विपुल रेगे। कंगना रनौत की नई फिल्म धाकड़ शुक्रवार को प्रदर्शित हो गई। कम फुटफॉल्स के साथ रिलीज हुई धाकड़ ने पहले दिन लगभग 3 करोड़ का कलेक्शन किया है। हालाँकि माउथ पब्लिसिटी का सकारात्मक प्रभाव अगले तीन दिन के कलेक्शन पर स्पष्ट दिखाई देगा। ये एक डार्क एक्शन थ्रिलर है, जो मनोरंजन देने में सफल रहती है। यदि माउथ पब्लिसिटी ने ठीक-ठीक काम किया तो लगभग अस्सी करोड़ लागत से बनी ये फिल्म सफलता की ओर मजबूती से कदम बढ़ा सकती है।
कंगना रनौत अपनी हर नई फिल्म में एक नए किरदार के साथ दिखाई देती हैं। इस बार वे एक्शन अवतार में दर्शकों के सम्मुख प्रस्तुत हुई है। कंगना की फिल्म का बॉक्स ऑफिस पर जो भी परिणाम हो, किरदार पर की गई उनकी अटूट मेहनत झलकती है। हालांकि धाकड़ की तुलना न हॉलीवुड से की जा सकती है और न दक्षिण की एक्शन फिल्मों से इसकी कोई तुलना हो सकती है।
बॉलीवुड के मापदंड पर देखा जाए तो ये एक बेहतर फिल्म है। अग्नि एक स्पेशल एजेंट है। वह खतरनाक कामों को अंजाम देती है। एक बार वह यूरोप में मानव तस्करी के बड़े गिरोह को पकड़ लेती है। इसके बाद उसे एक और खतरनाक गिरोह का सफाया करने के लिए भेजा जाता है। ये गिरोह मध्यप्रदेश के जंगलों से अपना काम ऑपरेट करता है।
अग्नि को नहीं मालूम है कि रुद्रवीर के इस गिरोह से उसके बचपन की एक दर्दनाक याद जुड़ी हुई है। निर्देशक रजनीश घई की धाकड़ बहुत तेज़ गति से भागती है। एक्शन दृश्यों से भरपूर इस फिल्म में सबसे अच्छी बात है तो कलाकारों का अभिनय। निर्देशक ने हर कलाकार को एक पोट्रेट की भांति चित्रित किया है। उन्होंने कंगना के अलावा रोहिणी के किरदार को जबरदस्त ढंग से प्रस्तुत किया है।
दिव्या दत्ता ने रोहिणी का किरदार निभाया है और मुख्य विलेन अर्जुन रामपाल से भी अधिक वीभत्स और प्रभावशाली दिखाई देती हैं। अर्जुन रामपाल का किरदार ठीक से लिखा नहीं गया है। उनके एक्शन दृश्य अवश्य प्रभावित करते हैं। बंगाल के रंगकर्म से उभरकर आए प्रसिद्ध अभिनेता शाश्वत चटर्जी एक महत्वपूर्ण किरदार में दिखाई दिए हैं। शारिब हाशमी की प्रतिभा का कबाड़ा ही किया गया है।
उनको बहुत ही कमज़ोर किरदार दिया गया है, जबकि वे इससे भी तगड़े किरदार स्वाभाविकता के साथ निभाते हैं। फिल्म का निर्देशन सरस है। निर्देशक ने एक बड़ी गलती कर डाली है। कंगना को न फिटनेस का अभ्यास करवाया गया है और न मार्शल आर्ट्स का। उनके रिफ्लेक्सेस भी बड़े धीमे लगते हैं। सिनेमा यकीन दिलाने की कला है और यहाँ निर्देशक चूक गया है।
ऐसे किरदार के लिए पश्चिम में हीरो को कई बार एक-एक वर्ष तक मार्शल आर्ट्स और दूसरी कलाओं की ट्रेनिंग लेनी पड़ती है। तब जाकर वह अपने एक्शन दृश्यों में स्वाभाविक और असली दिखाई देता है। कंगना के प्रशंसकों को ये फिल्म निराश नहीं करेगी लेकिन लगातार एक्शन फ़िल्में देखने वाले दर्शकों को कमियां भी दिखाई देंगी। पहले दिन फिल्म ने आशानुरुप ओपनिंग नहीं ली है।
हालाँकि आने वाले दो तीन दिन में कलेक्शन में बढ़ोतरी हो सकती है। धाकड़ के सामने रिलीज हुई भूल-भुलैया-2 को मिश्रित प्रतिक्रियाएं मिल रही हैं। ऐसे में देखना होगा कि कंगना रनौत की धाकड़ बॉक्स ऑफिस पर क्या चमत्कार दिखाती है। फिल्म में अत्यधिक खून-खराबा है इसलिए सेंसर बोर्ड ने इसे ए प्रमाणपत्र प्रदान किया है। इसमें कुछ वयस्क दृश्य भी हैं। इस कारण फिल्म केवल और केवल वयस्क दर्शकों के देखने योग्य है।