अजय शर्मा काशी। देव नगरी काशी के मूल देवी देवता के नाम और स्थान बदले का जिम्मेदार कौन?? मा. मोदी जी? या मा.योगी जी? या तथाकथित काशी के विद्वान? या काशी के अधिकारी??
काशी की नवगौरी में प्रथम माता मुखनिर्मालिका देवी को अब किस नाम से पुकारने पर फल मिलेगा-
माता मुखनिर्मालिका गौरी??
माता मुख निर्मलीका गौरी ??
माता मुख निर्मली का गौरी??
काशी के प्रिय सांसद देश के माननीय प्रधानमंत्री श्री नरेश मोदी जी और प्रदेश के माननीय मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ जी महाराज को सनातनियों देश भारत के शहर और चौराहे से मुस्लिम ईसाई नाम हटाने या बदलने का आदेश देते सुना और काशी के पौराणिक मंदिरों के सौंदर्गीकरण एवं जीर्णोद्धार के लिए धन भी भेजने का आदेश भी देखा सुना परंतु देवी देवता के स्थान और नाम बदले का आदेश न देखा,न सुना ।
काशी में प्रसिद्ध विद्वानों की महिमा का क्या कहना है, ऊपर से वर्तमान तथाकथित विद्वान तो विश्व प्रसिद्ध है। इन उक्त विद्वानों से किसी देवता के स्थान महत्व और नाम का महत्व यदि जानना हो तो आप अवश्य संपर्क करे। परंतु उनसे काशी के पग पगपर गली मोहल्ले में विराजमान देवी देवता के स्थान और नाम के महत्व को भूलकर न पूछे क्योंकि यह तुरंत नाराज हो जायेंगे । यदि पूछे तो मूल देवी देवता के स्थान एवं नाम और दिशा उत्तर का पश्चिम और पूरब का दक्षिण बताने पर बिना पुराण देखे आपने माना तो उसके जिम्मेदार आप स्वयं होगें।
वैसे यदि उक्त विषय पर आपने उक्त विद्वानों और इनके भक्त अधिकारियों से आपने पूछा की हमारे देवी देवता का यह स्थान और नाम कैसे बदला तो बोलेंगे ऊपर से आदेश है। और RTI भेजकर पूछने पर बोलेंगे,RTI की धारा 8जी के तहत देय नही है। अर्थात् प्राण देने वाले देवी देवता के विषय में पुछने पर यदि यह आपको उत्तर दिए तो आपकी जान को खतरा हो सकता है। यह आपके विशेष शुभचिंतक है,देवी देवता नही।
काशीखण्ड के अध्याय 100 में काशी की यात्राओं के क्रम में काशी की नवगौरी यात्रा के वर्णन में सूतजी से महर्षि वेदव्यास जी कहते है-अब में अनुपम गौरी-यात्रा का वर्णन करता हूँ । शुक्लपक्ष की तृतीया तिथि को इस यात्रा के कुरने से परम समृद्धि प्राप्त होती है–
अतः परं प्रवक्ष्यामि गौरीयात्रामनुत्तमान् ।
शुक्लपक्षे तृतीयायां या यात्रा विष्वगृद्धिदा ।। ६७ ।
काशी के नवगौरी यात्रा फल के संदर्भ में व्यास जी कहते हैं- जो कोई मुक्ति की जन्मभूमि काशी क्षेत्र में इस यात्रा को करता है, वह इस लोक तथा परलोक में भी कहीं पर दुःख भागी नहीं होने पाता।
नवगौरी यात्रा क्रम में सर्वप्रथम नाम ही मुखनिर्मालिका देवी का कहा गया है–मनुष्य गोप्रेक्षतीर्थ में स्नान कर प्रथम मुखनिर्मालिका देवी के दर्शन को जावे । फिर ज्येष्ठावापी में स्नानादि कृत्य कर ज्येष्ठा गौरी का पूजन करे–
गोप्रेक्षतीर्थे सुस्नाय मुखनिर्मालिकां । ब्रजेत् ।
ज्येष्ठावाप्यां नरः स्नात्वा ज्येष्ठां गौरीं समर्चयेत् ।। ६८
कृपया ध्यान दे ,उक्त स्थान पर माता मुखनिर्मालिका गौरी के निकट हस्तीविनायक विराजमान है। जो काशी के छप्पन विनायकों के अतिरिक्त विनायक में है और काशी में विराजित भगवान विष्णु के द्वारा कहे गए अनेक स्वरूपों में से यहां एक श्रीकृष्ण मूर्ति भी विराजमान है।
धर्मो रक्षति रक्षितः महादेव मौन है