विपुल रेगे। मनोज मुंतशिर को राष्ट्रवादी गीतकार कहा जाता है। क्यों कहा जाता है, पता नहीं। आजकल प्रश्न ये उठ खड़ा हुआ है कि कोई राष्ट्रवादी हिन्दू धर्म को लेकर अपने स्वतंत्र विचार कैसे प्रकट कर सकता है। क्या राष्ट्रवादी होने के कारण उसे छूट मिल गई है कि वह रामायण के पात्रों को लेकर अपना ज्ञान बघारे। गीतकार मनोज मुन्तशिर फिल्म ‘आदिपुरुष’ के बचाव में बिना सोचे-विचारे कूद पड़े हैं। ओम राउत और सैफ अली खान का बचाव करने के चक्कर में मुन्तशिर अपनी लोकप्रियता तेज़ी से खो देंगे।
जैसे ही आदिपुरुष का टीजर प्रदर्शित हुआ, दर्शकों ने निर्माता-निर्देशक की बैंड बजाकर रख दी। आदिपुरुष के मेकर्स ने सपने में भी नहीं सोचा होगा कि उन लोगों को इतने भयंकर विरोध का सामना करना पड़ेगा। वास्तव में भारत समेत संपूर्ण विश्व का हिन्दू रामायण के प्राचीन स्वरुप को ही मन में रखता है। इस कथा के पात्रों में बड़ा बदलाव छोड़िये, वह इनकी वेषभूशा में थोड़ा भी परिवर्तन स्वीकार नहीं करेगा।
आदिपुरुष के निर्माताओं ने रामायण का स्वरुप बदल देने की कोशिश के रुप में महापाप कर डाला है। मनोज मुंतशिर इस मामले में बलि का बकरा बनते दिखाई दे रहे हैं। फिल्म को लेकर जो विवाद हुआ है, उस पर निर्माता भूषण कुमार और निर्देशक ओम राउत को आगे आना चाहिए था, सही मायने में उन्हें ज़िम्मेदारी लेनी चाहिए थी। यहाँ फिल्म में गीत लिखने वाला गीतकार फिल्म का बचाव करने क्यों आया है।
मुझे हैरानी है कि कितने पेशेवर ढंग से मनोज न केवल फिल्म का बचाव कर रहे हैं, बल्कि सैफ खान को भी बचाने की कोशिश कर रहे हैं। देश के करोड़ों लोगों की कही बात को मनोज युक्ति से झुठलाने का प्रयास करते दिखे। हालाँकि उनके प्रशंसकों ने ही ट्वीटर पर उनकी अच्छी खबर ले ली है। आदिपुरुष वास्तव में एक ‘मिस फायर’ बन गई है। सरकार से लेकर फिल्म निर्माता तक बचने का प्रयास कर रहे हैं।
मुंतशिर ने सफाई देने का कार्य अपने कंधों पर क्यों ले लिया ? इसलिए कि उनकी राष्ट्रवादी छवि के कारण लोग उनकी बात मानेंगे ? ऐसा कुछ नहीं होने जा रहा है। मुंतशिर ने इस मामले पर बयान देकर जलती आग में हाथ डाल दिया है। इस फिल्म को लेकर सोशल मीडिया पर कुछ गिरोह भी सक्रिय हो गए हैं। ये गिरोह लोगों के मन में ये बात डालने में लगा हुआ है कि फिल्म में रावण का लुक बदलने पर विरोध करने वाले रावण पूजक हैं।
रामायण संपूर्णता से हमारी है। रावण इस कथा का प्रतिनायक है, श्रीराम का शत्रु है किन्तु है तो हमारी कथा का प्रतिनायक। जिस कथा के आधार पर भारत का अस्तित्व बना हुआ है, उसमे एक सूत बराबर का बदलाव हम सहन नहीं कर सकते। और आप हमें कहते हैं रावण और खिलजी में क्या अंतर है। श्रीमान मनोज मुंतशिर जी आप अभी जान नहीं पा रहे हैं कि आपका ये बयान आमिर खान के ज़हरीले बयान से भी अधिक ज़हरीला है। ये बयान आपको हमेशा के लिए फिल्म उद्योग से आउट करवा सकता है।