कठुआ हत्या कांड के तीन गवाहों ने एसआईटी अपराध शाखा के खिलाफ हाईकोर्ट की ओर अपना रुख कर लिया है। इन गवाहों की शिकायत पर कोर्ट ने एसआईटी तथा गृह-सचिव से जवाब देने को कहा है। गवाहों का कहना है कि एसआईटी क्राइम ब्रांच के अधिकारियों को जेल भेजने के लिए उनके पास पर्याप्त सबूत हैं। इस मामले में जल्द ही जम्मू मजिस्ट्रेट से जांच कराने का आदेश दिया जा सकता है। वैसे पीड़ित मासूम बच्ची के नाम पर करोड़ों रुपये की उगाही करने वाले अपराधी तालिब हुसैन के खिलाफ पहले ही केस दर्ज हो चुका है। इस मामले में अगर अब किसी के खिलाफ मामला दर्ज करना है तो वह है प्रदेश की पूर्व मुख्यमंत्री और गृहमंत्री महबूबा मुफ्ती। क्योंकि सबसे पहले उन्होंने इस केस को गलत तरीके से पेश करते हुए हिंदुओं पर बलात्कार कर उस बच्ची की हत्या करने का आरोप लगाया था।
3 witnesses in #KathuaConspiracy (Kathua Murder Case) move High Court against SIT Crime Branch. Court calls reply from Home Secy and SIT. Enough proof to send them to jail. J. Magistrate Enquiry may b ordered on 29th. @madhukishwar @AsYouNotWish @Prof_Hariom
— Ankur Sharma (@AnkurSharma_Adv) July 31, 2018
मुख्य बिंदु
* तत्कालीन मुख्यमंत्री महबूबा मुफ्ती ने आतंकी और जेहादी हित साधने के लिए ही हिंदुओं को अपमानित करने का खेला खेल
* सीबीआई जांच के आदेश के बाद ही हो सकता है हिंदू जनसंख्या संतुलन बिगाड़ने के षड्यंत्र का खुलासा
कठुआ हत्या कांड के मुख्य साजिशकर्ता जहां तालिब हुसैन है वहीं इस मामले में हिंदुओं को बदनाम करने का खेल महबूबा मुफ्ती ने मीडिया के एक तबके के सहारे खेला है। इसलिए इस मामले में दूध का दूध और पानी का पानी करने के लिए सीबीआई जांच बहुत जरूरी है। अगर इस मामले की जांच सीबीआई को नहीं सौंपी गई तो इस मामले के पीछे जम्मू से हिंदुओं को पूरी तरह सफाया कर पाकिस्तान के आतंकवादियों के लिए रास्ता साफ करने का षड्यंत्र का कभी खुलासा नहीं हो पाएगा। बचाव पक्ष के वकील अंकुर शर्मा ने कहा है कि इस कांड के पीछे जनसंख्या संतुलन बिगाड़ने का एक बहुत बड़ा षड्यंत्र था। उन्होंने कहा कि अगर इस मामले की सीबीआई जांच नहीं कराई गई तो बचाव पक्ष के साथ न्याय नहीं होगा, साथ ही कई सारी सच्चाइयां भी सामने नहीं आ पाएंगी।
Advocate Ankur Sharma addressing Media on Rasana and Jeehadi Mehbooba's evil designs against Hindu Community.#KathuaConspiracy #Rassana #Mufti pic.twitter.com/hwdhiZBYWb
— BabaGyan (@SachiBabaGiri) July 8, 2018
इस मामले को देख रहे एक दूसरे वकील का कहना है कि पीड़ित पक्ष किसी प्रकार इस मसले को अटकाकर हिंदुओं पर लगे बदनामी के दाग के साथ राजनीति करना चाहता है। तभी तो 34 गवाहों के ट्रायल हो जाने के बाद भी अभी तक किसी का नाम नहीं बताया गया। जबकि बचाव पक्ष के लिए गवाहों का नाम जानना जरूरी ही नहीं बल्कि उसका कानूनन अधिकार भी है। उन्होंने कहा कि इस प्रकार का केस वह जीवन में पहली बार देख रहे हैं, जहां बचाव पक्ष को किसी भी गवाह का नाम नहीं बताया जा रहा है। पूछने पर कहा गया है कि सुरक्षा कारणों से उनका नाम बताना उचित नहीं है। वकील का कहना है कि सुरक्षा कारणों से ऐसा हो रहा है तो फिर फेयर ट्रायल तो हो ही नहीं रहा है, ऐसे में निष्पक्ष न्याय कैसे संभव है? इससे आप समझ सकते हैं कि दरअसल यह मामला क्या है और इसे कौन सा रूप दिया जा रहा है?
@XPoseMushRSS pathetic kashmir crime branch says won't reveal witness names, as they are under "threat". Defence rightly condemns delaying tactics in the #KathuaConspiracy:https://t.co/bEaMZmrymQ
— RRP (@RRP_1984) July 27, 2018
इस मामले में लगातार हो रहे खुलासे से स्पष्ट है कि इसमें किसी प्रकार हिंदुओं को फंसाने का ही खेल चल रहा था। मालूम हो कि जम्मू के रासना इलाके में हिदू परिवारों की कुल संख्या 70 है जबकि पुलिस ने इस इलाके के 221 हिन्दुओं को गवाह बनाया है, जो कि संभव ही नहीं था। इसमें कोई संदेह नहीं है कि पूर्व मुख्यमंत्री महबूबा मुफ्ती ने ही जम्मू के हिंदुओं को बदनाम करने और उन्हें आंतकित करने के लिए इस षड्यंत्र को बढ़ावा दिया। ताकि डर से जम्मू के हिंदू भाग जाए और रणनीतिक रूप से महत्वपूर्ण रासना जंगल पर जिहादियों का कब्जा हो जाए और फिर पाकिस्तान को जम्मू, कश्मीर और लद्दाख को अपने कब्जे में करने में मदद मिल सके। जो पाकिस्तान का एक मात्र लक्ष्य रहा है।
There is no doubt that ex-CM Mehbooba hatched #KathuaConspiracy to maligne the image of Jammu Hindus and terrorise them so that they quit Jammu and Jihadis grabbed strategic #RasanaForests to help Pak achieve its goal: Annexation of Jammu, Kashmir and Ladakh. https://t.co/hdBIGfKMXV
— Prof. Hari Om (@Prof_Hariom) July 31, 2018
इस मामले में पहले दिन से ही बचाव पक्ष कह रहा है कि उसे फंसा कर पूरे हिंदुओं को बदनाम करने की साजिश की जा रही है। इतना ही नहीं घटना के सारे साक्ष्य यही संकेत दे रहे हैं कि हिंदुओं को बदनाम करने के लिए सांजी राम को फंसाया जा रहा है। चार्जशीट से लेकर गवाह तक में फर्जीवाड़ा सामने आ चुका है। फिर भी इस मामले को सीबीआई के हवाले नहीं करने के पीछे राजनीतिक विद्वेष नहीं तो और क्या है? प्रदेश की सत्ताधारी पार्टी इस केस के जरिए अपना पाकिस्तानी और जेहादी हित साधना चाहती थी।
अब जब इस मामले की सच्चाई की परतें खुल रही हैं और षड्यंत्र का खुलासा होने लगा है तो फिर केंद्र को या सुप्रीम कोर्ट को स्वतः संज्ञान लेकर इस मामले को सीबीआई के हवाले कर देना चाहिए ताकि हिंदुओं के माथे पर लगाए दाग न्याय के साथ धुल जाए और इस मामले में दूध का दूध और पानी का पानी हो जाए।
कठुआ से सम्बंधित अन्य ख़बरों के लिए पढें:
हमदर्द नहीं, कठुआ पीड़िता के शव की सौदागर निकली शेहला राशिद!
3- कठुआ रेप केस: सीसीटीवी ने खोली कश्मीर क्राइम ब्रांच के चार्जशीट की पोल!
URL: In Kathua case the High Court asked the Home Secretary and the SIT
keywords: kathua rape case, Rahber Foundation, defame hindu, conspiracy of the Kathua, secular politics, presstitutes, jammu, कठुआ बलात्कार का मामला, राबर फाउंडेशन, कठुआ साजिश, धर्मनिरपेक्ष राजनीति, जम्मू