जिस हिंदुस्तान एरोनॉटिक्स लिमिटेड (HAL) का गुणगान करते हुए कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने राफेल ऑफसेट डील के लिए उसकी पैरवी कर रहे हैं उसकी एक बार फिर लेटलतीफी सामने आ गई है। तेजस विमान के निर्माण में एचएएल की देरी को देखते हुए ही भारतीय वायुसेना ने रक्षा मंत्रालय से तेजस जेट सौदा रद्द करने की सिफारिश की है। वायुसेना के एक अधिकारी ने कहा है कि तेजस विमान कार्यक्रम में एक साल से भी अधिक की देरी हो चुकी है। मालूम हो कि रक्षा खरीद परिषद ने नवंबर 2016 में ही 50 हजार करोड़ रुपए के सौदे पर मुहर लगा दी थी। इस सौदे के तहत एचएएल को 83 तेजस विमान बना कर देना था, लेकिन अभी तक उसने एक भी तेजस विमान नहीं बना पाया है।
निविदा शर्तें पूरी नहीं करने के संबंध में वायु सेना ने रक्षा मंत्रालय को पत्र लिखकर एचएएल की लेटतलतीफी से अवगत करा दिया है। रक्षा मंत्रालय को लिखे पत्र में वायुसेना ने एचएएल की तीन बड़ी खामियों का जिक्र किया है। साथ इस मामले में रक्षा मंत्रालय से समुजित कदम उठाने का भी अनुरोध किया है।
वायु सेना जो पत्र रक्षा मंत्रालय को लिखा है उसके बारे में रक्षा मंत्रालय के एक अधिकारी का कहना है कि यह तो एक प्रकार का सौदा निरस्त करने की सिफारिश है। गौरतलब है कि भारतीय वायुसेना ने अपने पुराने पड़ चुके मिग-21 और मिग-27 विमानों के बेड़े को बदलने के लिए 40 एलसीए जेट विमानों की खरीद का आदेश जारी किया वहीं 83 मार्क 1ए एलसीए के लिए टेंडर जारी किया। भारतीय वायुसेना ने एचएएल को दिसंबर 2017 में टेंडर जारी कर दिया था।
टेंडर जारी होने के तीन महीने बाद यानि मार्च 2018 में एचएएल ने वायुसेना को रिक्वेस्ट फॉर प्रपोजल के तहत तकनीकी और आर्थिक मसौदा सौंपा। एचएएल के मसौदे में तीन गलतियां सामने आ गई है। पहली गलती कीमत के आधार पर थी, एचएएल ने प्रित विमान जो कीमत बताई है वह आज के हिसाब से काफी महंगा है। एचएएल ने विमान की कीमत की वैधता में घपला किया हुआ है। कीमत की वैधता जहां 18 महीने की होती है वहीं उसने अपने मसविदा में 12 महीने की वैधता दे रखी है। इसके साथ ही एचएएल ने अपने मसविदा में जंग के मोर्चे पर उड़ान लायक स्थिति में विमान आपूर्ति करने की जो समय अवधि बताई है वह भी काफी लंबी है। वायुसेना के अधिकारियों का कहना है कि एचएएल के मसविदा को देखकर यह नहीं लगता है कि वह विमान बनाने के प्रति गंभीर भी है।
वायुसेना का कहना है तेजस विमान निर्माण कार्यक्रम पहले ही एक वर्ष से ज्यादा लेट हो चुका है। रक्षा खरीद परिषद ने नवंबर 2016 में ही 50 हजार करोड़ रुपए के सौदे पर मुहर लगा दी थी। लेकिन एक साल तो एचएएल के अधिकारियों से बात करने में ही बीत गया। ऊपर से एचएएल की सुस्ती की वजह से ही विमानों की आपूर्ति और भुगतान को लेकर भी कोई रास्ता नहीं निकल पाया है। ऐसे में कहा जा सकता है कि एचएएल को दिया गया तेजस विमान निर्माण का सौदा निरस्त ही समझा जाना चाहिए।
एचएएल की सुस्ती को देखते हुए एक बार फिर सवाल उठता है कि जो कंपनी राष्ट्रीय स्तर पर आपूर्ति और भुगतान का रास्ता नहीं निकाल सकती वह अतंरराष्ट्रीय स्तर पर काम करने लायक कैसे बन सकती है।
URL : IAF complained HAL to defence ministry for not performing!
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