संदीप देव:-
Rameshwar Mishra Pankaj सर की एक अद्वितीय पुस्तक आई है, जिसका नाम भी ‘अद्वितीय समाजशास्त्र’ है। मैं काशी हिन्दू विश्वविद्यालय ( #BHU) से समाजशास्त्र (ऑनर्स) में स्नातक हूं। भारतीय समाजशास्त्र तो हमें पढ़ाया जाता है, परंतु इस पुस्तक में सनातन समाजशास्त्र को प्रस्तुत किया गया है और यही इस पुस्तक को अद्वितीय बनाता है।
मेरे अंदर धर्म का जो बीज है, उसमें बड़ी भूमिका मेरे विषय समाजशास्त्र की भी है। फिर सोचिए जो आदरणीय रामेश्वर सर की सनातन समाजशास्त्र को पढ़ेगे, उनके अंदर धर्म का बोध कितना अधिक जागृत होगा।
इस पुस्तक में धर्मशास्त्र की महत्ता पर प्रकाश डाला गया है। उन्होंने लिखा है कि यदि मानव जाति उत्थान की राह पर आना चाहती है तो एक मात्र मार्ग सनातन धर्मशास्त्र का अध्ययन, मनन और ज्ञान प्राप्ति ही वह रास्ता है।
धर्म के व्यापक अर्थ से लेकर कुल, गोत्र और वर्ण की व्यापकता पर उन्होंने तार्किक ढंग से प्रकाश डाला है। एक ही कवर में तीन खंडों में बंटी इस पुस्तक का पहला खंड १) समकालीन भारत राष्ट्र में हिंदू समाज, २) समाज और राज्य एवं ३) आश्रम, संपत्ति और दान है।
जिन हिंदुओं में गंभीरतापूर्वक सभी सनातन धर्म शास्त्रों के अध्ययन का धैर्य नहीं है, वह इस एक पुस्तक से हिंदू धर्म और उसकी व्यवस्था का सामान्य अध्ययन कर अपने धर्म और समाज को बेहतर समझ सकते हैं।
समाजशास्त्र और धर्म का विद्यार्थी होने के नाते मैं चाहूंगा कि प्रत्येक चिंतनशील हिंदुओं को यह पुस्तक अवश्य पढ़नी चाहिए। इसमें धर्मशास्त्रों के संदर्भ की भरमार है। धन्यवाद।
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