बुरा मान भी लोगे तो क्या करोगे…?
कर्नाटक विधानसभा चुनाव-2018 का प्रचार जोरों पर है। बड़े-बड़े लुटियन पत्रकार चुनाव कवरेज के लिए कर्नाटक की यात्रा कर रहे हैं। चुनाव कवरेज क्या कहिए, अपनी-अपनी पार्टी को जीत दिलाने के लिए ‘पोलिटिकल फिक्सर’ की भूमिका में यहां-वहां ‘फिक्सिंग’ का खेल खेल रहे हैं। एनडीटीवी के प्रणय राय और देश पर भारतीय सेना के हमले की कल्पना को खबर बनाकर पेश करने वाले शेखर गुप्ता को जब उनके ही टीवी के ‘वॉक-द-टॉक’ शो में पूर्व प्रधानमंत्री देवेगौड़ा पर दवाब बनाते देखा तो समझ गया कि कांग्रेस के पक्ष में आखिरी बैटल जीतने के लिए ये ‘लुटियन जर्नलिस्ट’ कितने बेचैन हैं?
प्रधानमंत्री मोदी ने ‘नमो एप’ पर कर्नाटक के भाजपाई उम्मीदवारों को संबोधित करते हुए एक बात कही थी, जो इन लुटियन पत्रकारों पर बिल्कुल फिट बैठती है। पीएम ने कहा था कि ‘जब कांग्रेस को यह लगने लगा है कि वह कर्नाटक हार रही है तो उसने फर्जी सर्वे के जरिए हंग एसेंबली का दांव चला है और उसके प्रचारक इसे खूब फैला रहे हैं!’ प्रणय-शेखर की जोड़ी को जब देवेगौड़ा पर प्रेशर बनाते देखा तो हंसी आ गयी कि पीएम मोदी इन लुटियंस के इरादों से सचमुच कितने वाकिफ हैं!
प्रणय-शेखर की यह जोड़ी जब भी साथ कोई इंटरव्यू लेने जाती है तो लोगों को यही लगता है कि प्रणय को हिंदी अच्छी नहीं आती, शायद इसीलिए वह शेखर को ले जाते हैं। लेकिन गौर से देखने पर पता चलेगा कि प्रणय की लॉबिंग क्षमता कारपोरेट के मुकाबले पोलिटिकल फिल्ड में थोड़ी कमजोर है, इसलिए वह भारतीय राजनीति के सबसे बड़े ‘लुटियन लॉबिस्ट’ को अपने साथ रखते हैं। तवलीन सिंह ने अपनी पुस्तक ‘द ब्रोकन ट्रस्ट’ में शेखर गुप्ता से जुड़े ऐसे कई कारनामे लिखे हैं, जिससे पता चलता है कि शेखर गुप्ता 10 जनपथ के बेहद करीब होने के कारण सबसे बड़े ‘लुटियन’ हैं!
हां, तो प्रणय-शेखर की यह जोड़ी देवगौड़ा पर यह दबाव बनाने की कोशिश कर रही थी कि यदि त्रिशंकु विधानसभा आती है, और आपका बेटा कुमारस्वामी भाजपा के साथ चले जाते हैं तो आप अपने बेटे से अपना नाता तोड़ लेंगे? देवेगौड़ा बार-बार इसे दोहराते हैं, और शेखर बार-बार इसे पूछ कर तसल्ली कर लेना चाहते हैं ताकि सोनिया गांधी के लाड़ले राहुल गांधी का भविष्य वह अपनी कलाकारी दिखा कर सुरक्षित बना सकें! सोनिय गांधी ने आज तक चार ही पत्रकारों को साक्षात्कार दिया है- राजीव शुक्ला, शेखर गुप्ता, राजदीप सरदेसाई और अरुण पुरी। और इन चारों ने सोनिया से ‘भजिया तलने वाले सवाल’ के अलावा कुछ नहीं पूछा! समझ सकते हैं कि कितना गहरा जुड़ाव है इनका गांधी परिवार से!
समाजशास्त्र के एक विद्यार्थी होने के नाते शेखर-प्रणय द्वारा देवेगौड़ा पर दबाव की इस राजनीति को NDTV के स्क्रीन पर देखकर मैं हंस ही रहा था कि प्रणय के चेले ‘बकैत पांडे’ की याद आ गई! सोचा ‘बकैत’ को आज स्क्रीन काला नहीं करना पड़ेगा, इतना बड़ा निष्पक्ष साक्षात्कार देख कर वह अपने न्यूज चैनल और अन्नदाता की की निष्पक्षता पर छन-छनाकर छेनू हो रहा होगा! तभी शेखर के एक ट्वीट पर मेरी नजर ठहर गयी।
शेखर गुप्ता को बैंगलोर क्लब ने अपमानित करके बाहर निकाल दिया था! शेखर गुप्ता बैंगलोर क्लब में किसी की मेजबानी का लुत्फ उठा रहे थे। हाथ में गिलास उठाए आईपीएल का नजारा देख रहे थे। शेखर ने फैब इंडिया का काफी महंगा कुर्ता-पायजामा पहन रखा था, जो लुटियन पत्रकारों का ‘टिपिकल ड्रेस’ है। शेखर के हाथ में पकड़ी ग्लास की ठंडक थोड़ी कम हो गई थी, इसलिए उन्होंने सोचा कि चलो इसमें थोड़ा बर्फ मिलाया जाए ताकि लुत्फ और बढ़े। वह उठे और बार टेंडर के पास पहुंचे और कहा, ‘थोड़ा बर्फ देना!’ शेखर के हिसाब से वह व्यक्ति मैनेजर जैसा दिख रहा था और ढीली-ढाली, लेकिन गंभीर पोशाक पहने हुए था। शेखर मन ही मन उसकी पोशाक का मजाक उड़ा ही रहे थे कि शेखर को कुर्ता-पायजामा में देखते ही वह भड़क गया और बोला, ‘आपको इस पोशाक में क्लब में प्रवेश नहीं करना चाहिए था। इस पोशाक में आप मस्ती में यहां से वहां मटक रहे हैं। यह उचित नहीं है!’
First time experience of how parts of elite India live in 19th Century. Just got thrown out of Bangalore Club for being dressed in kurta-pyjama. Humble fact: I’m better dressed than so many men here in polyester bush shirts
— Shekhar Gupta (@ShekharGupta) April 26, 2018
पूरी दुनिया को पत्रकारिता का पाठ पढ़ाने वाले शेखर ने कोई प्रतिरोध नहीं किया और पछतावा का बहाना करके अपनी सीट पर बैठ गये। आप सोचिए, यही किसी भाजपा शासित राज्य के क्लब के मैनेजर ने शेखर को कहा होता तो? क्या वह यह लिख रहे होते कि ‘मैं पछतावा का बहाना करके बैठ गया? और मैंने मान लिया कि मेरा वहां चलना-फिरना ही समस्या है?’ तब शायद शेखर वहीं उसे ‘बीफ विवाद’ से जोड़ कर नया वितंडा खड़ा कर चुके होते! लेकिन यहां तो अपनी ’10 जनपथिया माई’ की कांग्रेसी सरकार चल रही थी! हंगामा से कहीं उस माई के बेटे की आखिरी उम्मीद पर पानी न फिर जाए, इसलिए शेखर ने कुर्ता-पायजामा पहनने को लेकर पछतावा जाहिर किया और बैठ गये!
बात इतने तक होती तो शायद किसी को पता ही नहीं चलता, लेकिन बात इससे आगे बढ़ गयी। क्लब का एक चौकीदार शेखर के पास आया और झल्ला कर बोला, ‘आप यहां से तुरंत चले जाइए। अन्य मेहमान आपकी पोशाक पर ऐतराज कर रहे हैं।’ फिर दिमाग पर जोर डालिए और सोचिए कि यह कहीं योगी के शासन वाले यूपी के किसी क्लब में होता तो शेखर इसे भाजपा की विभाजनकारी नीति का प्रभाव बताते हुए तत्काल ट्वीट कर देते। वैसे भी ‘ट्वीटियाने’ में उन्हें खास महारत हासिल है! देखिए न, कठुआ रेप केस में घटना के तीन महीने बाद उसे हिंदू-मुसलमान का रूप देने वाले प्रमुख ‘ट्वीटरबाज’ शेखर ही निकले! यह हम नहीं कह रहे, इसे लेकर ट्वीटर का एनालिसिस करने वालों ने अपनी रिपोर्ट में लिखा है!
खैर, शेखर ने तर्क दिया कि कुर्ता-पायजामा तो राष्ट्रीय पोशाक है! अच्छा, जो लुटियन बिरादरी बात-बात पर राष्ट्रीय ध्वज में मौजूद केसरिया रंग पर अपना फ्रस्ट्रेशन निकालता रहता हो, उसके लिए फैब इंडिया का महंगा कुर्ता-पायजामा राष्ट्रीय पोशाक है! भई वाह! यह तो पहली बार पता चला!
शेखर तर्क-वितर्क करते रहे, लेकिन चौकीदार उन्हें भगाने के लिए डटा रहा। आखिर में उस चौकीदार ने कहा दिया, ‘स्टाफ के कर्मचारी आकर आपको बाहर जाने के लिए मजबूर कर देंगे।’ यानी एलिट लुटियन शेखर को क्लब के एक आम चौकीदार ने सीधे-सीधे कह दिया गया कि क्लब से बाहर जाओ, वर्ना धक्के मार कर निकाल दिए जाओगे!
जब कुर्ते पायजामे से ख़त्म हो गयी एक बैंगलोर क्लब की सहजता via @ShekharGupta https://t.co/8pYjzys7A0
— Sanjay Dixit संजय (@Sanjay_Dixit) May 2, 2018
लेकिन बात यहां खत्म नहीं हुई! लुटियन पत्रकार का टर्म ऐसे थोड़े ही न प्रचलन में आया है! शेखर ने इसके बाद ट्वीट किया और फिर अपने वेब ‘दप्रिंट’ पर दर्शानिक अंदाज में एक लेख भी लिखा- ‘बैंगलोर क्लब तुम्हें मुझे जरूर स्वीकार करना चाहिए। मुझे अशिष्ट महसूस हुआ।’ शेखर ने खुद को बेहद नॉर्मल अंदाज में पेश किया, लेकिन भूल कर भी वह सब नहीं किया, जो वह हमेशा भाजपा शासित राज्यों को लेकर करते रहे हैं! सीट के झगड़े को ‘बीफ विवाद’ बनाना हो, कठुआ रेस में आरोपी और पीडि़ता की ‘मजहबी पहचान’ स्थापित करनी हो, त्रिपुरा के मुख्यमंत्री को ‘ट्रोल’ करना हो या फिर उप्र के मुख्यमंत्री को कट्टर साबित करने का लगातार प्रयास हो! ऐसा कुछ नहीं!
सिद्धारमैया की जय..जय, ’10 जनपथिया माई’ की जय..जय, गांधी वंश के रौशन चिराग की जय..जय! शेखर दिल पर हाथ रखिए और सच कहिए, यही बैंगलूर क्लब की जगह गुजरात क्लब होता तो आपका रवैया क्या यही होता, जो कर्नाटक में रहा था? शेखर गुप्ता लुटियन पत्रकार हैं, कांग्रेस शासित राज्य में हंगामा थोड़े न बरपाएंगे? जाने दीजिए वफादारी अपना रंग तो दिखाती ही है!
लुटियन पत्रकार क्लब भी आम लोगों और सामान्य पत्रकारों का ऐसे ही अपमान कर रही है दशकों से! #कर्मचक्र https://t.co/4YYsWk9vam
— Sandeep Deo (@sdeo76) May 1, 2018
URL: Shekhar Gupta thrown out of Bangalore Club for being dressed in kurta-pyjama
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