टेलीफोन एक्सचेंज घोटाले में फंसे मारन बंधुओं (दयानिधि मारन और कलानिधि मारन) को बुधवार को उस समय गहरा धक्का लगा जब हाई कोर्ट ने उनके खिलाफ 12 सप्ताह के अंदर आरोप तय करने का आदेश जारी कर दिया। मद्रास हाईकोर्ट के जज ने ट्रायल कोर्ट द्वारा इस मामले में दोनों भाइयों को दी गई क्लीन चिट को भी निरस्त कर दिया है। हाईकोर्ट के जज ने सीबीआई से मारन बंधु के खिलाफ आरोप तय करने के साथ ही इसकी जल्द सुनवाई सुनिश्चित करने को कहा है।
मुख्य बिंदु
* मद्रास हाईकोर्ट ने टेलीफोन एक्सचेंज घोटाले में ट्रायल कोर्ट द्वारा मारन बंधु को दी गई क्लीन चिट को किया निरस्त
* मद्रास हाईकोर्ट के जज ने सीबीआई को 12 सप्ताह के अंदर मारन बंधु के खिलाफ आरोप तय करने का दिया आदेश
मालूम हो कि दयानिधि मारन और कलानिधि मारन के खिलाफ चल रहे टेलीफोन एक्सचेंज घोटाला मामले में ट्रायल कोर्ट ने दोनों भाइयों को क्लीन चीट दे दी थी। ट्रायल कोर्ट के फैसले को मद्रास हाईकोर्ट में चुनौती दी गई थी। बुधवार को सुनवाई के दौरान मद्रास हाईकोर्ट के जज जी जयचंद्रन ने ट्रायल कोर्ट के क्लीन चिट वाले फैसले को न केवल रद्द कर दिया बल्कि उसे गलत और अवैध भी बताया। इसके साथ ही डीएमके के संरक्षक एम करुणानिधि भतीजे मारन बंधु के खिलाफ सीबीआई को 12 सप्ताह के अंदर आरोप तय करने का भी आदेश दे दिया। जज ने सीबीआई से इस मामले में शीघ्र सुनवाई शुरू करने की प्रक्रिया सुनिश्चित करने को कहा है। मद्रास हाईकोर्ट का यह आदेश मारन बंधुओं के लिए बड़ा झटका माना जाता है।
गौरतलब है कि मारन बंधु द्वारा अवैध टेलीफोन एक्सचेंज घोटाले का खुलासा 2011 में प्रसिद्ध पत्रकार तथा ऑडिटर एस गुरुमूर्ति ने किया था। साल 2005 के मध्य में तत्कालीन टेलीकॉम मंत्री दयानिधि मारन ने अपनी ताकत का दुरुपयोग करते हुए सन टीवी ग्रुप के मुख्यालय में 764 टेलीफोन लाइन स्थापित कर दिये थे। गौरतलब है कि सन टीवी ग्रुप उन्हीं के परिवार का मीडिया ग्रुप है। मारन ने सन टीवी चैनल के मुख्यालय से टेलीफोन लाइन का लिंक अपने घर तक लगवाया था।
जस्टिस जी जयचंद्रन के फैसले से यह भी खुलासा हुआ है कि किस प्रकार ट्रायल कोर्ट ने इतने साफ मामले में भी एक तरफा फैसला सुनाया है। इस फैसले में बेईमानी साफ दिखती है। मारन बंधु के घोटाले का खुलासा करने के बाद गुरुमूर्ति ने साल 2012 में सुप्रीम कोर्ट तथा सीबीआई का रुख किया। आखिर में सीबीआई ने 2013 में इस मामले में एफआईआर दर्ज करने को राजी हुई। लेकिन उस समय इस जांच एजेंसी पर काफी दबाव था इसलिए इसकी जांच की राह में कई अवरोध लगाए गए। लेकिन जब 2014 में मोदी सरकार सत्ता में आई तो 2015 के मध्य में सीबीआई ने इस मामले में आरोप पत्र तो दाखिल कर दिया लेकिन, लेकिन गिरफ्तार कर हिरासत में लेकर पूछताछ करने से बचती रही।
अपनी चार्चशीट में सीबीआई ने कहा है कि दयानिधि मारन ने अपने आधिकारिक पद का दुरुपयोग करते हुए चेन्नई स्थित अपने आवास पर निजी टेलीफोन एक्सचेंज लगवाया था, तथा इसका उपयोग सन नेटवर्क के व्यावसायिक लेन-देन के लिए किया करता था। कलानिधि मारन एक अरबपति व्यवसायी होने के साथ ही सन ग्रुप के संस्थापक हैं जिनके पास कई मीडिया हाउस हैं।
गौरतलब है कि मोदी सरकार के सत्ता में आने से पहले ही मार्च 14 यानि यूपीए सरकार के कार्यकाल के दौरान ही विशेष सीबीआई कोर्ट ने इस मामले में दोनों मारन बंधुओं के अलावा अन्य पांच लोगों को सारे आरोपों से मुक्त कर दिया था। कोर्ट ने कहा था कि प्रथम दृष्टया इन लोगों के खिलाफ कोई मामला नहीं बनता है। लेकिन अब जब हाईकोर्ट ने ट्रायल कोर्ट के फैसले को रद्द कर मारन बंधुओं के खिलाफ फिर से आरोप तय करने का आदेश दिया है तो अब लगता है कि उन्हें सुनवाई का सामना तो करना पड़ेगा।
URL:Telephone exchange scam madras HC sets aside order discharging maran brothers
Keywords: Illegal telephone exchange case, telephone exchange scam, Dayanidhi Maran, Kalanidhi Maran, Dayanidhi Maran case, S Gurumurthy Madras High Court, अवैध टेलीफोन एक्सचेंज केस, टेलीफोन एक्सचेंज घोटाला, दयानिधि मारन, कलानिधि मारन, एस गुरुमूर्ति, मद्रास हाईकोर्ट