5 अप्रैल 1993 की शाम अभिनेत्री दिव्या भारती मद्रास से शूटिंग कर मुंबई में वर्सोवा स्थित अपने घर तुलसी अपार्टमेंट में पहुंची थीं। उस दिन वह बहुत खुश थी। उसी शाम को वह बांद्रा वेस्ट स्थित नेप्च्यून अपार्टमेंट गई थीं। वह अपने भाई कुणाल के लिए चार बेडरूम का फ्लेट खरीदना चाहती थी और उस शाम उन्होंने डील फाइनल कर ली थी।अगले दिन ही दिव्या को हैदराबाद शूटिंग के लिए जाना था लेकिन उनके पैर में चोट लगने की वजह से पट्टी बंधी हुई थी। यही कारण था कि वे हैदराबाद नहीं जाना चाहती थी।
इसके छह घंटे बाद दिव्या की संदेहास्पद परिस्थितियों में मौत हो जाती है। वे रात 11.30 बजे पांचवे फ्लोर से नीचे गिर जाती हैं। प्रथम दृष्टया जाँच के बाद इसे ‘असामान्य मृत्यु’ बताकर फ़ाइल बंद कर दी जाती है और उनकी संदिग्ध मौत से उपजे प्रश्न अनुत्तरित ही रह जाते हैं। आज सुशांत सिंह राजपूत की संदिग्ध मौत पर भी ऐसे ही सवाल उठ रहे हैं।
कहते हैं इतिहास खुद को दोहराता है। सुशांत सिंह राजपूत की संदिग्ध मौत के बाद नब्बे के दशक में हुई दिव्या भारती की रहस्य्मयी मौत का पुनः स्मरण हो आया है। सुशांत की मौत में ऐसे ही पेंच हैं, जैसे दिव्या भारती की मौत के समय दिखाई दिए थे। दोनों की ही मौत संदेह के घने कोहरे में लिपटी हुई है।
कई ख्यातनाम हस्तियों ने सुशांत की मौत की सीबीआई जांच कराने की मांग उठाई है। उनमे से एक अभिनेता शेखर सुमन ने ट्विटर के जरिये कहा है कि उन्हें इसी बात का शक था। शेखर के मुताबिक ये कहानी गढ़ी हुई लग रही है। महाराष्ट्र सरकार से सीबीआई जाँच की मांग की जा रही है लेकिन अब तक उद्धव सरकार ने इस मुद्दे पर अपना स्पष्ट मत नहीं रखा है।
आत्महत्या का विचार मन में अचानक नहीं आता। ये विचार बहुत पहले से घुमड़ता रहता है। व्यक्ति अवसादग्रस्त रहता है और अधिक से अधिक अकेला रहने का प्रयास करता है क्योंकि मित्रों व परिवार का साथ उसके आत्महत्या के इरादे बदल सकता है। सुशांत के मामले में ऐसा कुछ नहीं दिखाई दिया।
मौत से पहले की रात उनके दोस्त घर आए थे। पड़ोसियों का कहना है कि फ़्लैट से मस्ती-मजाक करने की आवाजें आ रही थी। माना सुशांत बॉलीवुड में चल रहे नेपोटिज्म के कारण परेशान थे लेकिन ऐसी कोई वजह भी नहीं थी कि वे अचानक मौत को गले लगा लेंगे। जो व्यक्ति भविष्य को लेकर नई योजनाएं बना रहा था, उसका आत्महत्या करना संदेह पैदा करता है।
अधिकांश आत्महत्या करने वाले दुनिया को बताकर जाते हैं कि वे दुनिया छोड़ रहे हैं। वे नहीं चाहते कि उनका परिवार और समाज जान ही न सके कि उनका दुःख क्या था। यही कारण है कि नब्बे प्रतिशत मामलों में पुलिस को सुसाइड नोट मिलता ही है। सुशांत तो एक ख्यात व्यक्ति थे, परिवार से उनका गहरा जुड़ाव था।
इसलिए उन्होंने आत्महत्या की होती तो परिवार और प्रशंसकों को बताकर जाते कि वे क्यों मरना चाहते थे। सुशांत की मौत पर सवाल उठते ही जिस ढंग से एक पक्ष ने मीडिया का सहारा लेकर लीपापोती शुरू कर दी है, उससे संदेह और गहरा हो जाता है। उद्धव सरकार को सीबीआई जाँच करवाने से क्या दिक्कत है, समझ नहीं आता। शायद राज्य सरकार जल्द से जल्द इस मामले से पीछा छुड़ाना चाहती है।
कुछ लोग मुंबई के ‘कूपर अस्पताल’ की भूमिका भी संदेहास्पद मान रहे हैं। इसी अस्पताल में सुशांत को ले जाया गया था। लोगों का संदेह यूँ ही नहीं है। इसी अस्पताल में दिव्या भारती और परवीन बाबी का भी पोस्टमार्टम किया गया था। उस वक्त भी अस्पताल की भूमिका पर संदेह किया गया था। सुशांत का निवास बांद्रा में है और इस क्षेत्र में लगभग 30 अस्पताल है लेकिन उनको सात किमी दूर जुहू के कूपर अस्पताल ही क्यों ले जाया गया।
क्या मुंबई पुलिस ने इस आधार पर केस की जांच की है। हालाँकि पुलिस की जाँच से ऐसा लग रहा है कि उनको सुशांत के केस की फ़ाइल बंद करने की बहुत जल्दी पड़ी हुई है। पुलिस उनके करीबियों से पूछताछ कर रही है लेकिन अब तक उन दोस्तों से बात नहीं की,जो उनकी मौत से एक रात पहले उनसे मिलने आए थे।
सुशांत ने जिस कुर्ते का फंदा बनाया था, उसे जांचा जाएगा कि कुर्ता उनका वजन संभाल सकता था या नहीं। उनके कपड़ों की अलमारी बिखरी हुई मिली है, जिससे संदेह और पुख्ता हो रहा है। ये भी पता चला है कि सुशांत के कुछ ट्वीट्स उनके मरने के बाद डिलीट किये गए हैं। इससे संदेह है कि उनका ये अकाउंट कोई और चला रहा है।
अब पुलिस उनके अकाउंट का छह माह का डाटा चेक करने जा रही है। ये तथ्य स्पष्ट करते हैं कि सुशांत की मौत सन्देहास्पद है। शुरूआती जाँच और मिले तथ्यों के आधार पर अब उद्धव सरकार को केंद्र से सीबीआई जाँच की मांग करनी चाहिए। हालांकि अब तक पालघर में हुई साधुओं की हत्या का जिम्मा भी सीबीआई को नहीं सौंपा गया है तो सुशांत के मामले में उम्मीद कम ही दिखाई देती है।
दिव्या भारती की संदेहास्पद मौत में पुलिस एक पॉइंट पर जाँच करना भूल गई या उसने जानबूझकर की। दिव्या के पैर में चोट लगी थी। पट्टी बंधे हुए पैर के कारण खुली खिड़की पर चढ़ना उनके लिए आसान नहीं था। जाँच में यही बताया गया है कि उनका संतुलन बिगड़ गया था।
स्वाभाविक है कि दिव्या ऐसी स्थिति में खिड़की पर जाकर कोई रिस्क नहीं उठाती। ये कॉमन सेन्स है, जिसकी पुलिस ने जाँच नहीं की। सुशांत ने कोई सुसाइड नोट नहीं छोड़ा। उनका ट्विटर कोई अज्ञात व्यक्ति चला रहा है। इतिहास खुद को दोहराता है। दिव्या भारती की मौत से उपजे सवाल आज सुशांत की संदिग्ध मौत के सवाल बनकर खड़े हैं।
क्या आप को नहीं लगता संदीपजी कि बॉलीवुड में वर्षों बाद ऐसी संदिग्ध मौत, महाराष्ट्र में NCP और congress के गठजोड़ का फल है | शरद पवार तो है भी दाऊद का एजेंट, दीपिका पादुकोण तो उसके इशारे पर जा भी चुकी के JNU, क्या पता उसकी chhapak धपाक होने के कारण भी उन्हें सुशांत से खतरा लगता हों , इन सबका दाऊद कनेक्शन गहरा है ?????