करुणानिधि तमिल फिल्मों के बेहतरीन स्क्रिप्ट राइटर माने जाते थे। लेकिन राजनीति की सक्रिप्ट को वे इतना घटिया स्तर तक ले जाते थे जिसकी तुलना उत्तर भारत के किसी भी असभ्य और भदेस नेता से नहीं की जा सकती। देश की तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी के लिए वे अक्सर गाली गलौज की भाषा का ही इस्तेमाल करते है। एक घटना 1970 की है जब इंदिरा गांधी तमिलनाडु के दौरे पर थी, डीएमके के गुंडों ने इंदिरा पर हमला कर दिया और उस हमले के में इंदिरा गांधी लहू लूहान हो गयीं, इस घटना के बारे मे जब पत्रकारों ने करुणानिधि से सवाल पूछा तो उन्होंने जवाब दिया था कि कुछ भी तो नहीं हुआ वो इंदिरा का पीरियड चल रहा था, उसी का ब्लड था। समझा जा सकता था कि करुणानिधि राजनीति में कितनी नीचता पर उतर कर घटिया स्तर की भाषा का प्रयोग करते थे
करुणा दरअसल उत्तर भारत के खिलाफ नफरत फैलाकर दक्षिण का हीरो बनना चाहते थे। भारत की संस्कृति से नफरत करने वाले ऐसे शक्स की मौत पर राजनीति हायतौबा सिर्फ इसलिए है क्योंकि राजनीतिक दलों को तमिल वोट में जोड़तोड़ करनी है। इंदिरा के पोते राहुल गांधी को इस बात की कोई चिंता नहीं कि करुणानिधि ने उनकी दादी के लिए कौन सी भाषा का प्रयोग किया था?
राजीव गांधी के हत्यारे प्रभाकरण को खुलेआम करुणानिधि अपना अच्छा दोस्त बताते थे, राजीव गांधी की हत्या की जाँच के लिए बने जैन आयोग ने उनपर ऊँगली भी उठाई थी। लेकिन राजनीति में पद और सत्ता का लालच दोनों पार्टियों को फिर साथ ले आया। दोनों पार्टियों ने मिलकर सरकार भी चलाई और यूपीए-2 तो करुणानिधि की पार्टी के लोगों के कारनामों के चलते ही बदनाम हुई। बावजूद इसके तमिलनाडु में डीएमके के प्रभाव को देखते हुए कांग्रेस ने लगातार करुणा के अपमान का घूंट पीती रही।
बेहद गरीबी से निकल कर भ्रष्टाचार के तरकीब के मास्टर बने करुणा ने अथाह संपत्ति हासिल की। तीन पत्नियों के पति करुणा ने पार्टी को घरेलू प्रोपर्टी बना कर रख दिया। ऐसे करुणानिधि को आज हीरो बनाया जा रहा है। नेहरु से लेकर मोदी तक के प्रधानमंत्री काल में तमिलनाडु के मुख्यमंत्री रहे करुणानिधि अपनी घटिया राजनीतिक पटकथा के लिए ही जाने जाते हैं। अपनी बेटी का नाम तो उन्होने कनिमोझी रखा, तमिल पत्रकार मित्र बताते है उसका असली नाम कनिमोड़ी है। उत्तर भारत के लोग इसका कभी सही उच्चारण नहीं कर पाए। उनके मुताबिक कनोमोड़ी का मतलब है सुंदर भाषा। करुणा ने ‘सुंदर भाषा’ नाम अपनी बेटी को तो दिया लेकिन गैरों की बेटी के लिए वे हद दर्जे की घटिया भाषा का इस्तेमाल करते रहे। करुणा की ये भाषा उनके चरित्र को परिभाषित करता है।
करुणानिधि की राजनीतिक भाषा के सत्तर को एक और उदाहरण से भी समझा जा सकता है। देश की प्रधानमंत्री ही नहीं विदेश की महिला प्रधानमंत्री मंत्री तक के लिए उनकी राजनीतिक भाषा का स्तर एकदम सड़क छाप ही होता था। एक वाक्या है 1960 के दशक के शुरुआती साल का जब प्रधानमंत्री नेहरु और श्रीलंका की प्रधानमंत्री सिरिमाओ भंडारनायके की श्रीलंका में पहली बैठक और मुलाक़ात पर द्रविड़ नेता करुणानिधि से पूछा गया तो इनका जवाब था कि “उम्मीद है कि एक विधवा और एक विधुर ने बंद कमरे में सिर्फ़ बात ही बस की होगी, कुछ और नहीं”। उसी करुणानिधि की मौत पर कांग्रेस और बीजेपी समेत सभी राजनीतिक पार्टी घड़ियाली आंसू बहा रही है। करुणानिधि के महिमा का बखान कर रही है।
करुणानिधि का जाना सुखद, दक्षिण और उत्तर के बीच नफरत की दीवार ढहने की उम्मीद। देखिये विडियो
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URL: Muthuvel Karunanidhi was the leader of ethnic poison and hypocrisy-2
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