मुख्यमंत्री की एक गरिमा होती है, जिसे दिल्ली के सीएम अरविंद केजरीवाल ने कभी नहीं निभाया। इसके उलट इतने अतार्किक झूठ बोलते हैं कि जिस पर सवाल तो लाखों उठाए जा सकते हैं लेकिन उसका जवाब कहीं नहीं मिल सकता है? दिल्ली के मुख्यमंत्री ने आज एक प्रेस कॉन्फ्रेंस कर केंद्र सरकार और पीएमओ पर कई ऐसे आरोप लगाएं हैं कि अगर इस मामले में उनके खिलाफ मानहानि का मुकदमा दर्ज कर दिया जाए तो एक दिन फिर उन्हें माफी मांगने की नौबत आ जाएगी।
केजरीवाल ने केंद्र सरकार और पीएमओ पर दिल्ली सरकार को काम करने से रोकने के लिए अपनी सारी एजेंसियों को उसके पीछे लगाने का आरोप लगाया है। इसके अलावा उन्होंने दिल्ली के उपराज्यपाल के अलावा केंद्रीय जांच ब्यूरो एजेंसी (सीबीआई) पर आइएएस अधिकारियों को प्रताड़ित करने का आरोप लगाया है। वे ऐसे आरोप लगा रहे थे जैसे जैसे चुनाव के दौरान कोई नेता लगाता हो। उन्होंने आरोप लगाया है कि सीबीआई प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के अलावा भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह को भी रिपोर्ट करती है।
मुख्य बिंदु
* आखिर डरे हुए अधिकारी को काम पर क्यों बुलाना चाहते हैं मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल?
* भाजपा अध्यक्ष अमित शाह को सीबीआई के रिपोर्ट करने को लेकर अभी तक केस क्यों नहीं दाखिल किया गया?
मुख्यमंत्री केजरीवाल ने केंद्र सरकार के खिलाफ इतने सारे आरोप लगाए है। अब सवाल उठता है कि एक संवैधानिक दायित्व लिए बैठा व्यक्ति इस तरह सरेआम हो रहे संवैधानिक अवहेलना को रोकने के लिए कुछ करता क्यों नहीं है? या फिर उनके आरोप ही झूठे हैं जो एक राजनीतिक दल के नेता के नाते लगाने को अपना अधिकार मानते हैं? केजरीवाल ने प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान कहा कि केंद्र सरकार ने अपनी सारी जांच एजेंसियों को मेरी सरकार के पीछे लगा रखी है। सारी एजेंसियों को यह निर्देश है कि वे दिल्ली सरकार को काम न करने दे। इसी तरह उन्होंने दिल्ली के एलजी पर हर काम वाली फाइलों को लटकाने का आरोप लगाया है।
केजरीवाल ने कहा कि सीबीआई दिल्ली के अधिकारियों को डराने और प्रताड़ित कर रही है। कई अधिकारियों को बुलाकर अपने दफ्तर के बाहर आठ-आठ घंटे बैठाकर रखने के बाद उन्हें मां-बहन की गाली देते हैं। उन्होंने कहा कि सीबीआई अधिकारी पर अधिकारियों को दिल्ली सरकार का साथ नहीं देने को कहा जाता है। उन्होंने कहा कि दिल्ली में चार महीने से आईएएस अधिकारी हड़ताल पर हैं। जबकि उनकी हड़ताल अवैध है। कानून के हिसाब से कोई आईएएस अधिकारी हड़ताल नहीं कर सकते हैं। इस मामले में जब एलजी को कहने जाते हैं तो उनका एक ही जवाब होता है कि समझाने का प्रयास किया जा रहा है। उन्होंने कहा कि जब निजी तौर पर अधिकारियों से पूछा जाता है तो वे बताते हैं कि एलजी की धमकी की वजह से वे हड़ताल पर हैं, जबकि उनकी कोई मांग है ही नहीं।
अब सवाल उठता है कि वे आईएएस अधिकारी झूठ बोल रहे हैं कि स्वयं केजरीवाल? ये सवाल इसलिए वाजिब है कि वे अधिकारी सार्वजनिक रूप से हड़ताल पर है ये सभी को दिखता भी है, तो फिर वे प्राइवेट रूप से झूठ क्यों बोल रहे हैं? केजरीवाल ने कहा कि वे डरे हुए है। तो फिर वे डरे क्यों हैं? और डरे हुए अधिकारियों को काम पर क्यों लेना चाहते केजरीवाल? डरा हुआ अधिकारी कोई साहसिक कार्य कर सकता है? इससे साफ हो जाता है कि अधिकारी झूठ बोलें या नहीं लेकिन दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल के सारे आरोप झूठे हैं।
अरविंद केजरीवाल के काम न करने की नियत और रोज के आरोप-प्रत्यारोप पर दिल्ली की पूर्व मुख्यमंत्री शीला दीक्षित ने कहा “दिल्ली एक संघीय क्षेत्र है, जो आंशिक रूप से केंद्र द्वारा शासित है, हमें सहयोग से कार्य करना होता। अपने 15 वर्षों की सत्ता में हमने कभी केंद्र या एलजी के साथ कोई संघर्ष नहीं किया। यह काम नहीं करने का बहाना नहीं हो सकता है। जनता काम चाहती है शिकायत नहीं!”
Delhi is a Union territory, governed partly by Centre, we have to cooperate and work. In my 15 years in power, we never had any conflict with Centre or LG. This can't be excuse to not work. Public wants governance not complaints: Sheila Dikshit,former Delhi CM pic.twitter.com/EwO9OrHxmk
— ANI (@ANI) June 10, 2018
URL: Delhi Chief Minister Arvind Kejriwal has accused the PMO Office and lieutenant governor
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