आईएसडी नेटवर्क। सुशांत सिंह राजपूत केस में बड़ा डेवलपमेंट ये है कि इससे जुड़े दिशा केस में अहम गवाह रोहन रॉय की लोकेशन मुंबई में बताई जा रही है। सूत्रों के मुताबिक रोहन अपने पिता के साथ है और लगातार लोकेशन बदलता जा रहा है। नारकोटिक्स कंट्रोल ब्यूरो की छापेमारी कार्रवाई जारी है। गिरफ्तार ड्रग पैडलर राहिल विश्राम को 28 सितंबर तक न्यायिक हिरासत में भेज दिया गया है। उधर रिया चक्रवर्ती को जेल का जीवन और एनसीबी की सख्ती रास नहीं आ रही है। खबर है कि रिया लगातार मुंबई की फ़िल्मी हस्तियों के नाम उगलती जा रही है। इस केस में सारा अली खान और रकुल प्रीत को एनसीबी समन भेजने जा रही है।
दिशा के फरार मंगेतर की तलाश जारी है लेकिन अब तक उसकी कोई खबर नहीं मिल सकी है। एक चैनल ने दावा किया कि रोहन मुंबई से बाहर नहीं गया बल्कि यही है और अपने पिता के साथ है। गुरुवार को ऐसी ख़बरें आई थी कि वह भागकर हरियाणा चला गया था।
सुशांत के हत्यारों तक पहुँचने के लिए रोहन तक सीबीआई का पहुंचना बहुत आवश्यक है। रोहन के घर इस बारे में कुछ भी कहने से मना कर दिया गया। दिशा सालियान का फोन अब तक नहीं मिल सका है और उस रात पार्टी में शामिल उनके दोस्त भी गायब बताए जा रहे हैं।
सुशांत के मामले में महाराष्ट्र सरकार की और से टीवी चैनलों की बहस में आने वाले प्रवक्ताओं ने केंद्रीय एजेंसियों की जाँच पर झूठ फैलाना शुरू कर दिया है। प्रवक्ता लाइव आकर कह रहे हैं कि सीबीआई को जाँच में कुछ नहीं मिला है इसलिए सीबीआई दिल्ली लौट गई है। ऐसा इसलिए भी है कि अब तक तीनों केंद्रीय जाँच एजेंसियों ने आधिकारिक रूप से एक भी बयान नहीं दिया है। इस कारण महाराष्ट्र सरकार एजेंसियों पर हमलावर है।
सुशांत की हत्या को लेकर अहम गिरफ्तारियों में रिया और शौविक का नाम प्रमुख है जबकि एक और संदिग्ध संदीप सिंह अब भी सीबीआई के राडार से बाहर है। कूपर अस्पताल को क्लीन चिट दे दी गई और अब तक पोस्टमार्टम करने वाले डॉक्टरों पर भी कोई कार्रवाई के संकेत नहीं दिख रहे हैं।
मुंबई पुलिस कमिश्नर परमबीर सिंह पर भी आज तक कोई कार्रवाई नहीं की गई है। कुल मिलाकर सुशांत और दिशा के केस में मीडिया तो रोज ही खुलासे कर रहा है लेकिन उपलब्धि के नाम पर एजेंसियों के हाथ अब तक खाली ही है। सुशांत का विसरा एक माह पूर्व ही दिल्ली भेज दिया गया था लेकिन अब तक वह रिपोर्ट सीबीआई को प्राप्त ही नहीं हुई है। कुछ फ़िल्मकार देश छोड़कर चले गए हैं और कुछ मुंबई से बाहर हैं।
सीबीआई जाँच को एक माह से अधिक होने आया है और अब महाराष्ट्र सरकार के साथ विपक्ष भी केंद्र पर हमलावर हो रहा है। सुशांत सिंह राजपूत पर से मीडिया का अटेंशन अब कम हो चला है। जाहिर सी बात है कि एक केस को मीडिया महीनों तक नहीं चला सकता। निश्चित ही आने वाले दिनों में सुशांत के लिए न्याय की गुहार धीमी पड़ती चली जाएगी। सुशांत के प्रशंसकों और उनके लिए लड़ने वालों के मन में भी यही सवाल है कि अब तक जाँच एजेंसियों के हाथ में एक भी उपलब्धि क्यों नहीं है।