अर्चना कुमारी । बांके बिहारी जी के मंदिर की भूमि को सरकारी रिकॉर्ड में कब्रिस्तान के रूप में दर्ज कर दिया गया था। बताया जाता है इस मामले को लेकर इलाहाबाद उच्च न्यायालय में सुनवाई चल रही थी। इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने कहा है कि बांके बिहारी मंदिर की भूमि की इंट्री सरकारी साक्ष्य में गलत तरीके से की गई थी। मंदिर की भूमि को गलत तरीके से कब्रिस्तान की भूमि दर्शाया गया था, जबकि मथुरा की छाता तहसील के शाहपुर गांव का गाटा संख्या 1081 का भूखंड प्राचीन काल से ही बांके बिहारी महाराज के नाम से दर्ज था।
उच्च न्यायालय ने गलत ढंग से की गई इस तरह की इंट्री को शून्य घोषित कर दिया । मथुरा जनपद के छाता तहसील के उपजिलाधिकारी को एक माह के अन्दर भूमि के रिकॉर्ड को ठीक करने का आदेश दिया है।ज्ञात हो‘श्री बिहारी जी सेवा ट्रस्ट; मंदिर का संचालन करता है। ट्रस्ट की ओर से याचिका दाखिल की गई थी। ट्रस्ट की याचिका में कहा गया था कि बांके बिहारी मंदिर की जमीन को राजनीतिक कारण से कब्रिस्तान के तौर पर दर्ज कर दिया गया था।
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मथुरा में बड़ी जीत।
कब्रिस्तान के तौर पर दर्ज कर दी गई थी बांके बिहारी मंदिर की जमीन।
उच्च न्यायालय ने कहा- एक माह में ठीक करें रिकॉर्ड
इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने अपने आदेश में कहा है कि बांके बिहारी मंदिर की भूमि की इंट्री सरकारी साक्ष्य में गलत तरीके से की गई थी।… pic.twitter.com/r6DbSKEIHU
— Panchjanya (@epanchjanya) September 16, 2023
उस समय साल 2004 में उत्तर प्रदेश में समाजवादी पार्टी की सरकार थी। उस समय सपा के नेता भोला खान पठान ने तत्कालीन मुख्यमंत्री मुलायम सिंह यादव को प्रार्थना पत्र दिया था। पत्र पर उस समय के मुख्य सचिव के आदेश पर मंदिर की जमीन को कब्रिस्तान की भूमि दिखा दिया ।ट्रस्ट ने इस संबंध में कई बार शिकायत की, लेकिन कोई कार्रवाई नहीं हुई। यह प्रकरण वक्फ बोर्ड में भी गया था। आठ सदस्यों की कमेटी ने अपनी रिपोर्ट में कहा कि मनमाने ढंग से इस जमीन को कब्रिस्तान के रूप में दर्ज किया गया है।
इसके बाद ट्रस्ट की ओर से इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने याचिका दाखिल की थी।इस मामले में हाईकोर्ट ने आदेश जारी करते हुए मंदिर की जमीन की सरकारी दस्तावेजों में गलत तरीके से हुई सभी एंट्रियों को रद्द कर दिया है। कोर्ट ने जमीन को 30 दिनों में बांके बिहारी मंदिर ट्रस्ट के नाम दर्ज किए जाने का आदेश दिया है।
मुस्लिम कब्रिस्तान कहते हैं तो हिंदू मंदिर कहते है, मथुरा के पास शाहपुर गांव है। इस गांव में एक पुराना चबूतरा है, जिसके ऊपर मजार बनी हुई है। चबूतरे के पास हर वक्त दो पुलिसकर्मी तैनात रहते हैं। ऐसा इसलिए गांव में रहने वाले हिंदू चबूतरे को बांके बिहारी मंदिर का अवशेष मानते हैं, जिसे मुगल बादशाह औरंगजेब ने तोड़ दिया था।
वहीं मुस्लिम समुदाय के लोग इस जगह को कब्रिस्तान बताते हैं।राम अवतार गुर्जर ने इस मामले में हाई कोर्ट में याचिका दाखिल की। इनके मुताबिक, बांके बिहारी मंदिर को हथियाने के लिए 70 साल से साजिश चल रही है। गांव में पहले सिर्फ हिंदू रहते थे, बाद में हरियाणा से मुसलमान आकर बस गए। उनका कहना है कि जमीन पर कब्जा करने की कोशिश 1970 में शुरू हुई थी।
राम अवतार ने बताया कि सपा के एक स्थानीय नेता ने लेखपाल के साथ कागजों में हेरा-फेरी की। अक्टूबर, 2019 में एक दिन मुस्लिम पक्ष के लोग इस स्थान पर बुलडोजर लेकर आए और चबूतरे के पास बने कुएं को तोड़ दिया। इसके बाद 15 मार्च, 2020 को चोरी-चुपके चबूतरे पर बना बिहारी जी का सिंहासन तोड़ दिया गया और मजार बना दी गई थी।