विनीत नारायण।आईएएस को भारत का स्टील फ्रेम कहा जाता है। पर ये कैसा स्टीलफ्रेम है जो अपने राजनीतिक हुक्मरानों को ज़मीनी सच्चाई बताने से डरता है ?
आज भारत के सबसे सशक्त अफ़सरों में एक हैं अमिताभ कांत जो कहते हैं कि ‘बिना सरकारी पैसा लिए ब्रज में धरोहरों के जीर्णोद्धार का जैसा काम ‘द ब्रज फाउंडेशन’ ने किया है वैसा आज़ादी के बाद 80% प्रांतों के पर्यटन विभाग नहीं कर पाये।’ आपने G20 में भी देखा कि वो प्रधानमंत्री जी के भी ख़ास हैं।
इधर उत्तर प्रदेश के मुख्य सचिव दुर्गा शंकर मिश्रा जी भी ‘द ब्रज फाउंडेशन’ द्वारा किये गये जीर्णोद्धार को आकर देख चुके हैं और उसके मुक्त प्रशंसक रहे हैं।
स्वयं प्रधानमंत्री श्रीमोदी जी ने भी हमारे कार्यों की हमें पत्र लिख कर प्रशंसा की है।
पर विडंबना देखिए कि किसी स्वार्थी तत्व के इशारे पर मथुरा प्रशासन के कुछ अफ़सरों ने द ब्रज फाउंडेशन पर एनजीटी में झूठे आरोप लगा कर हमारी सेवा कार्यों को 2018 में रुकवा दिया। आरोप था कि हम कुंडों पर क़ब्ज़ा करके उनका स्वरूप बिगाड़ रहे हैं।अब आप निम्न चित्र देखिए और सोचिए कि स्वरूप किसने बिगाड़ा: हमने या हिंदुत्व की योगी जी की सरकार के अफ़सरों ने ?
जिस व्यक्ति ने चार दशकों से उसूलों पर पत्रकारिता की हो। देश के सभी बड़े नेताओं से तीस बरस से व्यक्तिगत संबंध रखते हुए भी कभी किसी राजनैतिक दल के साथ जुड़ा न हो और सत्ता में हिस्सादारी के सबके लुभावने प्रस्ताव अस्वीकार कर दिये हों। जिसने अपनी निडर और खोजी पत्रकारिता में देश की सत्ता को बार-बार झकझोरा हो। उस पर झूठे आरोप लगाकर धाम सेवा के पुण्य कार्य को रोकना और भगवान की लीलास्थलियों को ध्वस्त करना और उस पर चुप्पी साधे रखना क्या यही आप लोगों का स्टील फ्रेमवर्क है ?
मथुरा के तीर्थों के विकास के नाम पर पिछले 6 वर्षों में जब ‘उत्तर प्रदेश ब्रज तीर्थ विकास परिषद’ अरबों रुपये खर्च करके भी एक भी तीर्थ इतना सुंदर नहीं बना पायीजितना ‘द ब्रज फाउंडेशन’ बनाती आयी है तो चारों तरफ़ हो रही अपनी बदनामी से डरकर प्रशासन ने निम्न अपील जारी की । अगर यही करना था तो इनका रखरखाव ‘द ब्रज फाउंडेशन’ से छीना ही क्यों था ? और अब उसे रखरखाव के लिए वापिस सौंपने में हिचक या शर्म क्या है ?