विधानसभा चुनाव में हारने और स्पष्ट बहुमत नहीं आने के बाद भी अपनी जिद्द को पूरा करने के लिए किसी तरह सरकार बनाने का जो हश्र होता है वह अब कांग्रेस के सामने मध्य प्रदेश और कर्नाटक में आना शुरू हो गया है। मध्य प्रदेश में जहां मुख्यमंत्री कमलनाथ के मंत्रिमंडल में बगाबत से शुरुआत हो गई है वहीं कर्नाटक में भी इसका खामिजाया कांग्रेस के सामने आने लगा है। कर्नाटक में तो कांग्रेस और जेडीएस के 15 विधायक भाजपा के संपर्क में होने की बाद कही जा रही है। कर्नाटक के बारे में तो यहां तक कहा जाने लगा है कि वहां की कांग्रेस-जेडीएस गंठबंधन की सरकार चंद दिनों की मेहमान रह गई है। वहीं मध्य प्रदेश के बारे में कहा जा रहा है कि यहां कमलनाथ सरकार को विधानसभा अध्यक्ष के चयन के दौरान झटका लग सकता है। क्योंकि कांग्रेस के कुछ नाराज विधायकों के साथ बसपा और सपा के विधायकों ने भी कांग्रेस के साथ चलने को तैयार नहीं दिख रहे हैं।
मध्य प्रदेश में जिस प्रकार कमलनाथ सरकार किसान कर्ज माफी से लेकर यूरिया संकट से निपटने में विफल साबित हुई उससे सपा और बसपा के विधायकों ने अपना मन बना लिया है कि इस सरकार के साथ ज्यादा दिनों तक चलना कतई फायदे का सौदा साबित नहीं होने वाला, बल्कि लोग सभा चुनाव के दौरान इसकी हानि जरूर उत्तर प्रदेश में उठानी पड़ सकती है।
मुरैना के विधायक ऐदल सिंह कंसाना से लेकर सुवासरा के विधायक हरदीप सिंह डंग, केपी सिंह तथा बिहासूलाल तक सभी ने सार्वजनिक रूप से कमलनाथ से लेकर पार्टी आलाकमान पर वादाखिलाफी करने का आरोप लगाया है। मनावर के विधायक हीरालाल अलावा ने तो अपनी बात रखने के लिए कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी से मिलने का समय मांगा है। इस संदर्भ में प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री और भाजपा के वरिष्ठ नेता कैलाश जोशी का कहना है कि ऐसी बगावत से भाजपा को ही लाभ मिलेगा। उन्होंने कहा कि कमलनाथ की सरकार लंबे समय नहीं चलेगी। उन्होंने कहा कि विधायकों की नाराजगी बनी रही तो विधानसभा अध्यक्ष के चुनाव के दौरान नाराज़ नेताओं का गुस्सा कांग्रेस पर भारी पड़ सकता है।
यही हाल कर्नाटक में है। कांग्रेस और जेडीएस के कई विधायकों ने सार्वजनिक रूप से असंतोष जताना शुरू कर दिया है। वरिष्ठ कांग्रेस विधायक रमेश जारकिहोली एचडी कुमारस्वामी सरकार से हटाए जाने के बाद से काफी नाराज हैं। कर्नाटक की सरकार में मची खींचतान के बीच वरिष्ठ भाजपा विधायक उमेश कट्टी ने दावा किया है कि सत्तारूढ़ कांग्रेस-जनता दल (एस) गठबंधन के 15 विधायक उनके संपर्क में हैं। उन्होंने तो अगले सप्ताह सरकार बनाने तक का दावा किया है। कुमारस्वामी सरकार से हटाए जाने के बाद कांग्रेस विधायक रमेश जारकिहोली ने अगले सप्ताह अपनी अगली रणनीति का ऐलान करने की बात कही है।
मध्य प्रदेश और कर्नाटक सरकार में आज जो कुछ हो रहा है वह राहुल गांधी की अदूरदर्शिता का ही नतीजा है। कर्नाटक में चुनाव हारने के बाद भी जोड़तोड़ कर सरकार बना ली, वहीं मध्य प्रदेश में स्पष्ट बहुमत नहीं आने के बाद भी बगैर अन्य दलों के विधायकों से सलाह मशविरा किए एकतरफा सरकार बनाने की घोषणा कर दी। ऐसे में इन दोनों प्रदेशो में सरकार का यह हश्र तो होना ही था। मध्य प्रदेश में जल्दी हो रहा है और कर्नाटक में कुछ देरी से। लेकिन दोनों जगहों से सरकार का जाना तो लगभग तय माना जा रहा है।
प्वाइंट वाइज समझिए
संकट में मध्य प्रदेश और कर्नाटक सरकार
* मंत्रिमंडल गठन के बाद कमलनाथ सरकार से बढ़ा नाराजगी का सिलसिला
* बगावत तेज होने के भय से अब तक मंत्रियों के विभागों का बंटवारा नहीं हो सका
* कांग्रेस के अपने विधायकों के अलाव निर्दलीय, सपा, बसपा के विधायक भी नाराज़
* विधानसभा अध्यक्ष के चुनाव में कांग्रेस को भारी पड़ सकता है विधायकों का गुस्सा
* संकट में कर्नाटक सरकार, कांग्रेस-जदएस के 15 विधायक भाजपा के संपर्क में
* मध्य प्रदेश और कर्नाटक में राहुल की अदूरदर्शिता के कारण मची है खींचतान
* कर्नाटक में चुनाव हारने के बावजूद राहुल की जिद्द की वजह से बनी बेमेल सरकार
* मध्य प्रदेश में स्पष्ट बहुमत के अभाव में सभी को साथ लिए बगैर बना ली सरकार
URL : all is not well in congress government of MP and Karnataka!
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