चीन सीमा पर स्थित भारत के अंतिम गांव ‘माणा’ का गौरवशाली इतिहास -बद्रीनाथ धाम से 3KM दूर है माणा गांव -गांव में एक चाय की दुकान पर लिखा है ‘हिंदुस्तान की अंतिम चाय की दुकान’ – महाभारत काल से है गांव का संबंध – माणा गांव में है स्वर्ग का रास्ता – इसी गांव से स्वर्ग गए थे पांडव
धरती पर मौजूद चारों धामों में भी सबसे पवित्र माना जाता है माणा गांव -भीम पुल है माणा गांव का आध्यात्मिक आकर्षण -महाबली भीम ने किया था पुल का निर्माण -स्वर्ग जाते समय पांडवों ने सरस्वती नदी से मांगा था रास्ता – शशरीर स्वर्ग जाना चाहते थे पांडव – सरस्वती ने नहीं दिया था रास्ता
महाबली भीम ने दो बड़ी-बड़ी चट्टानों को उठाकर नदी के ऊपर रख बनाया था पुल – इसी भीम पुल से नदी पार कर आगे गए थे पांडव – केवल युधिष्ठिर ही शशरीर जा सके थे स्वर्ग – युधिष्ठिर के साथ जो कुत्ता था, वो यमराज थे – द्रौपदी, सहदेव, नकुल, अर्जुन और भीम बीच में ही गिर पड़े थे
माणा गांव में है गणेश गुफा व व्यास गुफा – व्यास गुफा में वेद व्यास जी ने महाभारत को मौखिक रूप से बोला था व भगवान गणेश ने लिखा था – माणा गांव में स्थित तप्त कुंड अग्नि देव का है निवास स्थान – कुंड के पानी में बताए जाते हैं औषधीय गुण जिसमें डुबकी लगाने से ठीक होता है चर्म रोग
सरस्वती नदी हो चुकी है विलुप्त लेकिन माणा गांव में आज भी होते हैं दर्शन – गांव के आखरी छोर पर चट्टानों के बीच से गिरता है एक झरना गिरता हुआ दिखाई देता है – अलकनंदा नदी में मिलता है पानी आगे जाकर मिलता है झरने का – इसे ही माना जाता है सरस्वती नदी का उद्गम स्थल
100 मीटर बहने के बाद माणा के केशव प्रयाग में बहने वाली अलकनंदा नदी से मिल जाती है सरस्वती नदी – इसी कारण कहा जाता है गुप्त गामिनी – पतली धारा होने के बावजूद भी नदी के पानी की आवाज कान बंद करने पर कर देती है मजबूर
माणा गांव के पास है वसुधारा झरना – स्वर्ग जाते समय विश्राम करने के लिए यहां रुके थे पांडव – मोतियों की बौछार करता हुआ प्रतीत होता है झरने का पानी – मान्यता है कि पापियों के तन पर नहीं पड़ती झरने की बूंदें – एक नजर में नहीं देखा जा सकता पर्वत के मूल से शिखर तक पूरा प्रपात