आईएसडी नेटवर्क। सूचना एवं प्रसारण मंत्री प्रकाश जावड़ेकर द्वारा बुधवार को टीआरपी के संदर्भ में एक बयान देने के दूसरे दिन गुरुवार को मुंबई पुलिस ने एक फर्जी टीआरपी रैकेट का भंडाफोड़ करने का हास्यापद दावा किया है। मुंबई पुलिस ने पैसा देकर टीआरपी खरीदने के मामले में रिपब्लिक भारत समेत तीन चैनलों पर आरोप लगाया है।
इस मामले में मुंबई पुलिस ने दो लोगों को गिरफ्तार किया है। गुरुवार शाम मुंबई पुलिस कमिश्नर परमबीर सिंह ने प्रेस वार्ता कर इस बात की जानकारी दी। इसके बाद पहले से चल रहे चैनल वॉर में और उबाल आ गया। सर्वविदित है कि सुशांत सिंह हत्या प्रकरण के बाद से देश का मीडिया न केवल परस्पर विरोधी हो गया, बल्कि महाराष्ट्र सरकार की दमनकारी गतिविधियों ने चैनल वॉर को और भी अधिक भड़का दिया है।
परमबीर सिंह की प्रेस वार्ता के बाद इस हास्यापद आरोप को समझे बिना जिस तरह से सारी मीडिया ने इस खबर को प्रकाशित किया, उससे जाहिर हो गया है कि समूचा मीडिया अपने ही एक साथी मीडिया का विरोधी हो गया है। प्रेस क्लब द्वारा संज्ञान न लिया जाना भी आश्चर्यजनक लग रहा है क्योंकि महाराष्ट्र की सरकार ने सीधा प्रेस की स्वतंत्रता पर गंभीर हमला किया है।
परमबीर सिंह की प्रेस वार्ता के बाद पता चला कि मुंबई पुलिस की एफआईआर में रिपब्लिक भारत का नाम था ही नहीं। मुंबई पुलिस की लिस्ट में मीडिया संस्थान इंडिया टुडे का नाम पाया गया है। इसके बाद सोशल मीडिया पर मुंबई पुलिस कमिश्नर को बुरी तरह ट्रोल किया जाने लगा।
इसके बाद रिपब्लिक भारत के अर्नब गोस्वामी अपने चैनल पर लाइव आए और कमिश्नर पर फट पड़े। चैनल की ओर से दावा किया गया कि कमिश्नर की ओर से बेबुनियाद आरोप लगाए गए हैं और चैनल इसको लेकर न्यायालय की शरण में जाने की बात कह रहा है। इस खबर के बाहर आते ही देशभर से प्रतिक्रियाओं का दौर शुरु हो गया।
अर्नब गोस्वामी के समर्थन में एक घंटे के अंदर बीस लाख से अधिक ट्वीट किये गए। ट्वीटर पर हैश टैग अर्नब गोस्वामी ट्रेंड करने लगा। गुरुवार को मुंबई पुलिस की कार्रवाई को प्रकाश जावड़ेकर के बयान से जोड़कर देखा जा सकता है। जावड़ेकर ने साप्ताहिक पत्रिका ‘पाञ्चजन्य’ द्वारा आयोजित एक कार्यक्रम में बुधवार को कहा था ‘पेड न्यूज’ और ‘फेक न्यूज’ के बाद, यह दौर ‘टीआरपी पत्रकारिता’ का है।
केंद्रीय मंत्री ने कहा, ‘पेड न्यूज और फेक न्यूज हुआ करता था तथा अब टीआरपी पत्रकारिता है। टीआरपी के अनावश्यक दबाव को मीडिया द्वारा अवश्य रोका जाना चाहिए। सूचना एवं प्रसारण मंत्री का ये बयान आश्चर्यजनक है। हाथरस को लेकर आजतक चैनल लगातार फेक न्यूज़ चला रहा है लेकिन मंत्री जी ने कोई एक्शन नहीं लिया।
उनका ताज़ा बयान रिपब्लिक भारत की बढ़ती टीआरपी के सन्दर्भ में समझा जाना चाहिए। इसके ठीक बाद मुंबई पुलिस की कार्रवाई को प्रकाश जावड़ेकर जी के बयान से संबंधित माना जा सकता है। इस तरह के मामलों को तो प्रवर्तन निदेशालय देखता है। मुंबई पुलिस ने केस दर्ज करने से पूर्व ये क्यों नहीं सोचा कि टीआरपी रेटिंग्स में तो मुंबई छोटा सा हिस्सा है।
क्या मुंबई पुलिस महाराष्ट्र और शेष भारत को भूल गई, जहाँ टीआरपी के मीटर लगे हुए हैं। इस केस को लेकर उद्धव सरकार की आलोचना शुरु हो गई है। ये तय है कि उद्धव सरकार वर्सेज अर्नब गोस्वामी की लड़ाई अब खतरनाक स्तर पर जा रही है।