अर्नब गोस्वामी एक तीर है और रिपब्लिक भारत धनुष। गजब ही है कि ये पत्रकारीय तीर कभी कांग्रेस के तरकश में हुआ करता था और आज हिंदुत्व की प्रत्यंचा पर सधा हुआ है। इस महासमर में अर्नब की भूमिका अत्यंत ही महत्वपूर्ण हो चली है।
जैसे ही अर्नब गोस्वामी ने सोनिया गांधी और उनके कुनबे पर सशक्त प्रहार करना शुरू किया, दस जनपथ से लेकर छत्तीसगढ़, जहां कांग्रेस की सरकार है, एक सनसनी फैल गई। इतने स्पष्ट रूप से अब तक शायद ही किसी पत्रकार ने सोनिया गांधी को लताड़ा था। एक अघोषित, अलिखित नियम बन चुका था कि अति विशिष्ट गांधी परिवार पर पत्रकारों की ओर से राजनीतिक हमले तो हो सकते हैं किंतु निजी आक्रमण कभी नहीं होंगे। जब आप गूगल पर हिन्दी मे एंटोनियो मायनो लिखकर खोज करेंगे तो विकिपीडिया सामने आकर बताता है कि विवाह पूर्व सोनिया गांधी को इसी नाम से पुकारा जाता था। जो सत्य सारा विश्व जानता है, वही तो अर्नब ने बोला है।
स्वतंत्रता पश्चात मीडिया की इस प्रकरण में ये भूमिका रही कि गांधी परिवार को उन्होंने देवतुल्य बनाकर रख दिया। ये अति विशिष्ट परिवार मीडिया के लिए शासक की भांति था और जनता को दरबारी की तरह व्यवहार करना अनिवार्य था। तो ये अनिवार्यता सन 2014 तक बनी रही किंतु उसके बाद विशिष्ट परिवार के सरकारों में रहते किये अनेकानेक घोटाले सामने आते चले गए। मनमोहन सरकार घोटालों के कारण ही विदा हो गई। परिवार पर चढ़ाई गई विशिष्ट परत पिघलने लगी और दस जनपथ का अहंकार इसे सह नहीं पा रहा था।
सोनिया गांधी पर अर्नब का प्रहार इस मीडियाई युग मे एक विशेष घटना के रूप में दर्ज हो गई है। इसके ठीक बाद कांग्रेस के सड़कछाप गुंडों द्वारा अर्नब और उनकी पत्नी को ‘सबक’ सिखाने के लिए हमला किया गया। ये हमला होते ही यूथ कांग्रेस में खुशी की लहर दौड़ गई। इस लहर के कुछ छींटे ट्वीटर के माध्यम से आम जनमानस के बीच छलक आए। सोशल मीडिया पर कांग्रेस समर्थकों ने इस शर्मनाक हमले की खुशियां मनाकर पुरानी पार्टी की मूल संस्कृति की झलक दिखा दी।
सोनिया गांधी का पूर्व नाम लेने की सज़ा अर्नब को ये दी गई कि देश के 600 जिलों से उन पर 200 एफआईआर रजिस्टर की गई है। एक कांग्रेस समर्थित पत्रकार ने लिखा है कि उन्हें तभी चैन आएगा, जब अर्नब को हथकड़ी डालकर कोर्ट में पेश किया जाएगा। दरबार लुट गए हैं लेकिन दरबारी अपना भरम बनाए रखना चाहते हैं। उधर महाराष्ट्र में सोनिया गांधी ने अपना दबदबा दिखाते हुए अर्नब के हमलावरों पर एफआईआर नहीं होने दी। इससे पता चला कि उद्धव ठाकरे सरकार एक कठपुतली की तरह कार्यरत हैं।
सोशल मीडिया पर अर्नब के भरपूर समर्थन से कुछ लोग उनके अतीत को सामने ला रहे हैं। वे वीडियो निकाले गए हैं, जिनमे अर्नब भाजपा और समर्थित दलों की आलोचना करते दिखाई देते हैं। मैंने ऊपर ही लिखा कि अर्नब एक तीर है, एक हथियार है, जो कल भाजपा विरोधियों के धनुष पर चढ़ा हुआ था। लेकिन आज वह हिंदुत्व के काम आ रहा है। कुछ लोगों ने उन्हें मसीहा बना दिया है, वह उचित नहीं है। अर्नब एक तीर है, उन्हें तीरंदाज न समझिए। आज हिंदुत्व उनके प्रहारों से लाभान्वित हो रहा है तो किसी को क्या तकलीफ है?
It is very bad, the crime was committed by those who used to shout for “FREEDOM OF EXPRESSION”
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To all those who called themselves media personnels and flag bearer of Freedom of speech, Freedom of Press!
Why was Arnab interrogated? That too for 12 and half hours?
Is it because, Arnab named Antonio Maino or the missionary connection of vetican city and Antonio Maino?
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