चीन की कम्यूनिस्ट पार्टी की पूर्व सदस्य काई शिया ने पार्टी में बढ्ती तानाशाही की और चीन के राष्ट्पति शी जिनपिंग की बढ्ती मनमानियों की सारी पोल पट्टी खोल दी है.
काई शिया ने इस साल के जून में ब्रिटेन के प्रसिद्ध अखबार गार्डियन को एक इंटरव्यू दिया था जिसमे ऊन्होने चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग की और उनके अंतर्गत वहां की कम्यूनिस्ट पार्टी की जो नीतिया हैं, जो कार्य प्रणाली हैं, उन सभी की कड़ी आलोचना की थी.
काई शिया ने अपने इंटरव्यू में चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग को ‘माफिया बांस’ का संबोधन दिया. उन्होने कहा कि शी जिनपिंग के नेतृत्व में चीन की कम्यूनिस्ट पार्टी चीन को विकास की ओर अग्रसर करने के बजाय उस के विकास के मार्ग में बाधा बन गई है.
काई शिया चीन की कम्यूनिस्ट पार्टी की एक प्रभावशाली नेता रही हैं. वे कम्यूनिस्ट पार्टी के सेंट्रल पार्टी स्कूल में लंबे समय तक प्रोफेसर रही हैं. और पूर्वी चीन के एक ऐसे परिवार से आती हैं जो सिर से लेकर पांव तक कम्यूनिज़्म की विचारधारा में डूबा हुआ था.
लेकिन पिछले कुछ समय से काई शिया शी जिनपिंग के नेतृत्व की प्रबल आलोचक हो गयी थीं. और उन्होने जून मे जो गार्डियन को इंटरव्यू दिया, उसकी आंडियो ट्रांस्क्रिप्ट लीक होने के बाद उन्हे चीन की कम्यूनिस्ट पार्टी से बाहर कर दिया गया.
काई शिया ने पार्टी से निकाले जाने के बाद गार्डियन से फिर बातचीत की और कहा कि वे कम्यूनिस्ट पार्टी से निकाले जाने पर बहुत खुश हैं. बल्कि वे काफी समय से पार्टी छोड़्ना चाहती थीं. उन्होने यह भी कहा कि सिर्फ वे ही नहीं बल्कि और भी बहुत से लोग कम्यूनिस्ट पार्टी छोड़्ना चाहते हैं.
काई शिया ने अपने गार्डियन को दिये गये इंटरव्यू में बहुत से मुद्दों को लेकर चीन के राष्ट्र्पति शी जिनपिंग और वहां की कम्यूनिस्ट पार्टी की आलोचना की. उन्होने कहा कि जिनपिंग ने अपनी गलत नीतियों की वजह से पूरे विश्व को चीन का क्षत्रु बना दिया है. उन्होने चीन की कोरोना वायरस के मुद्दे को लेकर कड़ी आलोचना की कि इसी वहां की सरकार ने बहुत खराब तरीके से मैनेज किया.
काई शिया ने एक बहूत महत्वपूर्ण बात यह भी कही कि चीन जिस प्रकार से बाकी देशों के साथ अचानक से आक्रामक हो रहा है, उस सब के पीछे चीन की कम्यूनिस्ट पार्टी का उद्देश्य है वहां की जनता का ध्यान भटकाना. चीन यह सब इसीलिये कर रहा है ताकि कम्यूनिस्ट पार्टी की आंतरिक नाकामियों से जनता का ध्यान हटकर दूसरी तरफ चला जाये. सिर्फ जनता का ही नहीं विश्व का भी.
चीन में आर्थिक मंदी छाई हुई है, कोरोना वायरस के नाम पर जो कुछ वहां की कम्यूनिस्ट पार्टी कर रही है, उससे आम जनता खुश नहीं है. इसीलिये गलवान मुठ्भेड़ जैसी साज़िशों का उद्देश्य चीन के लोगों का वहां की आंतरिक मुद्दो से ध्यान हटाना था, काई शिया ने कहा.
काई शिया अब पूरी तरह्ह से कम्यूनिस्ट पार्टी के विरोध में उतर आयी हैं. और चीन के लिये यह बात अधिक चिंताजनक इसीलिये भी है कि वे पार्टी की इतनी प्रभावशाली नेता रह चुकी हैं कि भले ही उन्हे पार्टी से बाहर निकाल दिया गया हो, लेकिन पार्टी में ऐसे बहुत से लोग होंगे जो उनकी बातों से शायद प्रभावित हो चुके हों.
ऐसे में चीन का सबसे बड़ा भय यह है कि काई शिया के इस प्रकार खुले में शी जिनपिंग के विरुद्ध उतरने के बाद कहीं पार्टी के और लोग भी चीनी राष्ट्रपति की खिलाफत करान न शुरू कर दें.
क्योंकि यहां अन्तराष्ट्रीय मीडिया भी शामिल है. क्योंकि गार्डियन जैसे बड़े मीडिया आउट्लिट के माध्यम से बात इतनी बड़ी हो गयी है कि चीन काई शिया के साथ कुछ गलत व्यवहार भी नहीं कर सकता. यदि वह ऐसा करने की कोशिश करेगा तो पूरे अंतराष्ट्रीय समुदाय की नज़र उस पर है. तो अब पार्टी के अंदर से और भी विरोध के स्वर सुनाई देंगे तो फिर चीन क्या करेगा?
सबसे महत्व्पूर्ण बात काई शिया ने यह कही कि चीन का आगे चलकर प्रजातंत्र बनना लगभग तय है. यह चीन के राजनीतिक विकास की एक स्वाभाविक प्रक्रिया होगी. जैसे जैसे शी जिनपिंग के अंतर्गत वहां की कम्यूनिसट पार्टी की तानाशाही बढ्ती जायेगे और फिर अपने चरम पर होगी, वैसे वैसे लोगों में प्रजातंत्र की मांग बढ्ती जायेगी. और फिर एक दिन चीन के लिये स्वयं को प्रजातंत्र से दूर रखना असंभव हो जायेगा.
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