अर्चना कुमारी राजस्थान मुख्यमंत्री निशुल्क दवा योजना के तहत आने वाली दवाइयों के नमूने फेल होने के बाद अब 18 से ज्यादा कंपनियों की दवाइयों के सैंपल फेल हो गए हैं। राजस्थान ड्रग कंट्रोल विभाग की टीम ने यह सैंपल जयपुर और अन्य दूसरे शहरों से लिए थे।
बताया जाता है राजस्थान औषधि नियंत्रण विभाग की टीम ने खून पतला करने वाली एस्पिरिन, एंटी एलर्जी बीटामेथासोन, ओफ्लॉक्सासिन-ऑर्निडाजोल (एंटीबायोटिक्स), बीपी, शुगर की गोलियां, खून का थक्का घोलने वाले इंजेक्शन, पेट साफ करने वाला सिरप, आई ड्रॉप आदि दवाइयां के सैंपल टेस्ट कराए हैं।
इसके बाद विभाग ने भिन्न भिन्न कंपनियों को पत्र लिखकर दवाओं के सभी बैच वापस लेने का निर्देश दिया है। ड्रग कंट्रोलर प्रथम अजय फाटक का कहना है, हमें बाजार से जानकारी मिली थी कि कंपनी की कुछ दवाएं अच्छी नहीं हैं। इसके बाद हमारी टीम ने जयपुर समेत अन्य शहरों में अलग-अलग मेडिकल स्टोर्स से दवाओं के सैंपल लिए और उनकी जांच की थी।
जांच के दौरान पिसेफ़-200 (सेफिक्साइम-200 एमजी) और एज़िविर 250 (एज़िथ्रोमाइसिन-250 एमजी) की गोलियों में साल्ट मानक के अनुरूप नहीं पाए गए। ये दोनों दवाएं एंटीबायोटिक हैं। इन दोनों दवाओं के 10 से ज्यादा सैंपल इकट्ठा किए गए थे, जो जांच में सभी फेल साबित हुए। नमूनों में हेपरिन सोडियम के इंजेक्शन भी शामिल थे, जिसका उपयोग रक्त के थक्कों को घोलने और रक्त प्रवाह को सामान्य करने के लिए किया जाता है।
मैसर्स साई पैरेंटेरल्स लिमिटेड कंपनी का यह इंजेक्शन भी सैंपल में फेल साबित हुआ। इस इंजेक्शन का उपयोग अक्सर आपात स्थिति में किया जाता है, जब कोई व्यक्ति रक्त के थक्के जमने की शिकायत करता है। इसके अलावा एलायंस बायोटेक और ओरिसन फार्मा इंटरनेशनल की ग्लिमेपाइराइड, जो डायबिटीज के मरीजों के लिए उपयोगी है। इसके सैंपल भी फेल साबित हुए हैं।
मुख्यमंत्री निःशुल्क दवा योजना के तहत सैम्पल की जांच की गई। दरअसल, पिछले महीने ही स्वास्थ्य विभाग ने मुख्यमंत्री मुफ्त दवा योजना के तहत दी जाने वाली दवाओं के सैंपल की भी जांच कराई थी. इसमें भी 14 कंपनियों की 15 दवाओं के सैंपल फेल हो गए थे।