किसी सरकार की अगर सफलता या उपलब्धि देखनी हो या फिर उसे आंकना हो तो आंकड़े इकट्ठे कीजिए, इसलिए तो अब Data journalism का क्रेज बढ़ने लगा है। और शायद इसलिए कांग्रेस अभी से ही डाटा जर्नलिज्म से डरने भी लगी है। आंकड़े और तथ्य कभी झूठ नहीं बोलते। आप उसका विश्लेषण अपनी सुविधानुसार कर सकते है। ऐसा ही एक तथ्य मोदी सरकार की सफलता के साथ ही उनकी उपलब्धि को भी दर्शाता है।
जबसे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने केंद्र की सत्ता संभाली है तब से पूरे देश में इस्लामिक आतंकी घटनाओं को याद करिए और फिर उससे पहले डॉ. मनमोहन सिंह के नेतृत्व वाली यूपीए सरकार के 10 साल को याद करिए! अंदाजा सहज लग जाएगा! वैसे तुलना के लिए आधिकारिक आंकड़े यहां आपके सामने हैं।
सोनिया गांधी के मनमोहन सरकार के 10 साल के शासन में बड़ी संख्या में आम नागरिक इस्लामी आतंकवाद के शिकार होकर मौत को प्राप्त हुए। जम्मू-कश्मीर, पंजाब और उत्तर-पूर्वी बॉर्डर वाले राज्यों को यदि छोड़ दें तो कांग्रेस के 10 साल के शासन में दिल्ली, मुंबई, बनारस, अजमेर, हैदराबाद जैसे बड़े शहरों पर हुए इस्लामी आतंकवादी हमले में 750 आम नागरिक मारे गये। वहीं मोदी सरकार का चार साल पूरा हो चुका है, लेकिन इस दौरान बॉर्डर के राज्यों से आगे आतंकवाद बढ़ ही नहीं पाया है। पाकिस्तानी आतंकियों और जेहादियों का भारत के शहरों में प्रवेश पर पूरी तरह से प्रतिबंध लग गया है। यही वजह है कि इस सरकार के चार साल के शासन में केवल 4 आम नागरिक इस्लामी आतंकवाद का शिकार हुए हैं।
मुख्य बिंदु
* यूपीए सरकार के 10 सालों के कार्यकाल के दौरान आतंकी घटनाओं में 750 लोगों की गई थी जान
* देश का कोई भी शहर ऐसा नहीं बचा था जो इस्लामिक आतंकियों की जद में न आया हो
* मोदी सरकार के कार्यकाल में इस्लामिक आतंकी घटनाओं में महज 4 लोग मरे हैं
इस्लामिक आतंकी घटनाओं में ये उल्लेखनीय गिरावट केंद्र सरकार की कठोर कार्रवाई और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के मजबूत इरादों की बदौलत ही आई है। इस संदर्भ में रेल मंत्री पीयूष गोयल ने ट्वीट कर कहा कि “इस्लामिक आतंकवाद के विरुद्ध कठोर कार्यवाही से देश में आतंकी घटनाओं में मारे जाने वाले नागरिकों की संख्या में उल्लेखनीय कमी आई है, जहाँ UPA सरकार के शासनकाल में 750 नागरिक आतंकवाद का शिकार बनें, वहीं अब यह संख्या घटकर 4 रह गयी है।” आतंकवाद के प्रति मोदी सरकार की जीरा टॉलरेंस नीति के कारण ही इतना बड़ा फर्क पैदा हुआ है।
इस्लामिक आतंकवाद के विरुद्ध कठोर कार्यवाही से देश में आतंकी घटनाओं में मारे जाने वाले नागरिकों की संख्या में उल्लेखनीय कमी आई है, जहाँ UPA सरकार के शासनकाल में 750 नागरिक आतंकवाद का शिकार बनें, वहीं अब यह संख्या घटकर 4 रह गयी है। pic.twitter.com/8rpiD8dQiz
— Piyush Goyal (@PiyushGoyal) June 3, 2018
निश्चित रूप से मोदी सरकार की यह उल्लेखनीय उपलब्धि ही कही जाएगी। मोदी सरकार को चार साल हो गए, लेकिन इस दौरान शायद ही कोई इस्लामिक आतंकियों द्वारा बम विस्फोट की घटना आपको याद हो। जबकि यूपीए सरकार के दौरान अक्सर पूरे देश में कहीं न कहीं बम विस्फोट होने और उससे हुए जानमाल के नुकसान की खबर आती ही रहती थी। वो चाहे पटना की घटना हो या गया, मुंबई की हो या दिल्ली की।
यूपीए सरकार के कार्यकाल में हुए इस्लामिक आतंकी घटनाएं
* दिल्ली सीरियल बम ब्लास्ट: 29 अक्टूबर 2005 में दीवाली से 2 दिन पहले आतंकियों ने 3 बम धमाके किए। 2 धमाके सरोजनी नगर और पहाड़गंज जैसे मुख्य बाजारों में हुए। तीसरा धमाका गोविंदपुरी में एक बस में हुआ। इसमें कुल 63 लोग मारे गए जबकि 210 लोग घायल हुए थे।
* मुंबई ट्रेन धमाका : 11 जुलाई 2006 में मुंबई की लोकल ट्रेनों में अलग-अलग 7 बम विस्फोट हुए। सभी विस्फोटक फर्स्ट क्लास कोच में बम रखे गए थे। इन धमाकों में इंडियन मुजाहिदीन का हाथ था। इसमें कुल 210 लोग मारे गए थे और 715 लोग जख्मी हुए थे।
* महाराष्ट्र के मालेगांव में 8 सितंबर, 2006 को हुए तीन धमाकों में 32 लोग मारे गए और सौ से अधिक घायल हुए।
* 5 अक्टूबर 2006 श्रीनगर में हुए हमले 7 सुरक्षाकर्मी शहीद हो गए।
* भारत और पाकिस्तान के बीच चलने वाली समझौता एक्सप्रेस में 19 फरवरी, 2007 को हुए बम धमाके में 66 यात्री मारे गए।
* आंध्रप्रदेश के हैदराबाद में 25 अगस्त, 2007 को हुए धमाके में 35 मारे गए और कई अन्य लोग घायल हो गए। हैदराबाद में ही 18 मई, 2007 को मक्का मस्जिद धमाके में 13 लोगों की मौत हो गई।
* उत्तर प्रदेश में 1 जनवरी, 2008 को रामपुर में केंद्रीय रिजर्व पुलिस बल के कैंप पर हुए हमले में आठ लोग मारे गए।
* गुलाबी नगरी जयपुर में 13 मई 2008 में 15 मिनट के अंदर 9 बम धमाके हुए। इन धमाकों में कुल 63 लोग मारे गए थे जबकि 210 लोग घायल हुए थे।
* अहमदाबाद में 26 जुलाई, 2008 के दिन दो घंटे के भीतर 20 बम धमाके होने से 50 से अधिक लोग मारे गए। इस दौरान सूरत और बड़ौदा से भी बम बरामद हुए थे।
* 26/11 मुंबई आतंकी हमला, 26 नवंबर, 2008 को पाकिस्तान से आए 10 आत्मघाती हमलावरों ने सीरियल बम धमाकों के अलावा कई जगहों पर अंधाधुंध फायरिंग की। इस हमले में करीब 180 लोग मारे गए थे और करीब 300 लोग घायल हुए थे।
* पुणे की जर्मन बेकरी में 10 फरवरी, 2010 को हुए बम धमाके में नौ लोग मारे गए और 45 घायल हुए।
* बेंगलुरु के चिन्नास्वामी स्टेडियम के बाहर 17 अप्रैल, 2010 में हुए दो बम धमाकों में 15 लोगों की मौत हो गई।
URL: Modi government bent on Islamic terror incidents
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