विपुल रेगे। टेक्सटाइल व्यवसायी निखिल जैन और बंगाली अभिनेत्री नुसरत जहाँ का अलगाव चर्चा में है। सन 2019 में इन दोनों का विवाह हिंदू परंपरा के अनुसार हुआ था। दो वर्ष पूरे होते-होते ये रिश्ता समाप्ति की कगार पर खड़ा है। सतह के नीचे बहुत कुछ दबा होता है। राजनीतिक गलियारों के सुंदर कालीनों के नीचे दबी कालिख में सच दबा सा घुटता रहता है। कहीं ये एक शार्ट टर्म विवाह तो नहीं था, जो किसी विशेष प्रयोजन से किया गया था। वामपंथी मन को भाने वाले सेकुलर विवाह को बंगाल में आदर्श बनाकर प्रस्तुत किया गया था। नुसरत के नए प्रेमी का मामला सामने आने के बाद प्रकरण राजनीतिक रंग में रंगता दिखाई दे रहा है।
इस मुद्दे पर Sandeep Deo का Video
नुसरत जहाँ के विस्फोटक बयान से पूर्व उनके गर्भवती होने की ख़बरें आई और उसके बाद निखिल जैन का वह बयान, जिसमे वे वह रहे हैं कि उनकी तो छह माह से नुसरत से मुलाक़ात ही नहीं हुई है। नुसरत ने कहा कि निखिल के साथ उनका विवाह कभी वैध ही नहीं था। इसका अर्थ होता है कि वे पहले दिन से जानती थीं कि वे एक अवैध विवाह में हैं। वे क्या निखिल जैन भी ये जानते थे कि तुर्की विवाह विनियम के अनुसार ये विवाह भारत की धरती पर मान्य नहीं होगा।
इस पॉइंट पर आकर इन दोनों के विवाह का अनैतिक आधार सामने आने लगता है। ये दोनों अपने देश को छोड़कर दूसरे देश में जाकर विवाह क्यों रचाते हैं ? जब ये वापस आए तो अपने विवाह को भारत के विशेष विवाह अधिनियम के तहत मान्यता देने के प्रयास क्यों नहीं किये ? इसका मतलब साफ़ है कि नुसरत और निखिल के लिए ये विवाह नहीं बल्कि एक शार्ट टर्म डील थी, जिसके प्रयोजन घोर राजनीतिक दिखाई देते हैं।
जैसा कि विदित है कि ये एक प्रेम विवाह था। ऐसा कहा जाता है कि नुसरत और निखिल पहली बार सन 2018 में दुर्गा पूजा के कार्यक्रम में मिले थे। फिर इनकी नजदीकियां बढ़ती चली गई। निखिल जैन के पिता का टेस्क्टाइल का बहुत बड़ा व्यापार है। उनके उद्यम का नाम है ‘रंगोली’। नुसरत रंगोली के लिए ब्रांड एम्बेसेडर और सुपर मॉडल का भी कार्य करती रही।
ये सब बड़ी तेज़ी के साथ घटित होता चला गया। सन 2019 में नुसरत सत्तासीन तृणमूल कांग्रेस का हाथ थाम लेती हैं और बशीरहाट से चुनाव लड़कर सांसद बनती हैं। 24 मई को नुसरत सांसद का पदभार संभालती हैं और इसके ठीक बाद 19 जून को तुर्की जाकर निखिल जैन के साथ विवाह करती हैं। उस विवाह समारोह के दृश्य देखते ही मन को धक्का लगता है। नुसरत और निखिल कुर्सी पर बैठे हैं। निखिल के पैरों के पास पवित्र अग्नि जल रही है। पुरोहित जमीन पर बैठे हैं। क्या सनातनी विवाह ऐसा होता है ?
अब जबकि नुसरत और निखिल की स्तरहीन बयानबाज़ी से उनका तथाकथित सनातनी रिश्ता चूर-चूर हो गया है, तो कहानी में नए ट्विस्ट लाए जा रहे हैं। न्यूज़ चैनलों की कृपा से नुसरत का एक अन्य बंगाली अभिनेता यश दासगुप्ता से उनका अफेयर बताया जा रहा है। यश और नुसरत साथ मंदिर जाते देखे गए थे। हालांकि मीडिया महीनों पुरानी खबर को उठाकर लाया है, जिसका खंडन यश दासगुप्ता और नुसरत पहले ही कर चुके हैं।
क्या नुसरत को एक ट्रोजन हॉर्स की तरह इस्तेमाल किया गया था। उल्लेखनीय है कि नुसरत के इस विवाह को तृणमूल कांग्रेस की ओर से खासा प्रचारित किया गया था। उनके विवाह के रिसेप्शन में स्वयं ममता बनर्जी आईं थीं। क्या नुसरत का इस्तेमाल इस नेरेटिव को गलत सिद्ध करने के लिए किया गया कि मुस्लिम कन्याओं की हिन्दू पुरुषों से शादी नहीं हो सकती?
क्या टीएमसी ने इस विवाह और नुसरत को इसलिए प्रचारित किया क्योंकि बंगाल विधानसभा चुनाव होने जा रहे थे। एक गंभीर प्रेम प्रसंग को विवाह तक ले जाना और फिर निर्दयता से बंधन तोड़ देने को क्या कहा जाए। क्या एक अंतरधार्मिक विवाह को राजनीतिक उद्देश्यों की पूर्ति के लिए इस्तेमाल किया गया ? नुसरत और निखिल की तुर्की में शादी करना इस कहानी में सबसे बड़ा संदेह का पेंच है।