आईएसडी नेटवर्क। संघ प्रमुख मोहन भागवत की बयानबाज़ी अब राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के लिए परेशानी का कारण बनती जा रही है। एक दिन पूर्व भागवत ने मुंबई में बयान देकर कहा था कि जाति, वर्ण और संप्रदाय केवल पंडितों द्वारा बनाया गया था। बयान आने के बाद देश के हिंदूवादियों ने भागवत के बयान का पुरज़ोर विरोध करना शुरु कर दिया। प्रचंड विरोध देखते हुए राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की स्थिति सहमी-सहमी दिखाई दी। बाद में संघ ने भागवत के बयान को लेकर लीपापोती शुरु कर दी।
पेशे से पशु चिकित्सक मोहन भागवत सन 2009 में सरसंघचालक मनोनीत हुए। इसके बाद से ही वे अपनी बयानबाज़ियों के लिए चर्चित होने लगे थे। सन 2012 में जब केंद्र में कांग्रेस सरकार थी, तब उन्होंने चीन को भारत के लिए ख़तरा बता दिया था लेकिन भाजपा सरकार बनने के बाद उन्हें अपना ये बयान याद नही आया। सन 2013 में भागवत ने इन्दौर शहर में अत्यंत आपत्तिजनक बयान दिया।
उन्होंने कहा कि विवाह एक सामाजिक समझौता है। भागवत के उस समय के बयान का अर्थ यही होता है कि विवाह एक सौदा होता है। 2017 में श्री भागवत ने जातियों को लेकर बयान दिया, जिसके कारण उनकी बहुत आलोचना की गई। रामचरित मानस विवाद में भागवत ने जो कुछ कहा, उससे सपा नेता स्वामी प्रसाद मौर्य के बयानों को भी बल मिल गया।
स्वामी प्रसाद मौर्य ने अपने आपत्तिजनक बयान पर क्षमा मांगने के बजाय कहा कि ‘हमने तो केवल रामचरितमानस का विरोध किया था लेकिन मोहन भागवत के इस बयान से तो अब हर पुस्तक से जहां भी जाति का वर्णन है वह सब विवाद में आएंगे। 15 दिन से लंबा विचार विमर्श चल रहा है। जातिवाद की बाते करने वाले लोग हिल गए हैं कि कहीं हिंदू धर्म वाले और किसी धर्म में न जाएं, इसलिए समय की नजाकत देखते हुए भागवत जी ने यह बयान दिया है। अगर उन्होंने बिना दबाव से यह बात कही है तो जाति विशेष को अपमानित करने वाली हर पंक्तियों को हटाने की पहल करें।’
स्वामी प्रसाद मौर्य के इस बयान से समझा जा सकता है कि उनकी और मोहन भागवत की लाइन काफी मिल रही है। मोहन भागवत के विवादास्पद बयान का बीते चौबीस घंटे में आक्रामक विरोध किया गया। इसके बाद संघ की ओर से सफाई आ गई। संघ की ओर से कहा गया कि वे ‘विद्वान’ के लिए पंडित शब्द का उपयोग कर रहे थे। इस नए प्रकरण के बाद देश के बड़े स्वयंसेवी संगठन को नए विरोध का सामना करना पड़ सकता है।
सरसंघ चालक के चौदह वर्ष के कार्यकाल में संघ लगातार विवादों में बना रहा है। भागवत के बयान के बाद संघ और भाजपा उनके बयान को डिफेंड करने का प्रयास करते दिखाई दिए। भाजपा नेता केशव प्रसाद मौर्य ने तो भागवत के बयान पर कुछ भी टिप्पणी करने से साफ़ इंकार कर दिया। जिस ढंग से भाजपा और संघ के लोग लगातार हिन्दू धर्म को लेकर बयान दे रहे हैं, उससे पता लग रहा है कि आगामी लोकसभा चुनाव में पार्टी लाइन बहुत हद तक बदल जाने की संभावना है।