रामेश्वर मिश्र पंकज-
कांग्रेस में समाजवादी दल में और भारतीय जनता पार्टी में हमारे ऐसे बहुत से परिचित मित्र हैं जो जानते हैं कि मैं काम से कम 40 वर्षों से कुछ शब्दों का घोर विरोध कर रहा हूं।
उनमें से एक शब्द है परिवारवाद। परिवारवाद को एक आरोप की तरह मुहावरे के रूप में बरतना अज्ञान की पराकाष्ठा है ।यह मैं बारंबार कहता रहा हूं।
परिवार के सदस्यों को उनकी योग्यता के अनुरूप काम ना देना यह मूल समस्या है और जिसके वे योग्य नहीं है, उस राजनीति में उन्हें भेजना। यह मूल समस्या है।
इसको इसी तरह रखना चाहिए।
समाज में योग्य लोगों का निरादर करना और योग्यता का निरादर करना यह सैद्धांतिक रूप से समाज के लिए घातक है , यह बात करनी चाहिए।
परिवारवाद शब्द बहुत ही भ्रामक है।
इससे यह लगता है कि मानो परिवार का भला करना कोई बुरी चीज है।
जबकि अयोग्य को बढ़ाना परिवार का नाश करना है ।दुर्योधन इसका सबसे बड़ा उदाहरण है भारत के इतिहास में।
परंतु दिक्कत यह है कि संघ भाजपा के नेता भी उन्हीं की सुनते हैं जो उनके आसपास किसी प्रकार पहुंच जाए।
देश में चिंतन मनन करने वाले लोग क्या कह रहे हैं, इसको वे ठेंगे पर रखते हैं।
इससे वे स्वयं कई बार मात खा जाते हैं।
लालू यादव भ्रष्ट है । दुष्ट हैं ।
पर बहुत ही धूर्त और बुद्धिमान है।
उसने मोदी जी की नस पर हाथ रख दिया और स्थिति यह है कि मोदी जी जैसे सर्वप्रिय नेता को भी उस पर रिएक्ट करना पड़ा और उसकी काट ढूंढनी पड़ी।
भगवान राम का निरादर करने वाले या भारत एक राष्ट्र नहीं है ऐसा राष्ट्र द्रोही कथन सार्वजनिक रूप से करने वाले की काट ढूंढने की आवश्यकता भाजपा को नहीं पड़ी परंतु लालू की चोट की काट ढूंढनी पड़ गई ।
इससे पता चलता है कि गलत शब्द कितनी हानि करते हैं।
लालू की चोट से मोदी जी का और भाजपा का कोई भी नुकसान नहीं होगा तो इसलिए नहीं कि उन्होंने चोट गलत की है बल्कि इसलिए कि वह अपयश के पात्र हैं और अप्रतिष्ठित है।
अगर किसी प्रतिष्ठित व्यक्ति ने यह किया होता तो मुश्किल हो जाती।
भाजपा ने उसकी जो काट निकाल ली है वह कोई काट में काट नहीं है।
परंतु वह सफल इसलिए होगी कि मोदी जी राष्ट्र में सर्वप्रिय नेता है इसलिए एक मुहावरा जो उन्होंने चला दिया वह चल जाएगा।
यदि सामने कोई चरित्रवान और सशक्त नेता होता तो यह चोट बहुत महंगी पड़ती गलत शब्दों का प्रयोग बहुत हानि करता है।