लाल किले से तिरंगे के अपमान को 24 घंटे होने आए हैं लेकिन राजधानी में सरकार का सख्त एक्शन देखने को नहीं मिला है। गणतंत्र दिवस के उल्लास को पीड़ा में बदल देने का दुःसाहस करने के बावजूद दिल्ली पुलिस ने अपनी आस्तीनें ऊँची नहीं की है। सरकार का ठंडा रवैया देखकर विपक्षी दल और मीडिया दंगाइयों का जमकर पक्ष ले रहे हैं।
24 घंटे के भीतर देश के ध्वज के अपमान को सही ठहराने के बेशर्म प्रयास शुरु हो गए हैं। किसान मोर्चा पंजाबी गायक दीप सिंह सिद्धू को इस बलवे के लिए ज़िम्मेदार मान रहा है और ये गायक कह रहा है कि संयुक्त मोर्चा के कहने पर ही वह किसानों को लेकर लाल किला गया था। दिनभर बलवा होने के बाद दिल्ली पुलिस कमिश्नर अपनी पुलिस को सख्ती बरतने को कहते हैं।
कमिश्नर साहब चाहते हैं कि पुलिस एक लाठी और लकड़ी की ढाल के भरोसे सख्ती दिखाए, जबकि सामने घोड़ों पर तलवार लहराते कथित किसान हैं, उनके हाथों में फरसे और भाले भी दिखाई दे रहे हैं। केंद्र सरकार दिनभर बलवा चलने के बाद शाम को उच्च स्तरीय बैठक बुलाती है। उस बैठक का क्या परिणाम हुआ, क्या निर्देश दिए गए, इस बारे में मीडिया कुछ नहीं बता पाता।
देश के आम आदमी के लिए ये समझ पाना मुश्किल है कि दंगाइयों को अपनी मनमानी कर लेने के बाद अर्ध सैनिक बल सड़क पर उतर कर क्या करेंगे। मीडिया के सामने सदा झुक जाने की आदत गणतंत्र दिवस के दिन सरकार को बहुत भारी पड़ी। पहले से ही मनमानी फेक पत्रकारिता कर रहे न्यूज़ चैनल इस मामले को लेकर सरकार पर ही टूट पड़े।
कल का दिन एक देशभक्त भारतीय के लिए किसी सदमे से कम नहीं रहा। अब बात करते हैं पूर्व तैयारियां की। किसानों के दिल्ली में घुसने और उसके बाद के बलवे में क्या त्रुटियां रहीं, ये जानिये।
– दिल्ली की सीमा में घुस रहे ट्रेक्टरों की कड़ी जाँच नहीं की गई। इसके कारण हथियार आसानी से अंदर तक चले गए।
– ये जानते हुए कि आम आदमी पार्टी दिल्ली के अंदर से इस बलवे में मदद करेगी, इसे रोकने की कोई पूर्व तयारी नहीं की गई।
– पुलिस को मारने वाले सिख नहीं थे। ये लोग दिल्ली के विभिन्न क्षेत्रों से किसानों के साथ शामिल हो गए थे।
-दिल्ली जैसे महानगर में आप सड़क पर एक पत्थर नहीं खोज सकते। एकाएक इतने सारे पत्थर पुलिस की निगाह से बचाकर कैसे लाए गए।
– बलवे के बाद न्यूज़ चैनलों पर आम आदमी पार्टी के विज्ञापनों में अचानक तेज़ी आ गई। ये एक किस्म की रिश्वत थी ताकि पूरे बलवे में केजरीवाल एन्ड पार्टी पर कोई आरोप न लग सके।
-योगेंद्र यादव जैसे नेताओं की रात तक गिरफ्तारी नहीं की गई। जिस समय ट्रेक्टर दिल्ली में दाखिल हो रहे थे, योगेंद्र यादव हिंसा न करने की अपील करते हुए स्पॉट हुए थे। उनको कैसे पता था कि कुछ देर बाद दिल्ली में बलवा होने जा रहा है।
-पंजाबी गायक दीप सिंह सिद्धू स्वयं लाल किले की प्राचीर पर चढ़ा और खालसा का ध्वज फहराया। ये गायक ने केवल आज़ाद हैं बल्कि बयान पर बयान दिए जा रहा है।
-रिपब्लिक भारत पर अर्नब गोस्वामी ने पहले ही बता दिया था कि दिल्ली में क्या होने जा रहा है। केंद्र सरकार ने इस पर कोई ध्यान नहीं दिया। ये पूछा जाना चाहिए कि गृह मंत्रालय को रिपोर्ट करने वाला गुप्तचर अमला क्या कर रहा था। इंटेलिजेंस क्या घास लेने गई थी?