एक साल पूरा हो चुका है इस बात को दोहराते हुये कि मॉडर्न मेडिसिन सिस्टम में कोरोना की ना ही कोई दवा बन पायेगी, ना ही कोई थिरैपी कारगर होगी और ना ही कोई भी वैक्सीन सक्सेसफुल होगी। मैं कोई भविष्य वक़्ता नहीं हूँ और यह कोई भविष्यवाणी नहीं है। मैं एक स्वास्थ्य विचारक एवं स्वास्थ्य की नई प्रणाली “ज़ायरोपैथी” का फाउन्डर हूँ।
कोरोना का जन्म कैसे हुआ ? कोरोना एक षड्यंत्र है ? यह कोरोना की सेकन्ड वेव है पहले से अधिक ख़तरनाक होगी? इन सभी प्रश्नों से क्या फ़ायदा है। वास्तविकता यह है कि कोरोना एक वाइरस है जो हमारे वातावरण में समाहित है और तेज़ी से अपने स्ट्रेन को बदल रहा है। इसका तेज़ी से बदलता स्ट्रेन ही कोरोना की सबसे बड़ी ताक़त है और इस प्रक्रिया को कोई भी दवा, थिरैपी या वैक्सीन नहीं रोक सकती।
चूँकि यह वाइरस हमारे वातावरण का अभिन्न अंश बन चुका है अत: इसे समाप्त नहीं किया जा सकता।आजतक इंसान किसी भी वाइरस को समाप्त नहीं कर पाया। कोरोना को स्पेशल स्टेटस देने की आवश्यकता नहीं है। जिस प्रकार से करोड़ों अन्य वाइरस हमारे वातावरण में मौजूद हैं और हमारे शरीर में निरंतर अंदर-बाहर होते रहते हैं, वैसा ही व्यवहार कोरोना के साथ भी करना चाहिए। मास्क, सोसल डिस्टेसिंग, लॉकडाउन कोरोना का प्रचार-प्रसार करने में मददगार हैं परन्तु कोरोना रोकने में अक्षम हैं।
कोरोना को सिर्फ़ सस्टेन्ड इम्यूनिटी ही समाप्त कर सकती है इसके अलावा अन्य सभी उपाय मिथ्या ही साबित हो रहे हैं। इम्यूनिटी को मज़बूत रखने के लिये किसी रॉकेट साइन्स की ज़रूरत नहीं है परन्तु सरकार के साथ मिलकर मीडिया ने कोरोना को इतना ख़ौफ़नाक बना दिया कि सभी लोग वैक्सीन की अस्लियत जानते हुये भी वैक्सीन लेने पर मजबूर हैं।
सबसे बड़ा दुर्भाग्य यह है कि समय के साथ हम लोगों के वक्तव्यों को भूल जाते हैं, परन्तु यदि कोरोना वैक्सीन पर जारी किये गये सभी वक्तव्यों का सिलसिलेवार विश्लेषण किया जाये तो यह स्पष्ट हो जायेगा कि वैक्सीन अपने आप में एक बहुत बड़ा धोखा है। सरकार की अनुमति लेने के पहले सिरम इंस्टीट्यूट ने 5 से 6 करोड़ वैक्सीन तैयार कर ली थी?
सरकार की अनुमति के बाद भी भारत बॉयोटेक की वैक्सीन के थर्ड फ़ेज़ के ट्रायल पूरे नहीं हुये थे? डी जी सि आई ने दोनों वैक्सीन को 110% सुरक्षित बताते हुए इमरजेंसी एप्रूवल उस समय दिया जब पूरे देश में कोरोना के केस कम होते जा रहे थे ? पहले चरण में 3 करोड़ स्वास्थ्य कर्मचारियों में से महज़ 70 लाख ने ही पहली वैक्सीन तथा उनमें से सिर्फ़ 27 लाख ने दूसरी वैक्सीन ली ?
चूँकि वैक्सीन और कोरोना से संबंधित हर सूचना पर सरकार का क़ब्ज़ा है अत: अस्लियत का ज्ञान किसी को भी नहीं है, अंतत: सरकारी आँकड़ों पर भरोसा करना मजबूरी है। वैक्सीन को इम्यूनिटी बूस्टर बताना वैक्सीन के मूलभूत सिद्धांतों का हनन है ?
भारत बॉयोटेक द्वारा वैक्सीन बनाना सम्पूर्ण भारत एवं भारतीय वैज्ञानिकों के लिये गर्व की बात है परन्तु इसका यह तात्पर्य नहीं होना चाहिये कि सभी को वैक्सीन लगवाना अनिवार्य किया जाये।
हमारे देश में 33% बच्चे हैं, परन्तु अभी तक बच्चों की वैक्सीन का ट्रायल भी नहीं शुरू हुआ, क्या सरकार बच्चों को सुरक्षित नहीं करना चाहती ?
वैक्सीन मुहिम के आँकलन से यह स्पष्ट होता है कि वैक्सीन अभियान का मूल मक़सद ज़्यादा से ज़्यादा लोगों को वैक्सीन लगाना है ना कि लोगों को कोरोना से सुरक्षित करना। इसीलिये प्रथम, द्वितीय, तृतीय फ़ेज़ के सभी लोगों का सिलसिलेवार सुरक्षात्मक वैक्सीन कम्प्लीट नहीं होने के बावजूद सरकार ने 18 वर्ष के ऊपर सभी के लिये वैक्सीन लगाने की शुरुआत कर दी।इसके अलावा जिन राज्यों में कोरोना बढ़ता हुआ बताया जा रहा है वहाँ क्यों वैक्सीनेशन पर ज़ोर नहीं दिया जा रहा?
सरकारी नियम के अनुसार मास्क लगाना, सोसल डिस्टेसिंग, नाइट कर्फ़्यू, लॉकडाउन इत्यादि कोरोना कंट्रोल करने वाले सभी नियमों का चुनावी प्रदेशों में बहिष्कार किया जा रहा है। क्या कोरोना का ख़तरा उन प्रदेशों में समाप्त हो जाता है जहाँ चुनाव आयोग तनाव घोषित कर देता है? यदि यह सही हो तो पूरे देश में चुनाव घोषित कर कोरोना को समाप्त क्यों नहीं कर देती सरकार।
कोरोना का कोई फ़ेज़ या वेव नहीं होगा। कोरोना एक सिलसिला है जो निरंतर चलता रहेगा। भविष्य में कोरोना इसी प्रकार स्ट्रेन बदलता रहेगा और नये-नये तरह के कोरोना समय-समय पर परेशानी पैदा करते रहेंगे। इसलिये सभी से अनुरोध है कि अपनी दिनचर्या तथा खानपान में निम्नलिखित परिवर्तन स्थाई रूप से करें जिससे आपकी इम्यूनिटी सदैव स्ट्रॉंग बनी रहे और कोरोना आपका कुछ ना बिगाड़ पाये-
(1) ताज़ा पौष्टिक आहार
(2) नियमित व्यायाम
(3) 6-8 घंटे की नींद
(4) शरीर को आराम
(5) तनावमुक्त जीवन
यही मूल मंत्र है कोरोना से बचने का बाक़ी सब मिथ्या है।
कमान्डर नरेश मिश्रा
फाउन्डर ज़ायरोपैथी
टॉल फ्री-1800-102-1357
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