उल्टी गिनती शुरू हो चुकी
नहीं जगह अच्छों की यहाॅं पर , भारत की गंदी राजनीति है ;
एक से बढ़कर एक लुटेरे , ऐसी ही गुंडानीति यहाॅं है ।
जिस देश की जनता सोती रहती , ऐसा ही फल पाती है ;
लोकतंत्र बधिया हो जाता , सब रातें काली हो जाती हैं ।
न्याय का सूरज डूब चुका है , भारत न्याय विहीन है ;
सत्ता पर बेईमानी काबिज , जो सद्गुण से हीन है ।
अब्बासी – हिंदू बने हैं नेता , पतन की चरमावस्था है ;
ईश्वर को ललकार रहे हैं , धर्म की दुरावस्था है ।
शंकराचार्यों को अपमानित करके , सरकारी बाबा बढ़ा रहे ;
नब्बे – प्रतिशत डॉलर – दीनारी , धर्म – सनातन मिटा रहे ।
धर्म मिटे तो देश मिटेगा , कुछ भी न बच पायेगा ;
अब्बासी – हिंदू भारत का नेता , सत्यानाश करायेगा ।
भारत की तो बात ही छोड़ो , ये मानवता का दुश्मन है ;
महामूर्ख अब तक न समझे , इसका कितना काला मन है ?
इसका पूरा – जीवन झूठा है , झूठी मन की बात है ;
महामूढ हिंदू सच मानें , खाते इसकी लात हैं ।
बहुमत हिंदू का पूरा लतिहड़ , अब भी नहीं संभलते हैं ;
यथास्थितिवाद में फंस जाते हैं , हरदम ही घिसटते हैं ।
जागो हिंदू ! अब तो जागो , अब तो सच्ची बात को बोलो ;
अज्ञान की निद्रा मौत की निद्रा , सच्चाई में आंखें खोलो ।
अब्बासी – हिंदू की पूरी सच्चाई , हिंदू ! तुम्हें जानना है ;
वरना इसको निश्चित मानो , बुरी मौत ही मरना है ।
ये शुभ लक्षण उभर रहा है , सुप्रीम-कोर्ट अब बिफर रहा है ;
अन्याय की सीमा पार कर चुका,अब्बासी-हिंदू घिसट रहा है।
इसकी हर चाल पड़ रही उल्टी , उल्टी गिनती शुरू हो चुकी ;
बस गिने-चुने दिन ही बाकी हैं , देश की जनता जाग चुकी ।
पर अब्बासी-हिंदू निकृष्ट है इतना,देश में आग लगा सकता है;
भारतवर्ष ! जागते रहना , ये कुछ भी करवा सकता है ।
सदा सचेष्ट हमको रहना है , रक्षक ही बन चुका है भक्षक ;
वैसे ये था सदा ही भक्षक , हम ही गलती से समझे रक्षक ।
बहुत बड़ी गलती की हमने , सुधार हमें ही करना है ;
और नहीं कोई मार्ग है दूजा , जनता को ही आगे बढ़ना है ।