विपुल रेगे। कमल हासन की ‘हिंदुस्तानी’ सन 1996 में प्रदर्शित हुई थी। नब्बे के दशक में बनी ये फिल्म भ्रष्टाचार में आकंठ डूबे तात्कालिक भारत को दिखाती थी। सत्ताईस वर्ष बाद इसका दूसरा भाग प्रदर्शित होने जा रहा है। ये फिल्म 2024 की शुरुआत में प्रदर्शित होगी। फिल्म का विषय फिर से भ्रष्टाचार ही है क्योंकि लगभग ढाई दशक में घूसखोरी की जड़े मिटने के बजाय और गहरी होती चली गई। यदि ये फिल्म आम चुनाव से पहले रिलीज कर दी गई तो निश्चित ही ‘जवान’ की भांति लोगों को सोचने पर मजबूर कर सकती है।
जिन दर्शकों ने नब्बे के दशक में ‘हिन्दुस्तानी’ थियेटर्स में देखी होगी, उनमे से अधिकांश आज पचास या उसके पार जा चुके हैं। भारत में ‘पचास बरस’ का आम आदमी एक ‘टाइम लाइन’ की तरह होता है, जिसकी आंखों में झांककर देश का अतीत देखा जा सकता है। उन आँखों में केवल अतीत ही नहीं होता बल्कि वर्षों से मन में जमा आक्रोश भी होता है। ये आक्रोश उस सिस्टम की देन है, जिसने स्वतंत्रता के बाद से ही घूसखोरी को देश का चलन बना दिया।
सिस्टम की मार सहते हुए उम्र का अर्द्ध शतक लगाना आसान नहीं होता। पारिवारिक ज़िम्मेदारियों के चाबुक उसकी पीठ पर पड़ते रहते हैं। जिन्हें सहलाता हुआ वह देश हित में अपनी हड्डियों को नमाता चला जाता है। थियेटर्स में ‘हिन्दुस्तानी’ देख चुके अधिकांश दर्शक आज यही महसूस करते हैं कि ‘सिस्टम’ की कालिख साफ़ तो नहीं हुई बल्कि और गाढ़ी होकर देश की किस्मत पर चिपक गई है।
‘हिंदुस्तानी’ का नायक ‘सेनापति’ एक तीव्रवादी था। उसने अंग्रेज़ो से लड़ाई लड़ी लेकिन अपने देश के ‘काले अंग्रेज़ों’ से हार गया। विवश होकर सेनापति ने प्रण लिया कि रिश्वत लेने वाले हर हाथ को काट देगा। पहले भाग में सेनापति ने अपने ही घूसखोर बेटे को मार दिया था। उसके बाद वह गायब हो गया। शंकर की इस फिल्म ने बॉक्स ऑफिस पर चमकदार प्रदर्शन किया था। अब शंकर फिल्म का दूसरा भाग प्रदर्शित करने जा रहे हैं। लगभग ढाई दशक के अंतराल के बाद फिल्म मेकिंग में ज़मीन-आसमान का अंतर आ गया है। पहली ‘हिन्दुस्तानी’ में स्पेशल इफेक्ट्स कमज़ोर थे और वीएफएक्स की शुरुआत भारत में नहीं हुई थी।
‘इंडियन 2’ का ट्रेलर रिलीज हो चुका है। निर्देशक शंकर भारत की नब्ज़ को अच्छी तरह पकड़ते हैं। वे सामाजिक मुद्दों को शानदार ढंग से अपनी फिल्मों में प्रस्तुत करते आए हैं। विषय इस बार भी ‘भ्रष्टाचार’ ही है। ट्रेलर से झलक मिलती है कि सेनापति के जाने के बाद भारत में भ्रष्टाचार और भी भयानक ढंग से फैल गया है। अब तो ये एक व्यवस्था का रुप ले चुका है। ऐसे में सेनापति एक बार फिर भारत की खरपतवार उखाड़ने का एलान करता है। ये फिल्म दर्शकों को वैसे ही प्रभावित कर सकती है, जैसे शाहरुख़ खान की ‘जवान’ ने किया था।
हम वर्तमान में देख पा रहे हैं कि भारत में ‘भ्रष्टाचार का अमृत काल’ चल रहा है। महंगाई कमर तोड़ रही है। मध्यमवर्ग पिस रहा है और सरकार अपनी कामयाबी के कसीदे गढ़ने में व्यस्त है। 41 मज़दूर बीस दिन से एक सुरंग में फंसे हैं लेकिन राष्ट्रीय पटल पर नाना प्रकार के उत्सव चल रहे हैं। कमल हासन के अभिनय वाली ये फिल्म अप्रैल 2024 में रिलीज हो सकती है। उस समय देश में चुनाव की गर्मी चरम पर होगी। ऐसे में ‘सेनापति’ की परदे पर वापसी देश के सीने में पलते दर्द को ‘सांग ऑफ़ नेशन’ बना सकती है।