरिक, अधिकारी और राज्य सरकार हुसैन सागर झील में प्लास्टर ऑफ पेरिस से बनी गणेश मूर्तियों के विसर्जन के खिलाफ सुनिश्चित करने के अदालत के निर्देशों की अनदेखी कर रही हैं।
लंबे समय से लंबित यह कानूनी मुद्दा पिछले साल समाप्त हो गया था जब उच्च न्यायालय ने एक आखिरी मौके के रूप में मूर्तियों के कंडीशनिंग विसर्जन की अनुमति दी थी। राज्य सरकार ने शीर्ष अदालत को यह वचन भी दिया कि वह हुसैन सागर में भगवान गणेश की प्लास्टर ऑफ पेरिस की मूर्तियों के विसर्जन के खिलाफ सुनिश्चित करने के निर्देश का सख्ती से पालन करेगी।
पीठ ने सोमवार को एसोसिएशन द्वारा दायर रिट याचिका पर सुनवाई करते हुए इस बात पर चिंता व्यक्त की कि आदेश का अनुपालन सुनिश्चित नहीं करने में सरकार किस तरह से मिलीभगत कर सकती है।
मुख्य न्यायाधीश आलोक अराधे ने बताया कि झील के पास बड़ी बड़ी क्रेनें रखी हुई हैं, जो पीओपी आधारित मूर्तियों को विसर्जित करने की तैयारी की संभावना का सुझाव दे रही थीं। न्यायालय ने स्पष्ट किया कि वे हुसैन सागर छोड़ कर छोटे छोटे तालाब के लिए अनुमति थी, और सरकार यह सुनिश्चित करने के लिए सभी आवश्यक कदम उठा रही है कि अदालत के आदेश का कोई उल्लंघन न हो।
पीठ ने कहा कि प्रतिबंध के बावजूद लोगों को पीओपी मूर्तियां विसर्जित करने के लिए प्रोत्साहित किया जा रहा है।
अब सोमवार रात को भारी संख्या में पीओपी गणेश मूर्तियों के आयोजको ने हुसैन सागर के किनारे टैंक बंड पर धरने पर बैठ गए थे, हाई कोर्ट के आदेश के खिलाफ धरने पर बैठ गए थे और राज्य सरकार के खिलाफ नारे लगाए।
उनकी मांग है कि हुसैन सागर में पीओपी की गणेश की मूर्तियों की विसर्जन करने की अनुमति दी जाए, यह रीति 70 सालों से चली आ रही है।
शहर के बीचोबीच स्थित हुसैन सागर झील को प्रदूषण से बचाने के लिए हर साल विसर्जन के पहले मामला अदालत तक पहुंच जाता है। श्रद्धालुओं को प्रदूषण से बचने के लिए मिट्टी की मूर्तियां बनाने के लिए प्रोत्साहित करते हैं, मगर कोई यह आदेश मानने के लिए तैयार नहीं है, जैसे प्रदूषण और वातावरण से उनका कोई लेना देना नहीं है।
वैसे हाई कोर्ट का आदेश भी आखिरी समय में आना, आयोजकों के लिए हाथ में समय नहीं होने की वजह से वे हर साल विरोध प्रदर्शन करते हैं, फिर अदालत, सरकार को झुकना पड़ता है।
सरकार मिट्टी की मूर्तियों के लिए ज्यादा प्रोत्साहित नहीं करती है, शुरू से पीओपी की मूर्तियों पर रोक नहीं लगाती है।