ब्रजेश सिंह सॆंगर-
भामाशाह अगर न होता , अकबर कभी हार न पाता ;
राणा-प्रताप को मुश्किल होती , पता नहीं आगे क्या होता ?
एक अकेले भामाशाह ने , परिणाम युद्ध का बदल दिया ;
पर अब भामाशाह कहाँ हैं ? क्या इनका मन भी बदल गया ?
धर्म – विरोधी इस शासन में , सब – कुछ उल्टा – पुल्टा है ;
शंकराचार्यों की बात न सुनते , उल्टी प्राण-प्रतिष्ठा है ।
पर इसका परिणाम जल्द ही , देश के आगे आयेगा ;
अब्बासी-हिंदू फिर से जीता तो , हिंदू का अंतकाल आयेगा ।
जब हिंदू पर ही संकट होगा , तब भामाशाह भी कहाँ बचेंगे ?
आग लगेगी जब उपवन में , तब वहाँ के पंछी कहाँ रहेंगे ?
थोड़ा सा ही समय शेष है , संसद-चुनाव होने वाला है ;
भामाशाहों को आना होगा , तब ही हिंदू बचने वाला है ।
हिंदूवादी – सरकार जरूरी , वरना देश न बच पायेगा ;
चारों ओर अब्बासी – हिंदू , प्रलयकाल आ जायेगा ।
राणा-प्रताप आ चुका देश में , “एकम् सनातन भारत” दल है ;
पर कमी है भामाशाह की अब तक , जो हिंदू का धन-बल है ।
अब पूरा दारोमदार है , भामाशाहों के कंधों पर ;
इतने महंगे चुनाव देश के , आधारित काले-धंधों पर ।
धर्मनिष्ठ है – सत्यनिष्ठ है , “एकम् सनातन भारत” दल ;
काले धन से दूर है एकदम , केवल भामाशाह का बल ।
भारत के भामाशाह जो हिंदू , अब उनका कर्तव्य है ;
खुलकर दान करो इस दल को, सबसे पुनीत-कर्तव्य है ।
खड़ा करो इसका प्रत्याशी , भारत-भर की सीटों पर ;
धन की कमी न आड़े आये , लोकतंत्र की पीठों पर ।
राणा-प्रताप हर-युग में जीता , अब भी ये ही जीतेगा ;
केवल इसकी शर्त यही है , जब भामाशाह सहयोग करेगा ।
भामाशाहों को आवाहन , सहयोग करो राणा-प्रताप का ;
राणा-प्रताप की विजय सुनिश्चित, धर्म बचेगा भारत का ।
धर्म बचेगा , देश बचेगा , तभी राष्ट्र भी बच पायेगा ;
वरना वो दिन दूर नहीं है , भारत से हिंदू मिट जायेगा ।
धर्म पर सबसे बड़ा ये संकट , अब्बासी-हिंदू ही लाया है ;
इस संकट को दूर करेगा , “एकम् सनातन भारत” आया है ।
विजयश्री की जयमाला है , भामाशाह के हाथ में ;
राणा-प्रताप इसको पहनेंगे , धर्म-सनातन साथ में ।