साबरमती एक्सप्रेस में रामभक्तों को जलाए जाने की पीड़ा के कारण उसी वर्ष 2002 में मैं पत्रकारिता में आया। मेरा कोई गॉड फादर नहीं था। लेकिन सोच थी कि पत्रकारिता के जरिए ही मैं हिंदुओं की आवाज बन सकता हूं!
संयोग देखिए कि उसी गोधरा काण्ड पर आए अदालती फैसलों (2011) को मीडिया में पर्याप्त जगह नहीं मिलने के कारण फिर पीड़ा महसूस हुई, और वह मेरी पत्रकारिता की नौकरी छोड़ने (2012) का कारण बन गया!
फिर सोचा कि पुस्तक लिख कर हिंदुओं का दर्द लोगों तक पहुंचाऊं। इसका साक्ष्य मेरी पहली पुस्तक ‘साजिश की कहानी-तथ्यों की जुबानी’ है, जो उसी गोधरा की साजिश कर केंद्रित है।
मेरी पत्रकारिता का ध्येय सदा से ही सनातन धर्म और हिंदू समाज है। सनातन धर्म बचेगा तो ही भारत बचेगा- मेरी यह सोच स्पष्ट है!
मैं भगवान विष्णु का भक्त हूं, अतः मैं निष्पक्षता नहीं, न्याय में विश्वास रखता हूं। और यह सच है कि हिंदुओं को उसके ही देश में न्याय नहीं मिल रहा है। हमें न्याय के लिए इस सोए लोकतंत्र को झकझोरना ही होगा। जयश्री कृष्ण!