श्वेता पुरोहित। इन्दौरमें रामबाई नाम से एक बहुत बड़ी साधक भक्त थी, जिसने राम नाम का तेरह कोटि जप किया था। आगे चलकर वह अखण्ड राम नाम में लगी रहती थी। प्रातः स्नान वगैरह करके वह नाम जप करने बैठ जाती थी, जो लगभग ग्यारह बजे तक चलता था। इसके बाद श्री राम जी की आरती करके, उन्हें नैवेद्य दिखाकर सबको प्रसाद बाँटती थी। अनेक नये आये हुए भक्तों के साथ वह राम नाम पर चर्चा करती थी।
उसके पास आनेवाले कई भक्त लोग उसको अत्यन्त आदर भाव से देखते थे और सहयोग के रूपमें उसको मनी ऑर्डर भेजा करते थे। वे मनी ऑर्डर रामबाई प्राप्त करती थी और चूँकि उसे लिखना नहीं आता था, अतः पोस्टमैन जो मनी ऑर्डर का फॉर्म लाता, उसपर अँगूठा लगाया करती थी। उस अँगूठा लगाये हुए निशान में ‘श्रीराम’ लिखा हुआ स्पष्ट दीखता था। क्या असाधारण साधना रही होगी रामबाई की, जिससे रामनाम उसके पूरे शरीर में फैल गया था।