राहुल के पापा और भारत के पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी कहा करते थे कि केंद्र से भेजा गया एक रुपए देश की आम जनता तक पहुंचते-पहुंचते 17 पैसे में बदल जाता है। राजीव गांधी का मानना था कि बाकी का हिस्सा बिचौलिए घटक जाते हैं। राजीव गांधी के उसी वक्तव्य को याद करते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने नोटबंदी से ठीक पहले हर गरीब के पास उसका बैंक अकाउंट होने का एक असंभव सा सपना साकार किया। आज सरकार की हर योजना का लाभ आम नागरिक को उस बैंक अकाउंट के मार्फत ही होता है। अब राहुल गांधी ने कहा है कि यदि उनकी सरकार बन गई तो मोदी सरकार द्वारा आम नागरिक को मुहैया कराए गए उसी अकाउंट में हर महीने 15 सौ से 18 सौ रुपए दिए जाएंगे। चुनाव से पहले यह राहुल गांधी का यह बड़ा चुनावी वादा है। उनकी दादी इंदिरा गांधी और पापा राजीव गांधी की तरह दिया गया गरीबी हटाओ का चुनावी वादा की तरह।
सबसे पहलेे इंदिरा गांधी ने ही गरीबी हटाओ का नारा दिया था। तब जब विपक्ष उनके खिलाफ इंदिरा हटाओ का नारा दे रही थी । गरीबी हटाओ के नाम पर सालों तक राजनीति होती रही । यह नारा तब भी चला फिर राजीव गांधी ने भी गरीबी हटाओ का नारा दिया । लेकिन गरीबी हटी नहीं। तब जाकर राजीव को ऎहसास हुआ कि दरअसल गरीबों तक जो सरकार की योजनाओं का पैसा जाता है वो गरीब तक पहुंच ही नहीं पता। या राजीव का अनुमान था कि जनता को सरकार द्वारा भेजे गए पैसे का मात्र 17% ही मिल पाता है बाकी के 83% बीच में अधिकारी और नेता घटक जाते हैं।
राजीव गांधी ने इस बात को स्वीकार किया कि भ्रष्टाचार का आलम इस स्तर तक है कि सरकारी योजनाओं का लाभ गरीबों तक पहुंच ही नहीं पाता लेकिन नाराजी ना राजीव के बाद मनमोहन सरकार तक भारत के किसी प्रधानमंत्री ने गरीबों की चिंता की बस गरीबी हटाओ का नारा लगता रहा गरीबी हटाओ के नाम पर गरीबों के लिए सपने बेचने का काम जारी रहा नरेंद्र मोदी सरकार ने इसे गंभीरता से लेते हुए राजीव गांधी के इस कथन की गंभीरता को समझते हुए हर नागरिक को उसका बैंक अकाउंट खुलवाया था कि सरकारी योजनाओं और जनता के बीच कोई ना हो और सरकार की योजना सीधी गरीबों तक आम आदमी तक उसके बैंक के अकाउंट में पहुंचे बैंक अकाउंट की होने का कांग्रेस समेत विपक्ष ने खूब मजाक उड़ाया गरीबों के पास धन नहीं होगा पैसे नहीं होंगे उस अकाउंट का मतलब क्या होगा?
अब कांग्रेस और उसके अध्यक्ष को उसी अकाउंट का मतलब समझ में आया है कि गरीबों के पास बैंक अकाउंट होने के मायने क्या है? राहुल गांधी मोदी सरकार द्वारा जमीन पर किए गए उसी बैंक अकाउंट से एक बड़ा सपना गरीबों के लिए बेच रहे हैं ठीक उसी तरह से जैसे उनकी दादी और उनके पापा ने गरीबी हटाओ का नारा दिया था।
राहुल गांधी ने छत्तीसगढ़ की चुनावी रैली में ऐलान किया कि उनकी सरकार बनी तो हर गरीब के अकाउंट में 15 सौ से 18 ₹ सीधे दिए जाएंगे। यह बहुत बड़ा चुनावी वादा है। जिससे कांग्रेस की चुनावी तस्वीर बदल सकती है। यह सच है कि कांग्रेस पार्टी यह वादा तभी कर पाई जब इसकी जमीन नरेंद्र मोदी ने तैयार की है। सालो तक गरीबों की गरीबी हटाने के नाम पर कांग्रेस सत्ता हासिल करती रही। ना गरीब कम हुए ना गरीबी। अब अपनी दादी और अपने पापा की उसी गरीबी हटाओ का नारा के तहत राहुल गांधी ने फिर गरीबों को सपना दिखाया है कि उनकी सरकार बनी तो न्यूनतम आमदनी गारंटी दी जाएगी।
न्यूनतम कारण आमदनी गारंटी की व्याख्या 2016-17 के आर्थिक सर्वेक्षण में वित्त मंत्री अरुण जेटली ने किया था। इसके मुताबिक एक यूनिवर्सल बेसिक आमदनी तय की जाएगी और उस आमदनी से नीचे यदी किसी की आमदनी होती है तो उसे सरकारी राहत डी जाएगी। अब राहुल गांधी के मुताबिक उन तमाम लोगों को जो न्यूनतम आमदनी गारंटी के दायरे में आते हैं उनके अकाउंट में सीधे पैसे पहुंचाए जाएंगे।
दिलचस्प यह है कि किसी चुनावी बजट या आर्थिक सर्वेक्षण में स्पष्ट नहीं हो पाया है कि न्यूनतम आमदनी आखिर है क्या? यह साफ हुए बिना ही राहुल गांधी ने एक बड़ा चुनावी दांव चला है। यदि इस दाव को वे वोट में तब्दील कर पाए तो निश्चित रूप से कांग्रेस की चुनावी तस्वीर बदल सकती है।
दरअसल यह सब कुछ सामने इस लिहाज से आया की एक आकलन नरेंद्र मोदी सरकार के आखिरी बजट को लेकर है कि सरकार 1 फरवरी को मोदी सरकार द्वारा पेश की जाने वाली बजट का चुनावी बजट होगा।
अनुमान लगाया जाने लगा है यह बजट किसानों को शून्य व्याज के दर पर कर्ज़ देने का होगा। मिडिल क्लास के लोगों को आयकर में भारी छूट दी जा सकती है। मोदी सरकार यूनिवर्सल बेसिक इनकम की बात कर सकती है। दरअसल मोदी सरकार का दावा है कि गरीबों की संख्या पिछले 5 साल में बेहद कम हुई है अब जो अनुमान लगाया जा रहे हैं कि मोदी सरकार का जो आखिरी बजट है जिसके लिए कांग्रेस पार्टी कहती है कि बजट अंतरिम बजट होना चाहिए। पूर्ण बजट नहीं होना चाहिए। उधर मोदी सरकार का मानना है कि कोई भी बजट अंतरिम नहीं होता। ऐसे में मोदी सरकार के बजट को लेकर के उम्मीदें इस कदर बढ़ा दी गई है। यदि धरातल बजट पर कमजोर नजर आई तो कांग्रेस को सरकार के खिलाफ एक बड़ा हथियार मिलेगा।
ऐसे में उस बजट से ठीक पहले ही छत्तीसगढ़ में राहुल गांधी ने जो चुनावी दांव चला है वह निश्चित रूप से मोदी सरकार पर एक धारदार असर छोड़ने वाली है। मोदी सरकार द्वारा दिए गए हथियार का इस्तेमाल ही राहुल गांधी अपने पक्ष में करना चाहते हैं। यह सब तब जबकि लगातार गरीबी हटाओ का कांग्रेस का नारा दशकों बाद भी बेदम रहा है। किसानों की कर्ज माफी के नाम पर तीन राज्यों में कांग्रेस की सरकार वापस आई। लेकिन कर्ज माफी के नाम पर बड़े पैमाने पर अनियमितता सामने आई। यह सामने आया किसी का ₹13 कर्ज माफ हुआ तो किसी का ₹100 का। चुनावी वादे अपनी जगह होती हैं। लेकिन उसे ज़मीन पर उतारना उतना आसान नहीं होता। अब सरकार को तय करना है जिस तरह से राहुल गांधी ने अब तक का सबसे बड़ा चुनावी दांव चला है धरातल पर असरदार है या उनके पापा और दादी की गरीबी हटाओ के नारे की तरह बस चुनावी सपने का सौदा।
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