पूरे विश्व में चर्चा है कि कोरोना और वैक्सीन दोनों पर रिसर्च का काम कई दशकों से चल रहा है। इस बात के अमिट साक्ष्य मौजूद हैं। हो सकता है इसमें शत्-प्रतिशत सच्चाई ना हो परन्तु कुछ ना कुछ तो होगा ही जिससे पूरी दुनिया इस विषय में चर्चा कर रही है। सबसे दुखद यह है कि इस नरसंहार में दुनिया के सम्पन्न देश एवं व्यक्तियों के नाम उछाले जा रहें हैं। करोड़ों बेगुनाहों की दर्दनाक मौत मानव पर प्रकृति से छेड़खानी का प्रतिघात है। क्या कोई कोरोना और वैक्सीन से होने वाली लोगों की हत्या का गुनाह बता सकता है ?
क्या जरूरत थी प्रकृति से छेड़खानी कर सार्स-कोवी 2 को ख़तरनाक बनाने की ? आज यह दैत्याकार दानव मानव विनाश का कारण बन गया है। नृसंश मानव हत्या के साथ पूरे विश्व की अर्थव्यवस्था चरमरा गई है, जिसके बहुत ही वीभत्स परिणाम भुखमरी, बेरोज़गारी, अराजकता, अपराध के रूप में आगे आने वाले हैं।
कोरोना का जन्म प्रकृति के साथ मानव छेड़खानी का परिणाम है। इस छेड़छाड ने सार्स-कोवी 2 वाइरस की प्रकृति को बदल दिया है जिसके फलस्वरूप यह तेज़ी से स्ट्रेन बदल रहा है। चूँकि अगले स्ट्रेन का पूर्वाभास संभव नहीं है अत: इसका संभावित उपाय निकालना भी असंभव है।
सवाल उठता है कि यदि उपाय संभव नहीं है तो आख़िर क्या करें ? मेरी माने तो निर्रथक प्रयास बंद करें और सबकुछ प्रकृति पर छोड़ दें। सभी को व्यक्तिगत इम्यूनिटी बढ़ाने और निरंतर बनाये रखने के सुझाव दें जिससे हर व्यक्ति की इम्यूनिटी किसी भी समय वाइरस से लड़ने में सक्षम हो। जब भी जनसंख्या के 70-80% लोगों की इम्यूनिटी स्ट्रॉंग होगी और उनपर वाइरस का अटैक होगा तो पता भी नहीं चलेगा, क्योंकि वाइरस के शरीर में प्रवेश करते ही एन्टीबॉडी उसे समाप्त कर देगी और किसी प्रकार के लक्षण का भी एहसास नहीं होगा। इस प्रक्रिया से वाइरस की चेन स्वतः ब्रेक हो जायेगी और बाक़ी 20-30% को हर्ड इम्यूनिटी का लाभ मिल जायेगा।हो सकता है कि कुछ लोगों को माइल्ड या सीवीयर लक्षण भी हों तथा उन्हें उपचार की आवश्यकता पडे़ और कुछ लोगों की मृत्यु भी हो सकती है, परन्तु यह संख्या मौजूदा परिस्थिति से कम ही होगी। इस उपाय से लाभ यह है कि यह हर स्ट्रेन पर बराबरी से कारगर होगा और इंसान नार्मल ज़िन्दगी जी सकेगा।
जब से कोरोना रिलीज़ हुआ वैक्सीन की अफ़वाहों ने ज़ोर पकड़ लिया। मीडिया में वैक्सीन की जानकारी देने और गुणवत्ता बताने वालों का तॉंता लग गया। पूरे विश्व में वैक्सीन की खोज से जुड़े वैज्ञानिकों के अलावा सभी ने वैक्सीन पर बेबुनियाद बयान जारी किये और करते जा रहें हैं। कुछ तथ्य अवलोकन हेतु नीचे प्रस्तुत हैं-
(1) वैज्ञानिकों के अनुसार सुरक्षित वैक्सीन बनने में कम से कम 10 वर्ष का समय लगता है, फिर कोरोना की पहली वैक्सीन का ट्रायल मध्य मार्च 2020 में कोरोना लॉंच के 4 महीनों के अंदर कैसे शुरू हो गया ? क्या इस वैक्सीन की खोज पहले ही की जा चुकी थी? इसकी जाँच की जानी चाहिये।
(2) वैक्सीन का काम लोगों को सुरक्षा प्रदान करना है। परन्तु कोरोना वैक्सीन को इमरजेंसी प्रयोग की अनुमति देकर सभी सेफ़्टी नार्म बाईपास कर दिये गये। क्या ऐसी वैक्सीन सुरक्षा प्रदान कर सकती है? मॉडर्ना और फ़ाइज़र ने तो इन्डेमिनिटी बॉन्ड की माँग कर हद ही कर दी है।
(3) वैक्सीन का बुनियादी काम लोगों के अंदर वाइरस विशेष को नष्ट करने के लिये एन्टीबॉडी तैयार करना है, जिससे भविष्य में वाइरस विशेष के अटैक होने पर इम्यूनिटी अविलंब वही एन्टीबॉडी बनाकर शरीर को सुरक्षित कर सके। परन्तु कोरोना वाइरस का स्ट्रेन निरंतर बदल रहा है, अत: वाइरस विशेष के लिये बनी वैक्सीन बदलते स्ट्रेन पर कैसे कारगर होगी?
(4) वैसे तो यह अतिशयोक्ति होगी, परन्तु यदि यह मान भी लिया जाये कि वैक्सीन बदलते हुये स्ट्रेन पर भी कारगर होगी तो फिर इतनी जद्दोजहद क्यों ? सार्स-कोवी2 (कोरोना के बुनियादी स्ट्रेन) की वैक्सीन सभी को लगा देते जो कोरोना के आगे आने वाले सभी स्ट्रेन पर कारगर होती और सभी कोरोना से सदैव के लिये सुरक्षित हो जाते !
(5) लोगों को बताया जा रहा है कि वैक्सीन से इम्यूनिटी बढ़ती हैं परन्तु यह सच्चाई नहीं है। वैक्सीन वाइरस विशेष के लिये इम्यूनिटी को एन्टीबॉडी बनाने का पूर्वाभास देती हैं। वैक्सीन लगवाने के बाद यह सूचना शरीर को सुरक्षा तभी प्रदान कर पायेगी जब इम्यूनिटी मज़बूत होगी। यही कारण है कि दोनों वैक्सीन समय पर लेने के बावजूद भी कमजोर इम्यूनिटी वालों की मृत्यु हो रही है ।
(6) एक और प्रोपोगैंडा यह है कि कोरोना की एन्टीबॉडी ज़्यादा समय तक खून में नहीं रहती। मेरा सवाल यह है कि कोरोना की एन्टीबॉडी ज़्यादा समय खून में क्यों रहनी चाहिए ? एन्टीबॉडी का निर्माण किसी इनफ़ेक्शन विशेष के लिये इम्यूनिटी करती है। अत: इनफ़ेक्शन समाप्त होने पर एन्टीबॉडी का समाप्त होना लाज़मी है। एन्टीबॉडी तभी ज़्यादा समय तक खून में मौजूद होगी जब शरीर में इनफ़ेक्शन मौजूद होगा। इसलिये एन्टीबॉडी का जल्दी समाप्त होना मज़बूत इम्यूनिटी का सूचक है ना कि इम्यूनिटी की कमजोरी। परन्तु लोगों को यह बताया जा रहा है कि चूँकि कोरोना की एन्टीबॉडी तीन महीने में ही समाप्त हो जाती हैं, अत: दुबारा वैक्सीन लगवाना पडेगा और आगे आने वाले समय में इसे नियमित समय पर रिपीट करना होगा। इससे हर व्यक्ति वैक्सीन का गुलाम बन जायेगा ।
(7) लोगों को यह भी बताया जा रहा है कि वैक्सीन से इम्यूनिटी बढ़ती है यह सरासर झूठ है । वैक्सीन से इम्यूनिटी को महज़ नये प्रकार के विषाणु अथवा जीवाणु हेतु कैसी एन्टीबॉडी बनानी है इसकी जानकारी मिलती है। वास्तविकता यह है कि वैक्सीन लगवाने के बाद कुछ समय के लिये शरीर की इम्यूनिटी कमजोर पड़ जाती है और इस दौरान नये स्ट्रेन के संक्रमण का ख़तरा बढ़ जाता है।
(8) मॉडर्न मेडिसिन के साइड इफ़ेक्ट से सभी वाक़िफ़ हैं। कोरोना वैक्सीन के लॉंगटर्म साइड इफ़ेक्ट का अभी तक कोई आँकलन नहीं हुआ। अत: इस वैक्सीन को लेने से शरीर का कौन सा अंग क्षतिग्रस्त होगा पता नहीं है।
कोरोना तथा उसकी वैक्सीन दोनों ही एक सिक्के के दो पहलू हैं और मनुष्य के लिये दोनों ही बराबरी से ख़तरनाक हैं। आज दुनिया वैक्सीन की भेड़चाल में फँसी है क्योंकि मॉडर्न मेडिसिन सिस्टम का वर्चस्व मीडिया और सोशल मीडिया दोनों पर हाबी है जिसके फलस्वरूप लोगों की सोच बदल गई है। दवा निर्माताओं के पास अपार धन होने के कारण आज समूचे विश्व की अर्थव्यवस्था का संतुलन बिगड़ गया है और हर व्यक्ति आर्थिक रूप से इनका गुलाम हो गया है।
सभी को पता है कि शरीर को स्वस्थ एवं सुरक्षित रखने के लिये तथा दवा, थिरैपी और वैक्सीन को कारगर होने के लिये मज़बूत इम्यूनिटी की आवश्यकता होती है। अत: यदि सब कुछ इम्यूनिटी पर ही आश्रित है तो हम वैक्सीन की जगह इम्यूनिटी को मज़बूत करने का उपाय क्यों नहीं करते जो हमें कोरोना के आगे आने वाले सभी स्ट्रेन के अलावा अन्य परेशानियों में भी मददगार होगी। यह विडंबना है कि शरीर को स्वस्थ्य और सुरक्षित रखने के लिये प्राकृतिक (इम्यूनिटी) तरीक़ों का उपहास किया जा रहा है और अप्राकृतिक (वैक्सीन) को बढ़ावा दिया जा रहा है।
कमान्डर नरेश कुमार मिश्रा
फाउन्डर ज़ायरोपैथी
टॉल फ़्री – 1800-102-1357
फोन- +91-888-222-1817; +91-888-222-1871, +91-991-000-9031
Email: zyropathy@gmail.com
Website: www.Zyropathy.com
www.Zyropathy.in, www.2ndopinion.live
Enhancement of individual Immunity will lead to Herd Immunity…..that seems to be the most viable and the wisest step in this direction… It is hassle-free, hazard-free and natural WAY! ?