विपुल रेगे। जब कंगना रनौत की थलाईवी प्रदर्शित होने वाली थी तो उन्होंने स्वयं को सर्वश्रेष्ठ अभिनेत्री बताया था। थलाईवी तो बॉक्स ऑफिस पर पिट गई लेकिन कंगना का भरम समाप्त नहीं हुआ। उनकी बयानबाजियां अब लोगों को प्रभावित नहीं करती। उन्होंने अपनी नई फिल्म धाकड़ का प्रमोशन न करने के लिए अक्षय कुमार और अजय देवगन को भी लपेट लिया है। सलमान द्वारा धाकड़ का प्रमोशन करने के बाद कंगना उन्ही राष्ट्रवादियों के निशाने पर आ गई हैं, जिनके समर्थन से कंगना ने एक और सफल फ़िल्मी पारी खेल ली थी।
सुशांत सिंह राजपूत की संदिग्ध हत्या और बॉलीवुड में बड़े पैमाने पर ड्रग्स कनेक्शन मिलने के बाद कंगना रनौत ने खुलकर बयानबाज़ी शुरु कर दी थी। उन्होंने महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री के विरुद्ध सीधी लड़ाई छेड़ दी थी। इस लड़ाई में देश के लाखों राष्ट्रवादियों ने खुले मन से उनका साथ दिया था। वह दौर कंगना की लोकप्रियता का उच्चतम दौर था। ऐसी लोकप्रियता उन्हें कभी फिल्मों से भी प्राप्त नहीं हुई थी।
ऐसा कहा जा रहा था कि कंगना अब राजनीति में प्रवेश कर सकती हैं। लेकिन ऐसा नहीं हुआ। कंगना ने एकता कपूर का रियलिटी शो स्वीकार कर यू-टर्न ले लिया। निश्चित ही राष्ट्रवादियों को उनका ये यू-टर्न पसंद नहीं आया। हिन्दू देवी-देवताओं का मज़ाक बनाने वाले मुनव्वर फारुकी इस शो में विजेता बने। विजेता बनने के बाद कंगना के साथ प्रसन्नचित्त मुद्रा में उनके फोटो सोशल मीडिया पर वायरल होते रहे।
कंगना यही पर नहीं रुकी। उन्होंने अपनी आगामी फिल्म के लिए सलमान खान का साथ स्वीकार कर लिया। देश को याद है कि महज दो वर्ष पूर्व वे खान तिकड़ी का घनघोर विरोध किया करती थीं। फिल्म उद्योग के महारथियों को राष्ट्रवाद के पक्ष में खड़ा करने की युक्ति असफल होती दिखाई दे रही है। अक्षय कुमार, अजय देवगन और अनुपम खेर राष्ट्रवाद के काम नहीं आ सके।
इन लोगों ने राष्ट्रवाद का इस्तेमाल किया है। इन लोगों ने राष्ट्रवाद को अपने निजी लाभ के लिए इस्तेमाल किया है। कंगना का उदाहरण सामने है। राष्ट्रवाद का सहारा लेकर अपने कॅरियर को रफ़्तार दी और बाद में इसे ही छोड़ दिया। कंगना रनौत को वैसी ही गलतफहमी हो गई है, जैसी किसी समय अक्षय कुमार को हो गई थी। प्रधानमंत्री का एक औसत इंटरव्यू लेने के बाद अक्षय कुमार ने सोच लिया कि राष्ट्रवादियों का समर्थन उन्हें प्राप्त हो गया है।
करोड़ों प्रशंसकों का समर्थन मिलने के बाद अक्षय कुमार ने अपना असली रुप दिखाया। जैसे ही अक्षय राष्ट्रवाद की पटरी से उतरे, लोगों ने उन्हें सिंहासन से ही उतार फेंका। आप राष्ट्रवादियों को कुछ समय के लिए ही धोखा दे सकते हैं। राष्ट्रवाद का समर्थन इसलिए करना कि लोग हमारी फ़िल्में देखते रहे, बड़ी ही घटिया सोच थी। उनके कार्यकलाप राष्ट्र के लिए नहीं अपितु अपने व्यक्तिगत लाभ के लिए थे।
कंगना की एक्शन फिल्म धाकड़ 20 मई को प्रदर्शित होने जा रही है। इसके निर्देशक रजनीश घई हैं, जिनका ट्रेक रिकॉर्ड बिलकुल भी इम्प्रेसिव नहीं है। हवा अब कंगना के विरुद्ध चल रही है। संभवतः धाकड़ की रिलीज के बाद कंगना के सुर फिर से बदलने लगेंगे।