सुप्रीम कोर्ट ने समलैंगिकता को अवैध बनाने वाली धारा IPC 377 को समाप्त कर दिया है। पांच सदस्यीय संविधान पीठ ने 377 को मनमाना और अतार्किक बताते हुए निरस्त कर दिया है। इस पर सभी न्यायधीशों की एक राय थी कि समलैंगिक संबंध अपराध नहीं है।
वामपंथ और सेक्स का रिश्ता बेहद गहरा है, दूसरी तरफ राष्ट्रवादी हैं जो शुतुरमुर्ग की तरह कहते हैं, संदीप जी आप प्लीज इस सब पर मत लिखिए!
अब बिना सेक्स को समझे वामपंथ को समझ जाओगे? कमाल है! छठी-सातवी़ सदी के वज्रयानी वामाचार से लेकर आधुनिक मार्क्सवादी वामपंथ तक सेक्स इस विचार के मूल में है! युवा ऐसे थोड़े न वामी बनने को लालायित रहते हैं?
वज्रयानी वामाचार में मद्य, मांस, मत्स्य मुद्रा और मैथुन- ये पंच मकार थे। आधुनिक वामपंथ में- मोहम्मद, मसीह, मार्क्स, मैकाले और माओ- ये पंच मकार है, जिनके लिए मैं अकसर M5 शब्द का उपयोग करता हूं।
मार्क्सवादी क्रांति में ‘कामरेड’ भी इस ‘समलैंगिक-सेक्स’ की उपज है। असल में कामरेड लेटिन(मसीहवादी यूरोप-मैकालेवादी की दुनिया) शब्द CAMERA व इटली के शब्द CAMARA से बना है, जिसका मतलब होता है एक साथ रहना। फारसी (मोहम्मदवादियों की दुनिया) में यह कमर हो गया, जिसका मतलब होता है पेट व नितंब के बीच का भाग। इस CAMERA, CAMARA और कमर से कमरा बना। यानी यह सारा शब्द एक कमरे में साथ रहने वाले के अर्थ में तब्दील हो गया। यहीं से साम्यवाद-समाजवाद (मार्क्स-माओ की दुनिया) में ‘कामरेड’ (CAMARADA) साथी और समलैंगिकता का मिश्रण बन गया! ‘कामरेड’ का मतलब हो गया एक कमरे में रहने वाले साथी!
माओ की क्रांति के बाद धीरे-धीरे चीन में समलैंगिकों के लिए प्रयुक्त होने वाला ‘टोंगझी’ शब्द मिटता गया, और समलैंगिक संबंध के लिए भी ‘कामरेड’ शब्द प्रयुक्त होने लगा। माओ के बाद इस शब्द को चीन की सत्तारूढ़ कम्युनिस्ट पार्टी ने बढ़ती बदनामी के कारण हटा दिया। लेकिन माओ के बाद चीन के सबसे ताकतवर नेता के रूप में उभरे वहां के वर्तमान राष्ट्रपति शी-जिंग-पिंग ने नवंबर 20160 में चीन की सत्तारूढ कम्युनिस्ट पार्टी के सभी सदस्यों के लिए आदेश जारी कर दिया कि सभी एक-दूसरे को कॉमरेड कहना शुरू करें।
अरब वर्ल्ड और इसलाम में आरंभ से समलैंगिकता रहा है। यहां तक कि वहां पशु-मैथुन तक का रिवाज रहा है। अभी भारत के मेवात मे़ं कुछ मजहबियों द्वारा गर्भवती बकरी के रेप की खबर आप सब ने पढ़ी होगी। यूरोप खुद समलैंगिकता सी पीड़ित रहा है। जिस राहुल गांधी ने समलैंगिकों को अधिकार दिलाने के लिए जोर-शोर से प्रयास किया था, उन्हीं के नाना और वामियों-कांगियों के आदर्श जवाहरलाल नेहरू ने ‘डिस्कवरी ऑफ इंडिया’ में साफ लिखा है कि ‘समलैंगिकता यूरोप की देन है।’
अब जब आज के आधुनिक ‘पंच-मकार’ एक साथ समलैंगिक आंदोलन चला रहे थे, तो भला माननीय न्यायधीशों का वर्ग कैसे नहीं मानता? सो, आज से सारे ‘पंच-मकार’ (M5) मिलकर ‘समलैंगिक-खेल’ खुलकर खेलेंगे! आखिर माननीयों के आदेश के बाद वह अपनी जड़ों को बहाल करवाने में सफल जो हुए हैं!
नोट: समलैंगिकता पर अन्य खबर के लिए पढ़ें
URL: Supreme Court said homosexuality is not crime-1
Keywords: Homosexuality, Supreme Court, Left-wing, Sandeep Deo Blog, LGBT, M-5, सुप्रीम कोर्ट, समलैंगिकता, पंच-मकार, धारा 377, आईपीसी, वामपंथ