रामशंकर कठेरिया। कुछ लोगों/संस्थाओं के अनुसार राष्ट्र प्रथम धर्म बाद में –
भगवान श्रीराम को जब पिता-माता के आदेश से वनवास हुआ तो गुरु वशिष्ठ सहित सबने समझाया कि उन्हें राष्ट्रहित में वनवास नहीं जाना चाहिए, माता सीता को कहा गया कि महाराज दशरथ ने तुम्हे तो वनवास नहीं दिया है, स्वयं महाराज दशरथ ने भी सीताजी से वन नहीं जाने को कहा।
पर राम का धर्म था माता-पिता की आज्ञा का पालन जिसे उन्होंने राष्ट्र से उपर रखा और उसके बाद रामराज्य की स्थापना हुई।
यदि भगवान राम राष्ट्र प्रथम और धर्म उसके बाद के अनुसार चलते तो क्या राक्षसों का संहार होता और क्या रामराज्य स्थापित होता!!!!
द्वापर में दुर्योधन के लिए राष्ट्र प्रथम था इसके लिए वह अधर्म पर चलता रहा।
भीष्म, द्रोणाचार्य, कृपाचार्य इन सबने राष्ट्र प्रथम रखा, धर्म उसके बाद
यहां तक कि युधिष्ठिर ने भी राज्य मिल जाने पर धर्म से विचलित होकर राष्ट्र और राजा की प्रतिष्ठा के लिए जुआ खेलना स्वीकार किया, जिससे महाभारत हुआ।